अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने फर्जी वेबसाइट के माध्यम से जाति, आय, निवास, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार कर फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। एसटीएफ ने इस गिरोह के दो आरोपियों को अलीगढ़ जिले से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अलीगढ़ निवासी साजिद हुसैन और नईमुद्दीन के रूप में हुई है। वहीं इस फर्जीवाड़े में अभी तक रोहिंग्या से जुड़ा कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन ये जरूर चौंकाने वाली बात है कि आरोपी पश्चिम बंगाल के अधिकृत ऑपरेटरों के संपर्क में थे।
एसटीएफ की टीम ने 5 नवंबर को अलीगढ़ के जीवनगढ़ इलाके में छापा मारकर दोनों आरोपियों को धरदबोचा है। इनके कब्जे से बड़ी मात्रा में फर्जी दस्तावेज और सामान बरामद किया गया हैं। बरामदगी में 88 फर्जी आधार कार्ड, 2 फिंगरप्रिंट स्कैनर, 3 आईरिस स्कैनर, 5 फर्जी मोहरें, 4 लैपटॉप, 1 डेस्कटॉप, 3 प्रिंटर, मोबाइल फोन, की-बोर्ड, माउस और 2300 नकद रुपए शामिल हैं।
दरअसल एसटीएफ की टीम को बीते कई महीनों से ऐसे गिरोह की सूचना मिल रही थी, जो अधिकृत आधार सॉफ्टवेयर का रिमोट एक्सेस लेकर अनाधिकृत सिस्टम पर फर्जी आधार कार्ड बना रहे थे। इस मामले में इनपुट जुटाने के बाद एसटीएफ की टीम ने बड़ी कार्रवाई कर दी है। वहीं एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी साजिद ने बताया कि वह पहले टेक स्मार्ट कंपनी में आधार ऑपरेटर था। कंपनी बंद होने के बाद उसने अपना जनसुविधा केंद्र खोल लिया था और वहीं से फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का धंधा शुरू कर दिया था।
आरोपी ने गुजरात के प्रशांत, पश्चिम बंगाल के नोमान, मुजीबुर और अमीन जैसे अधिकृत ऑपरेटरों से संपर्क कर असली आधार सॉफ्टवेयर का रिमोट एक्सेस हासिल किया था। साजिद ने बताया कि वह https://domicile.xyz/admin पोर्टल के जरिए फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करता था और प्रति प्रमाण पत्र 50 से 100 रुपये ऑनलाइन भुगतान कर ग्राहकों से 500 से 1000 रुपये वसूलता था। बाद में एनीडेस्क ऐप के माध्यम से दिल्ली निवासी आकाश को सिस्टम का रिमोट एक्सेस दे दिया था, जो अधिकृत आधार सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर फर्जी आधार बनाता था।
एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी नईमुद्दीन ने बताया कि वह https://dccrorgi.co.in/admin वेबसाइट पर यूजर आईडी डालकर फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करता था और फिर आधार सॉफ्टवेयर adhar enrolment client/ecmp.cmd के जरिए फर्जी आधार बनाता था। एसटीएफ की पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकारा कि वे ग्राम प्रधान और राजपत्रित अधिकारी की फर्जी मोहरों का इस्तेमाल करते थे और इस काम के एवज में अधिकृत ऑपरेटरों को हर महीने 50,000 रुपए देते थे।
फिलहाल गिरफ्तार दोनों आरोपियों के खिलाफ अलीगढ़ के क्वार्सी थाने में बीएनएस की धारा 318(4), 319(2), 336(3), 338, 340(2), 342, 111 और आईटी एक्ट की धारा 66C, 66D, 73 और 74 में मामला दर्ज किया गया है। एसटीएफ ने बताया कि गिरोह के बाकी आरोपियों और रिमोट एक्सेस देने वाले अधिकृत ऑपरेटरों की तलाश की जा रही है। यह कार्रवाई फर्जी दस्तावेजों के जरिए डिजिटल पहचान में की जा रही जालसाजी पर बड़ी सफलता मानी जा रही है।
एसटीएफ की टीम ने 5 नवंबर को अलीगढ़ के जीवनगढ़ इलाके में छापा मारकर दोनों आरोपियों को धरदबोचा है। इनके कब्जे से बड़ी मात्रा में फर्जी दस्तावेज और सामान बरामद किया गया हैं। बरामदगी में 88 फर्जी आधार कार्ड, 2 फिंगरप्रिंट स्कैनर, 3 आईरिस स्कैनर, 5 फर्जी मोहरें, 4 लैपटॉप, 1 डेस्कटॉप, 3 प्रिंटर, मोबाइल फोन, की-बोर्ड, माउस और 2300 नकद रुपए शामिल हैं।
दरअसल एसटीएफ की टीम को बीते कई महीनों से ऐसे गिरोह की सूचना मिल रही थी, जो अधिकृत आधार सॉफ्टवेयर का रिमोट एक्सेस लेकर अनाधिकृत सिस्टम पर फर्जी आधार कार्ड बना रहे थे। इस मामले में इनपुट जुटाने के बाद एसटीएफ की टीम ने बड़ी कार्रवाई कर दी है। वहीं एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी साजिद ने बताया कि वह पहले टेक स्मार्ट कंपनी में आधार ऑपरेटर था। कंपनी बंद होने के बाद उसने अपना जनसुविधा केंद्र खोल लिया था और वहीं से फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का धंधा शुरू कर दिया था।
आरोपी ने गुजरात के प्रशांत, पश्चिम बंगाल के नोमान, मुजीबुर और अमीन जैसे अधिकृत ऑपरेटरों से संपर्क कर असली आधार सॉफ्टवेयर का रिमोट एक्सेस हासिल किया था। साजिद ने बताया कि वह https://domicile.xyz/admin पोर्टल के जरिए फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करता था और प्रति प्रमाण पत्र 50 से 100 रुपये ऑनलाइन भुगतान कर ग्राहकों से 500 से 1000 रुपये वसूलता था। बाद में एनीडेस्क ऐप के माध्यम से दिल्ली निवासी आकाश को सिस्टम का रिमोट एक्सेस दे दिया था, जो अधिकृत आधार सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर फर्जी आधार बनाता था।
एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी नईमुद्दीन ने बताया कि वह https://dccrorgi.co.in/admin वेबसाइट पर यूजर आईडी डालकर फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करता था और फिर आधार सॉफ्टवेयर adhar enrolment client/ecmp.cmd के जरिए फर्जी आधार बनाता था। एसटीएफ की पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकारा कि वे ग्राम प्रधान और राजपत्रित अधिकारी की फर्जी मोहरों का इस्तेमाल करते थे और इस काम के एवज में अधिकृत ऑपरेटरों को हर महीने 50,000 रुपए देते थे।
फिलहाल गिरफ्तार दोनों आरोपियों के खिलाफ अलीगढ़ के क्वार्सी थाने में बीएनएस की धारा 318(4), 319(2), 336(3), 338, 340(2), 342, 111 और आईटी एक्ट की धारा 66C, 66D, 73 और 74 में मामला दर्ज किया गया है। एसटीएफ ने बताया कि गिरोह के बाकी आरोपियों और रिमोट एक्सेस देने वाले अधिकृत ऑपरेटरों की तलाश की जा रही है। यह कार्रवाई फर्जी दस्तावेजों के जरिए डिजिटल पहचान में की जा रही जालसाजी पर बड़ी सफलता मानी जा रही है।
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