गुवाहाटी : असम की BJP सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार उन लोगों को ढूंढ रही है जिन्हें विदेशी ट्रिब्यूनल ने अवैध घोषित कर दिया है। सरकार ऐसे लोगों को भारत और बांग्लादेश के बीच की सीमा पर वापस भेज रही है। 27 और 29 मई को पश्चिमी और दक्षिणी असम से कम से कम 49 घोषित विदेशी नागरिकों को वापस भेजा गया। इसके बाद तीन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट और गुवाहाटी हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इन लोगों को डर है कि उनके परिवार के सदस्यों को भी वापस भेज दिया गया है। उन्होंने कोर्ट से इस ड्राइव को रोकने की मांग की है।
असम के CM हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि 30,000 लोग, जिन्हें सालों से अलग-अलग ट्रिब्यूनल ने विदेशी नागरिक घोषित किया है, वे गायब हो गए हैं। हमने उन्हें ढूंढने की प्रक्रिया को तेज करने का फैसला किया है। NRC को अपडेट करने के दौरान यह काम रोक दिया गया था।
क्या बोले हिमंत बिस्व सरमाहिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि जैसे ही हमें वे मिलेंगे, हम कानून के अनुसार कार्रवाई करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में कई लोगों को वापस भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि एक घोषित विदेशी नागरिक हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। अगर किसी ने हाई कोर्ट में अपील नहीं की है, तो भारत में रहने का उसका अधिकार खत्म हो जाता है। लेकिन अगर कोई घोषित विदेशी यह दिखाता है कि उसने अपील की है, तो हम उसे परेशान नहीं कर रहे हैं।
इस तरह के लोग अवैध सरमा ने यह भी कहा कि अगर न्यायपालिका ने (उन्हें विदेशियों घोषित करने वाले ट्रिब्यूनल के आदेश पर) रोक लगा दी है, तो हम न्यायपालिका का सम्मान कर रहे हैं और हमने ऐसे लोगों को रहने की अनुमति दी है। CM सरमा ने बताया कि दो तरह के अवैध लोग हैं - एक, जो अभी-अभी आए हैं और दूसरे, जिन्हें ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा थाअसम सीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने (फरवरी में) आदेश दिया था कि जिन घोषित विदेशियों ने कोई अपील नहीं की है, उन्हें किसी भी तरह से वापस भेजा जाना चाहिए। कल ही 35 बांग्लादेशी जो कुछ दिन पहले आए थे, मेघालय के पास सिलचर में सीमा पर पाए गए, और उन्हें तुरंत वापस भेज दिया गया।
चाचा की तरफ से की याचिकागुवाहाटी हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो भाइयों के बारे में जानकारी देने को कहा। इन दोनों को ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में उन्हें सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया गया था। तोरप अली नाम के एक व्यक्ति अबू बकर सिद्दीक और अकबर अली का भतीजा है। उसने अपनी याचिका में कहा कि उसके परिवार को डर है कि उसके दोनों चाचाओं को गैरकानूनी रूप से बांग्लादेश में धकेला जा सकता है।
4 जून की सुनवाईइन दोनों को 2017 में एक ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित कर दिया था और गोलपारा में एक ट्रांजिट कैंप में भेज दिया गया था। SC के एक आदेश के बाद 2020 में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था। SC ने कहा था कि जिन्हें दो साल से अधिक समय से हिरासत में रखा गया है, उन्हें जमानत पर रिहा किया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि पुलिस ने उन्हें 24 मई को हिरासत में ले लिया था और अधिकारियों ने उनके ठिकाने के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई 4 जून को तय की है।
इसी तरह, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह सोमवार को एक 26 वर्षीय व्यक्ति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करेगा। याचिका में कहा गया है कि उसकी मां, मनोवारा बेवा, जो धुबरी की रहने वाली हैं और जिन्हें विदेशी घोषित किया गया है, को 24 मई को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था और तब से उनका कोई पता नहीं है।
असम के CM हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि 30,000 लोग, जिन्हें सालों से अलग-अलग ट्रिब्यूनल ने विदेशी नागरिक घोषित किया है, वे गायब हो गए हैं। हमने उन्हें ढूंढने की प्रक्रिया को तेज करने का फैसला किया है। NRC को अपडेट करने के दौरान यह काम रोक दिया गया था।
क्या बोले हिमंत बिस्व सरमाहिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि जैसे ही हमें वे मिलेंगे, हम कानून के अनुसार कार्रवाई करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में कई लोगों को वापस भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि एक घोषित विदेशी नागरिक हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। अगर किसी ने हाई कोर्ट में अपील नहीं की है, तो भारत में रहने का उसका अधिकार खत्म हो जाता है। लेकिन अगर कोई घोषित विदेशी यह दिखाता है कि उसने अपील की है, तो हम उसे परेशान नहीं कर रहे हैं।
इस तरह के लोग अवैध सरमा ने यह भी कहा कि अगर न्यायपालिका ने (उन्हें विदेशियों घोषित करने वाले ट्रिब्यूनल के आदेश पर) रोक लगा दी है, तो हम न्यायपालिका का सम्मान कर रहे हैं और हमने ऐसे लोगों को रहने की अनुमति दी है। CM सरमा ने बताया कि दो तरह के अवैध लोग हैं - एक, जो अभी-अभी आए हैं और दूसरे, जिन्हें ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा थाअसम सीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने (फरवरी में) आदेश दिया था कि जिन घोषित विदेशियों ने कोई अपील नहीं की है, उन्हें किसी भी तरह से वापस भेजा जाना चाहिए। कल ही 35 बांग्लादेशी जो कुछ दिन पहले आए थे, मेघालय के पास सिलचर में सीमा पर पाए गए, और उन्हें तुरंत वापस भेज दिया गया।
चाचा की तरफ से की याचिकागुवाहाटी हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो भाइयों के बारे में जानकारी देने को कहा। इन दोनों को ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में उन्हें सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया गया था। तोरप अली नाम के एक व्यक्ति अबू बकर सिद्दीक और अकबर अली का भतीजा है। उसने अपनी याचिका में कहा कि उसके परिवार को डर है कि उसके दोनों चाचाओं को गैरकानूनी रूप से बांग्लादेश में धकेला जा सकता है।
4 जून की सुनवाईइन दोनों को 2017 में एक ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित कर दिया था और गोलपारा में एक ट्रांजिट कैंप में भेज दिया गया था। SC के एक आदेश के बाद 2020 में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था। SC ने कहा था कि जिन्हें दो साल से अधिक समय से हिरासत में रखा गया है, उन्हें जमानत पर रिहा किया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि पुलिस ने उन्हें 24 मई को हिरासत में ले लिया था और अधिकारियों ने उनके ठिकाने के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई 4 जून को तय की है।
इसी तरह, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह सोमवार को एक 26 वर्षीय व्यक्ति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करेगा। याचिका में कहा गया है कि उसकी मां, मनोवारा बेवा, जो धुबरी की रहने वाली हैं और जिन्हें विदेशी घोषित किया गया है, को 24 मई को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था और तब से उनका कोई पता नहीं है।
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