पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एनडीए के खिलाफ साझा रणनीति तैयार करने, सीट शेयरिंग और सीएम फेस समेत अन्य मुद्दों को लेकर महागठबंधन की इस महीने दो महत्वपूर्ण बैठक हुई। पहली बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं के साथ तेजस्वी यादव ने नई दिल्ली में चर्चा की। जबकि दूसरी बैठक पटना में आरजेडी कार्यालय में हुई। जिसमें कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार समेत अन्य नेता शामिल हुए। तीसरी बैठक भी अगले सप्ताह पटना में कांग्रेस कार्यालय में होगी। सीएम फेस पर सहमति नहीं, समन्वय समिति का गठनपटना में महागठबंधन (इंडिया गठबंधन) की हुई बैठक में सीएम फेस पर तो सहमति नहीं बनी, लेकिन गठबंधन में शामिल दलों के बीच बेहतर समन्वय को लेकर कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी की जिम्मेदारी तेजस्वी यादव को सौंपी गई। जबकि समन्वय समिति में आरजेडी, कांग्रेस और वाम दल समेत अन्य दलों के नेताओं को शामिल किया गया है। सीट शेयरिंग को लेकर जिच!वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और आरजेडी ने मिलकर चुनाव लड़ा। आरजेडी 144 सीटों पर और कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी। बाकी 29 सीटें वाम दलों को दी गई थी। चुनाव परिणाम के बाद आरजेडी को 75 सीटें मिली, जबकि कांग्रेस सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई, जिससे महागठबंधन की सरकार नहीं बन सकी। इसलिए आरजेडी के कई नेता इस बार चाहते हैं कि कांग्रेस को 70 सीटें नहीं दी जाए। समझौते में जनाधार वाली सीटें हासिल करने की कोशिशदूसरी तरफ कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि पिछली बार कांग्रेस को 70 में से 30 सीटें ऐसी दी गई, जिस पर आरजेडी पिछले तीन-चार चुनाव में लगातार हारती रही है, जबकि कांग्रेस का भी सीटों पर प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। पिछली बार सीट शेयरिंग के वक्त कांग्रेस की ओर से अखिलेश प्रसाद सिंह की भूमिका महत्वपूर्ण थी, लेकिन इस बार कांग्रेस ने चुनाव के ठीक पहले संगठन में बदलाव करते हुए राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। ऐसे में कांग्रेस अधिक सीटें हासिल करना चाहती हैं। हालांकि एनडीए को फिर से सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी इस बार कुछ सीटों पर समझौता भी कर सकती हैं, लेकिन अपने खाते में ऐसे सीटों की मांग करेगी, जिसमें जीत की संभावना ज्यादा हो। सीट शेयरिंग होने तक सीएम फेस की घोषणा मुश्किल!यही कारण है कि कांग्रेस अभी सीएम फेस के मुद्दे पर चुप है। कांग्रेस नेता यह चाह रहे हैं कि पहले सीट शेयरिंग का मसला पूरी तरह से हल हो जाए, उसके बाद ही सीएम फेस की घोषणा हो। कांग्रेस कुछ नेता इस पक्ष में भी है कि यदि आरजेडी के साथ सम्मानजनक समझौता नहीं होता है, तो दिल्ली की तरह बिहार में भी पार्टी अपने दमखम पर चुनाव लड़े। हालांकि दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच समझौता नहीं होने से बीजेपी को फायदा हुआ और लंबे समय के बाद दिल्ली में बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई। 2010 के परिणाम से सीख लेकर आरजेडी नेता सतर्कआरजेडी नेतृत्व 2010 विधानसभा चुनाव परिणाम से सीख लेकर सतर्क है। दिल्ली चुनाव परिणाम से यह बात साफ हो गई है कि पहले ही कांग्रेस पार्टी खुद सत्ता में न आए, लेकिन चुनाव परिणाम में पार्टी की भूमिका निर्णायक साबित होगी। आरजेडी नेताओं को भी इस बात का अहसास है कि अगर कांग्रेस अलग होकर चुनाव लड़ती है तो इससे उसे भी भारी नुकसान हो सकता है। 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आरजेडी ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला लिया, तो आरजेडी सिर्फ 22 सीटें जीत पाई थी, जबकि कांग्रेस को मात्र 4 सीटें ही मिली। यही कारण है कि आरजेडी भी कांग्रेस को नाराज नहीं करना चाहती है। महागठबंधन में तेजस्वी ही सबसे मजबूत दावेदारतेजस्वी समेत पार्टी के अन्य नेताओं को विश्वास है कि महागठबंधन में कांग्रेस, रालोजपा, वीआईपी और वाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर महागठबंधन में सबसे अधिक सीटें आरजेडी के खाते में ही जाएगी, ऐसे में अभी सीएम फेस की घोषणा हो या नहीं, महागठबंधन को बहुमत मिलने की स्थिति में तेजस्वी यादव ही सीएम पद के लिए स्वभाविक रूप से सबसे मजबूत दावेदार होंगे।
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