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यूपी में SIR प्रक्रिया शुरू होते ही सपा ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया, जाति-धर्म वाला संगीन आरोप

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अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: बिहार के बाद अब देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) शुरू हो गया है। चुनाव आयोग ने सोमवार को इसकी औपचारिक घोषणा भी कर दी थी। लेकिन SIR प्रक्रिया शुरू होते ही समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से गंभीर शिकायत की है। सपा ने आरोप लगाया है कि मतदाता सूची तैयार करने में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों की पोस्टिंग जाति और धर्म के आधार पर की गई है, जिससे निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

इस संबंध में सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की मांग की है। ज्ञापन में कहा कि प्रदेश के 1,62,486 पोलिंग स्टेशनों पर नियुक्त बीएलओ, 403 विधानसभा क्षेत्रों में ईआरओ और सभी जिलों में एडीएम (इलेक्शन) की नियुक्तियां जाति और धर्म के आधार पर की गई हैं। सपा का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया बीजेपी सरकार की मानसिकता को दर्शाती है।

समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि बीएलओ और अधिकारियों की नियुक्ति में भेदभाव किया गया है। ज्ञापन के जरिये बताया गया कि 2024 में हुए विधानसभा उपचुनावों जैसे कानपुर नगर की सीसामऊ विधानसभा और अम्बेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा में भी इसी तरह की शिकायतें की गई थी। उन चुनावों में भी बीएलओ को जाति और धर्म के आधार पर बदला गया था, लेकिन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।


सपा ने अपने ज्ञापन में कहा कि मतदान कर्मियों, पीठासीन अधिकारियों और मतगणना कर्मियों की नियुक्ति में भी इसी तरह की पक्षपातपूर्ण नीति अपनाई गई थी। सपा ने आरोप लगाया कि भारत निर्वाचन आयोग ने इन शिकायतों पर कोई कदम नहीं उठाया और मूकदर्शक की भूमिका में बना रहा था।


वहीं सपा ने मांग की है कि SIR की प्रक्रिया शुरू करने से पहले सभी विवादित नियुक्तियों को रद्द किया जाए। साथ ही सपा ने यह भी मांग है कि बिना भेदभाव के सभी जाति और धर्म के लोगों को शामिल कर पारदर्शी तरीके से अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। ताकि मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया निष्पक्ष हो और भारत निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न ना लगे।
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