लखनऊ: वक्फ कानून पर छिड़ी बहस के बहाने यूपी में भी सियासी गोलबंदी तेज हो गई है। सत्तारूढ़ भाजपा ध्रुवीकरण के साथ ही मुस्लिमों के एक धड़े में पैठ के लिए मौका तैयार करने में जुट गई है। वहीं, अल्पसंख्यकों वोटों की लामबंदी के लिए सभी विपक्षी दलों ने अपने तेवर तीखे कर दिए हैं। माना जा रहा है कि कानून के अमल में आने पर शुरू होने वाली कार्रवाइयों के बाद सियासी जंग और तेज होगी।यूपी में मौसम के गर्म थपेड़ों के बीच संभल से लेकर सड़क से नमाज तक जैसे मसलों पर सरकार के सख्त तेवरों के चलते सियासी पारा भी चढ़ा हुआ है। इस बीच वक्फ कानून को लेकर सड़क से संसद तक चली बहस ने सरगर्मी और बढ़ा दी है। अब, पक्ष-विपक्ष के सियासी रणनीतिकारों ने इसके सियासी नफा-नुकसान के हिसाब से कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया है। फायदा बता नुकसान करने की रणनीतिवक्फ बिल को मुस्लिमों की जमीन हड़पने की साजिश के आरोपों के बीच सतारूढ़ भाजपा इसके फायदा बता विपक्ष का नुकसान करने के लिए जमीन पर उतरेगी। ट्रिपल तलाक, पसमांदा मुस्लिमों की तरफदारी जैसे कदमों के जरिए पार्टी पहले ही मुस्लिमों में उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास कर चुकी है। वक्फ बिल को सुधार के साथ ही इस सियासी अजेंडे का विस्तार भी माना जा रहा है।
पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चे के जरिए मुस्लिम बस्तियों, खासकर पिछड़े, गरीब मुस्लिमों के जरिए यह समझाने में जुटेगी कि वक्फ बोर्डों के जरिए पहले उनका हक मारा जा रहा था। इन सुधारों से उनकी भागीदारी बढ़ेगी और उनके हक की आवाज बुलंद होगी। इसके लिए यूपी में पार्टी ने तीन सदस्यीय कमिटी बनाई है। केंद्रीय नेतृत्व प्रदेशों के साथ कार्यशालाएं आयोजित कर इसके लिए जमीनी अभियानों की दशा-दिशा भी तय कर रहा है।
सधे कदमों संग विरोध की ओर विपक्षविपक्षी दलों ने वक्फ पर भाजपा के खिलाफ आवाज तल्ख की है लेकिन विरोध के लिए उठ रहे कदम सधे हुए हैं। विपक्ष चाहता है कि वह अल्पसंख्यकों के साथ खड़े भी दिखे और इसके जरिए ध्रुवीकरण को भी धार न मिलने पाए। पिछले चुनावों में एकमुश्त अल्पसंख्यक वोट पाने वाली सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने सार्वजनिक तौर पर आगाह भी किया। उन्होंने कहा, 'भाजपा चाहती है कि वक़्फ़ बिल लाने से मुस्लिम समुदाय को लगे कि उनके हक़ को मारा जा रहा है, वो उद्वेलित हों और भाजपा को ध्रुवीकरण की राजनीति करने का मौक़ा मिल सके।'
सूत्रों का कहना है कि सपा इस मुद्दे पर संयमित आक्रामकता की ही रणनीति पर आगे बढ़ेगी। वहीं, तमाम कोशिशों के बाद भी अल्पसंख्यकों को पाले में करने में असफल रही बसपा भी वक्फ बिल पर सशर्त विरोध कर रही है। बसपा प्रमुख मायावती ने सुझाव ही दिया है कि केंद्र सरकार यदि जनता को इस बिल को समझने के लिए कुछ और समय दे देती और उनके सभी संदेहों को भी दूर करके जब इस बिल को लाती तो यह बेहतर होता।
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