पटना: चुनावी राज्य बिहार को इस साल 2025 में कई एक्सप्रेस वे मिले हैं। हालांकि अभी बिहार में कोई भी एक्सप्रेसवे पूरी तरह से चालू नहीं हुआ है, लेकिन राज्य का एक्सप्रेसवे नेटवर्क तेजी से विकसित हो रहा है। 2025 का साल बिहार के सड़क बुनियादी ढांचे के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा है, क्योंकि कई प्रमुख एक्सप्रेसवे परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ है या उन्हें केंद्र सरकार से मंजूरी मिली है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे अमास-दरभंगा एक्सप्रेसवे है, जिसका 2025 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद थी। हालांकि काम रुकने की वजह से अब ये एक्सप्रेसवे 2026 तक पूरा होने की चर्चा है।
बिहार में निर्माणाधीन या स्वीकृत एक्सप्रेसवे कितने? अमास-दरभंगा एक्सप्रेसवे (NH-119D): यह बिहार का पहला ग्रीनफ़ील्ड एक्सप्रेसवे है। ये एक्सप्रेसवे गयाजी के पास अमास से शुरू होकर दरभंगा तक जाएगा और लगभग 189 किलोमीटर लंबा है। यह भारतमाला परियोजना के तहत बनाया जा रहा है। यह एक्सप्रेसवे अरवल, जहानाबाद, पटना, वैशाली और समस्तीपुर सहित सात जिलों से होकर गुजरेगा। इस परियोजना के 2026 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
बिहार से होकर गुजरने वाले दो बड़े ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे।
वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे: यह 6-लेन, 710 किलोमीटर लंबा एक्सेस-कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे है। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ेगा। इसका निर्माण कार्य जारी है और यह पूरा होने पर यूपी और बंगाल के बीच सीधा और तेज संपर्क प्रदान करेगा।
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे: यह 6-लेन का हाई-स्पीड कॉरिडोर है, जो यूपी के गोरखपुर से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक जाएगा। यह उत्तरी बिहार के पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण और किशनगंज समेत आठ जिलों से होकर गुजरेगा।
2025 में मिली प्रमुख मंजूरी और परियोजनाएं
2025 के दौरान बिहार के लिए कई अन्य महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे और हाई-स्पीड कॉरिडोर को मंजूरी मिली है, इसमें पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे, बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर, मोकामा-मुंगेर हाई-स्पीड कॉरिडोर, साहेबगंज-अरेराज-बेतिया एक्सप्रेसवे और रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे प्रमुख रूप से शामिल हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में....
पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे: केंद्र सरकार की ओर से 2025 की शुरुआत में 282 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे को मंजूरी दी गई। इसका निर्माण इसी साल शुरू होने की उम्मीद है। यह पटना (दिघवारा तक विस्तार के माध्यम से) को पूर्णिया से जोड़ेगा।
बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर: सितंबर 2025 में इस कॉरिडोर के 82.4 किलोमीटर के 4-लेन सेक्शन (मोकामा-मुंगेर) को मंजूरी मिली। यह पूर्वी बिहार में यात्रा के समय को काफी कम करेगा।
मोकामा-मुंगेर हाई-स्पीड कॉरिडोर: यह 4-लेन सेक्शन सितंबर 2025 में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया, जो मोकामा, मुंगेर और भागलपुर को जोड़ेगा।
साहेबगंज-अरेराज-बेतिया एक्सप्रेसवे (NH-139W): लगभग 79 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली इस 4-लेन परियोजना को भी सितंबर 2025 में मंजूरी मिली।
रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे: रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे 692 किलोमीटर लंबा, 6-लेन वाला एक्सेस-कंट्रोल एक्सप्रेसवे होगा, जो बिहार के रक्सौल को पटना होते हुए पश्चिम बंगाल के हल्दिया बंदरगाह से जोड़ेगा। इस मार्ग को मंजूरी मिल चुकी है। इससे उत्तरी बिहार और नेपाल के बीच व्यापार में सुधार होगा।
माना जा रहा है कि इन सभी एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट्स के पूरा होने के बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच डायरेक्ट हाई-स्पीड कनेक्शन स्थापित हो जाएगा। इससे व्यापार, यात्रा और औद्योगिक विकास को बड़ी बढ़त मिलेगी।
बिहार में निर्माणाधीन या स्वीकृत एक्सप्रेसवे कितने? अमास-दरभंगा एक्सप्रेसवे (NH-119D): यह बिहार का पहला ग्रीनफ़ील्ड एक्सप्रेसवे है। ये एक्सप्रेसवे गयाजी के पास अमास से शुरू होकर दरभंगा तक जाएगा और लगभग 189 किलोमीटर लंबा है। यह भारतमाला परियोजना के तहत बनाया जा रहा है। यह एक्सप्रेसवे अरवल, जहानाबाद, पटना, वैशाली और समस्तीपुर सहित सात जिलों से होकर गुजरेगा। इस परियोजना के 2026 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
बिहार से होकर गुजरने वाले दो बड़े ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे।
वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे: यह 6-लेन, 710 किलोमीटर लंबा एक्सेस-कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे है। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ेगा। इसका निर्माण कार्य जारी है और यह पूरा होने पर यूपी और बंगाल के बीच सीधा और तेज संपर्क प्रदान करेगा।
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे: यह 6-लेन का हाई-स्पीड कॉरिडोर है, जो यूपी के गोरखपुर से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक जाएगा। यह उत्तरी बिहार के पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण और किशनगंज समेत आठ जिलों से होकर गुजरेगा।
2025 में मिली प्रमुख मंजूरी और परियोजनाएं
2025 के दौरान बिहार के लिए कई अन्य महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे और हाई-स्पीड कॉरिडोर को मंजूरी मिली है, इसमें पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे, बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर, मोकामा-मुंगेर हाई-स्पीड कॉरिडोर, साहेबगंज-अरेराज-बेतिया एक्सप्रेसवे और रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे प्रमुख रूप से शामिल हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में....
पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे: केंद्र सरकार की ओर से 2025 की शुरुआत में 282 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे को मंजूरी दी गई। इसका निर्माण इसी साल शुरू होने की उम्मीद है। यह पटना (दिघवारा तक विस्तार के माध्यम से) को पूर्णिया से जोड़ेगा।
बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर: सितंबर 2025 में इस कॉरिडोर के 82.4 किलोमीटर के 4-लेन सेक्शन (मोकामा-मुंगेर) को मंजूरी मिली। यह पूर्वी बिहार में यात्रा के समय को काफी कम करेगा।
मोकामा-मुंगेर हाई-स्पीड कॉरिडोर: यह 4-लेन सेक्शन सितंबर 2025 में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया, जो मोकामा, मुंगेर और भागलपुर को जोड़ेगा।
साहेबगंज-अरेराज-बेतिया एक्सप्रेसवे (NH-139W): लगभग 79 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली इस 4-लेन परियोजना को भी सितंबर 2025 में मंजूरी मिली।
रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे: रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे 692 किलोमीटर लंबा, 6-लेन वाला एक्सेस-कंट्रोल एक्सप्रेसवे होगा, जो बिहार के रक्सौल को पटना होते हुए पश्चिम बंगाल के हल्दिया बंदरगाह से जोड़ेगा। इस मार्ग को मंजूरी मिल चुकी है। इससे उत्तरी बिहार और नेपाल के बीच व्यापार में सुधार होगा।
माना जा रहा है कि इन सभी एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट्स के पूरा होने के बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच डायरेक्ट हाई-स्पीड कनेक्शन स्थापित हो जाएगा। इससे व्यापार, यात्रा और औद्योगिक विकास को बड़ी बढ़त मिलेगी।
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