भोपाल: एक इलाके में एक ही राजा होता है और उसका नाम शेर होता है। जंगल का कानून यही होता है लेकिन राजनीति में भी कई बार ऐसा देखने को मिलता है। फिलहाल भाजपा में कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही हैं। एक इलाके में दो—दो बड़े नेताओं की सक्रियता के चलते राजनीतिक गरमी चरम पर है। इसका जीता जागता उदाहरण विकास कार्यों की धीमी रफ्तार के तौर पर भी देखा जा रहा है। महीनों तक उद्घाटन की राह देखता रहा ओवरब्रिजग्वालियर में कई महीनों से बनकर तैयार हुआ ओवरब्रिज उद्घाटन की राह तक रहा था। नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था लेकिन कोई इसका उद्धाटन करने को तैयार ही नहीं था। इससे नाराज यहां के नागरिकों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि अगर एक दिन में ब्रिज का उद्घाटन नहीं हुआ तो वे किसी वरिष्ठ नागरिक से उद्घाटन करवा देंगे। लोगों की नाराजगी के बाद हरकत में आई सरकारइसके बाद सरकार मानो हरकत में आ गई। मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वर्चुअल ही विवेकानंद नीडम रेलवे ओवरब्रिज का लोकार्पण कर दिया। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भी जुड़े। बताया जा रहा है कि यहां पर सिंधिया और तोमर में प्रतिद्वंदिता के चलते ब्रिज के लोकार्पण में देरी हुई। अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर दिख रहे नेताराजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि डबल इंजन सरकार का वादा करने वाले ग्वालियर-चंबल अंचल के नेता अब अलग-अलग प्लेटफार्म पर दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण क्षेत्र के विकास पर असर पड़ रहा है। इससे क्षेत्र की जनता को उम्मीदों को झटका लगा है और विकास की रफ्तार धीमी हो गई है। पहली बार सामने नहीं आई गुटबाजी यह पहली दफा नहीं है जब गुटबाजी सामने आई हो। ग्वालियर के न्यू सिटी सेंटर स्थित रेलवे ओवर ब्रिज के लोकार्पण, ग्वालियर से शिवपुरी के लिए वेस्टर्न बाइपास जैसे मामलों में जिस तरह समर्थकों को आगे कर दोनों पक्षों की बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता नजर आई, ऐसे में यह दूरी जनता के बीच भी जगजाहिर हो गई है। सीएम तक भी पहुंच गई बातबताया जा रहा है कि यहां की गुटबाजी की खबर जब मुख्यमंत्री तक पहुंची तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वयं आकर लोकार्पण की स्वीकृति दे दी लेकिन लगा कि कहीं मंच में कोई हंगामा न हो जाए, यह देखकर मुख्यमंत्री ने भी एक दिन पहले कार्यक्रम को वर्चुअल ही लोकार्पित कर दिया। दोनों ही हैं बड़े नेताआपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर—चंबल के बड़े नेता हैं। नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं। इससे पहले वे केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और उससे भी पहले वह मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे हैं। वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना—शिवपुरी लोकसभा सीट से सांसद हैं। वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं।
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