सुमित शर्मा, कानपुर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का आने वाले समय में जीवन का एक अहम हिस्सा बनने जा रहा है। छात्रों और शोधार्थियों को एआई तकनीक सिखाने के लिए और उसके प्रयोग के लिए प्रदेश में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंटर खोला जाएगा। सबसे बड़ी बात है कि इसकी जिम्मेदारी डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) को सौंपी जाएगी।
एचबीटीयू के दीक्षांत समारोह में प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सेंटर के लिए जगह चिन्हित की जा रही है। सेंटर को लखनऊ, नोएडा और कानपुर किसी एक जगह खोलने की तैयारी है। इससे छात्रों, उद्योग और समाज को बड़ा लाभ मिलेगा।
स्टार्टअप्स की संभावनाएंछात्रों को आधुनिक तकनीक पर शोध प्रशिक्षण के अवसर प्राप्त होंगे। उद्योग जगत को एआई आधारित समाधान और प्रशिक्षित मानव संसाधन आसानी से उपलब्ध होंगे। एआई सेंटर से स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा क्षेत्रों में स्मार्ट समाधान विकसित होंगे। स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार स्टार्टअप्स की संभावनाएं बढ़ेंगी।
संस्थान को नहीं भूले छात्रउन्होंने छात्रों से कहा कि शिक्षा का विकास सीधे देश की तरक्की से जुड़ा है। छात्र जितनी भी ऊंचाई पर जाएं लेकिन संस्थान को कभी भी नहीं भूले। प्रदेश के संस्थानों के बीच स्वास्थ्य प्रस्तिपर्धा जगाने के लिए अब स्टेट इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क की तर्ज पर इसे शुरू किया जाएगा। हालांकि डिप्लोमा कोर्स में एसआईआरएफ की शुरुआत हो चुकी है।
एचबीटीयू के दीक्षांत समारोह में प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सेंटर के लिए जगह चिन्हित की जा रही है। सेंटर को लखनऊ, नोएडा और कानपुर किसी एक जगह खोलने की तैयारी है। इससे छात्रों, उद्योग और समाज को बड़ा लाभ मिलेगा।
स्टार्टअप्स की संभावनाएंछात्रों को आधुनिक तकनीक पर शोध प्रशिक्षण के अवसर प्राप्त होंगे। उद्योग जगत को एआई आधारित समाधान और प्रशिक्षित मानव संसाधन आसानी से उपलब्ध होंगे। एआई सेंटर से स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा क्षेत्रों में स्मार्ट समाधान विकसित होंगे। स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार स्टार्टअप्स की संभावनाएं बढ़ेंगी।
संस्थान को नहीं भूले छात्रउन्होंने छात्रों से कहा कि शिक्षा का विकास सीधे देश की तरक्की से जुड़ा है। छात्र जितनी भी ऊंचाई पर जाएं लेकिन संस्थान को कभी भी नहीं भूले। प्रदेश के संस्थानों के बीच स्वास्थ्य प्रस्तिपर्धा जगाने के लिए अब स्टेट इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क की तर्ज पर इसे शुरू किया जाएगा। हालांकि डिप्लोमा कोर्स में एसआईआरएफ की शुरुआत हो चुकी है।
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