जयपुर: राजस्थान में अंतरजातीय विवाह करने पर मिलने वाली 10 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि को पाने के लिए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां एक ही जोड़े के पास दो-दो विवाह प्रमाणपत्र मिले। कुछ कपल लिव-इन में रहते हुए बच्चों की जानकारी छिपाकर मैरिज सर्टिफिकेट बनवा रहे हैं। वहीं, कई लोग यूपी-बिहार या अन्य राज्यों के युवक-युवतियों से विवाह कर दस्तावेजों में हेरफेर कर आवेदन दे रहे हैं।एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को कुल 1295 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से करीब 30 फीसदी (29.88%) यानी 387 को खारिज कर दिया गया। जांच में सामने आया कि दस्तावेजों में नाम, जन्मतिथि की गलत जानकारी और संपत्ति की अधिकता जैसी अनियमितताएं प्रमुख कारण रहीं। वहीं वर-वधु के राज्य का निवासी होने के नियम को भी दरकिनार कर आवेदन करना सामने आया है। कोटा के एक कपल ने तो लिव-इन में रहते पैदा हुए 2 साल के बच्चे की जानकारी तक आवेदन से गायब कर दी।
समाज के बाहर शादी को प्रोत्साहन! राजस्थान सरकार की योजना क्या है?राज्य सरकार की डॉ. सविता बेन अंबेडकर अंतरजातीय विवाह योजना के तहत अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को 10 लाख रुपए की सहायता दी जाती है। इसमें से 5 लाख रुपए आठ वर्षों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट किए जाते हैं, जबकि शेष 5 लाख रुपए दंपती के संयुक्त खाते में जमा किए जाते हैं। इस योजना की 75% राशि राज्य सरकार और 25% राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है। फर्जीवाड़े को प्रोत्साहन? कार्रवाई नहीं होने से बढ़ रहे गलत आवेदनहालांकि कई फर्जी दस्तावेजों के मामले सामने आए हैं, लेकिन अब तक किसी पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है। समाज कल्याण अधिकारियों का कहना है कि जिनके दस्तावेज पूरे होंगे, उन्हें लाभ मिलेगा, अधूरे दस्तावेज होने पर नुकसान केवल लाभार्थी का होगा। अधिकारियों का मानना है कि यह एक प्रोत्साहन योजना है, और अधिकतर मामलों में मामूली त्रुटियां ही पाई गई हैं। वहीं यह भी माना जा रहा है कि नियमों में उल्लेख के बावजूद ऐसे आवेदन बढ़ रहे हैं जिन्हें प्रोत्साहन राशि नहीं मिल सकती, लेकिन गलत आवेदनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर इनकी संख्या कम नहीं हो रही है।
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