नई दिल्ली: देश के दक्षिणी राज्य उत्तरी राज्यों की तुलना में ज्यादा अमीर हैं लेकिन कर्ज के मामले में भी वे बहुत आगे हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की द्वि-वार्षिक पत्रिका सर्वेक्षण के मुताबिक कर्ज लेने के मामले में आंध्र प्रदेश देश में पहले नंबर पर है। इस राज्य में 43.7% लोगों पर कर्ज है। यानी हर पांच में से दो लोगों पर कर्ज है। इसके बाद तेलंगाना (37.2%), केरल (29.9%), तमिलनाडु (29.4%), पुड्डुचेरी (28.3%)और कर्नाटक (23.2%) का नंबर है। जानकारों का कहना है कि दक्षिणी राज्यों में ज्यादा अमीरी के कारण वहां के लोग ज्यादा कर्ज लेने और उसे चुकाने में सक्षम हैं।
दिल्ली में कर्ज लेने वाले लोगों की संख्या सबसे कम है। राजधानी में केवल 3.4 फीसदी लोगों पर कर्ज है। इसके बाद छत्तीसगढ़ (6.5%), असम (7.1%), गुजरात (7.2%), झारखंड (7.5%), पश्चिम बंगाल (8.5%) और हरियाणा (8.9%) का नंबर है। यह स्टडी एनएसओ के 78वें मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे पर आधारित है। यह सर्वे 2020-21 में किया गया था। इसके मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर करीब 15% वयस्क लोगों पर कर्ज है।
दक्षिणी राज्य क्यों हैं आगे?
स्टडी में 15 साल और उससे अधिक आयु के लोगों कर्जदार माना गया जिन्होंने किसी संस्थान या नॉन-इंस्टीट्यूशनल सोर्स से कम से कम 500 रुपये का कर्ज लिया था। इसके मुताबिक शहरी इलाकों में कर्जदारों की संख्या 15% और ग्रामीण इलाकों में 14% थी। जानकारों का कहना है कि दक्षिणी राज्यों में लोगों के पास ज्यादा डिस्पोजेबल इनकम है। उनका क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेश्यो भी बाकी राज्यों की तुलना में अधिक है। इसलिए बैंकों को भी कर्ज देने में कोई गुरेज नहीं है।
दिल्ली में कर्ज लेने वाले लोगों की संख्या सबसे कम है। राजधानी में केवल 3.4 फीसदी लोगों पर कर्ज है। इसके बाद छत्तीसगढ़ (6.5%), असम (7.1%), गुजरात (7.2%), झारखंड (7.5%), पश्चिम बंगाल (8.5%) और हरियाणा (8.9%) का नंबर है। यह स्टडी एनएसओ के 78वें मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे पर आधारित है। यह सर्वे 2020-21 में किया गया था। इसके मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर करीब 15% वयस्क लोगों पर कर्ज है।
दक्षिणी राज्य क्यों हैं आगे?
स्टडी में 15 साल और उससे अधिक आयु के लोगों कर्जदार माना गया जिन्होंने किसी संस्थान या नॉन-इंस्टीट्यूशनल सोर्स से कम से कम 500 रुपये का कर्ज लिया था। इसके मुताबिक शहरी इलाकों में कर्जदारों की संख्या 15% और ग्रामीण इलाकों में 14% थी। जानकारों का कहना है कि दक्षिणी राज्यों में लोगों के पास ज्यादा डिस्पोजेबल इनकम है। उनका क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेश्यो भी बाकी राज्यों की तुलना में अधिक है। इसलिए बैंकों को भी कर्ज देने में कोई गुरेज नहीं है।
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