अहमदाबाद/सिरमौर: कभी-कभी इंसान का किसी वस्तु से लगाव इतना गहरा हो जाता है कि वह उसका सिर्फ शौक नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा बन जाती है। वह हमारी पहचान बन जाती है और हमारे सपनों का साथी बनती है। ऐसा ही रिश्ता होता है कुछ युवाओं का अपनी बाइक से। उनके लिए बाइक सिर्फ एक सवारी नहीं, बल्कि आज़ादी, रफ्तार, जुनून और भावनाओं का प्रतीक होती है। आज हम आपको गुजरात के क्रिश परमार और हिमाचल के करण शर्मा की कहानी बताने जा रहे हैं। दो अलग-अलग राज्यों इन दोनों युवाओं का जीवन असमय एक हादसे में थम गया। लेकिन उनकी बाइक के प्रति प्रेम और लगाव इतना गहरा था कि उनके परिवार और दोस्तों ने उन्हें उसी साथी के साथ विदा किया, जिसे वे सबसे ज्यादा चाहते थे।
अंतिम यात्रा में बाइक भी चली साथ
पहली कहानी है हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के उंगर कांडो गांव के करण शर्मा की। 24 वर्षीय करण को भी अपनी बाइक से बेहद लगाव था। लोग उसे 'बाइक राइडर' के नाम से जानते थे। इसी साल 24 अप्रैल को करंट लगने से करण की मौत हो गई। जब उसकी अंतिम यात्रा गिरि नदी के किनारे निकाली गई तो करण की बाइक को उसकी अंतिम यात्रा में शामिल किया गया था। उसकी बाइक को चिता के पास खड़ा किया गया। उसके कई दोस्त भी बाइक लेकर अंतिम विदाई देने पहुंचे थे। यह दृश्य देख वहां मौजूद सैकड़ों लोगों की आंखें भर आईं थी। करण भले ही अब इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन उसकी बाइक से उसका प्यार लोगों के दिलों में हमेशा के लिए रह गया। यह सिर्फ एक अंतिम संस्कार नहीं, बल्कि एक युवा के जुनून को श्रद्धांजलि थी।
जब बेटे के साथ दफनाई गई उसकी प्यारी बाइक
वहीं गुजरात के नडियाद के पास उत्तर्संडा गांव में रहने वाले 18 वर्षीय क्रिश परमार की बाइक के साथ ऐसी ही एक भावुक कहानी जुड़ी हुई है। क्रिश, अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। वह हाल ही में 12वीं की परीक्षा पास करके BCA की पढ़ाई के लिए दाखिला लेने की तैयारी में था। लेकिन 26 मई को, जब वह आणंद से रजिस्ट्रेशन करवाकर घर लौट रहा था, उसकी बाइक की एक ट्रैक्टर-ट्रॉली से टक्कर हो गई। गंभीर चोटों के कारण वह अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां 12 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जूझने के बाद उसने अंतिम सांस ली। क्रिश को बाइक से बेहद लगाव था। वह अपनी बाइक से बहुत प्यार करता था। यही कारण रहा कि जब उसका अंतिम संस्कार किया गया, तो परिवार ने उसकी अंतिम इच्छा और लगाव का सम्मान करते हुए उसकी बाइक को भी कब्र में दफना दिया। साथ ही उसके कपड़े, जूते और चश्मा भी साथ रखे गए।
अंतिम समय में भी साथ रही बाइक
गांव के लोगों और रिश्तेदारों ने जब यह दृश्य देख तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। ऐसी विदाई बहुत कम देखने को मिलती है, जहां किसी की पसंदीदा चीजें भी उसके अंतिम सफर में साथ जाती हैं। इन दोनों युवाओं की कहानियां बताती हैं कि भावनाएं सिर्फ रिश्तों में नहीं, रुचियों और चीजों में भी होती हैं। क्रिश और करण की बाइक से जुड़ी भावनाएं उनकी आखिरी विदाई तक उनके साथ रहीं।
अंतिम यात्रा में बाइक भी चली साथ
पहली कहानी है हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के उंगर कांडो गांव के करण शर्मा की। 24 वर्षीय करण को भी अपनी बाइक से बेहद लगाव था। लोग उसे 'बाइक राइडर' के नाम से जानते थे। इसी साल 24 अप्रैल को करंट लगने से करण की मौत हो गई। जब उसकी अंतिम यात्रा गिरि नदी के किनारे निकाली गई तो करण की बाइक को उसकी अंतिम यात्रा में शामिल किया गया था। उसकी बाइक को चिता के पास खड़ा किया गया। उसके कई दोस्त भी बाइक लेकर अंतिम विदाई देने पहुंचे थे। यह दृश्य देख वहां मौजूद सैकड़ों लोगों की आंखें भर आईं थी। करण भले ही अब इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन उसकी बाइक से उसका प्यार लोगों के दिलों में हमेशा के लिए रह गया। यह सिर्फ एक अंतिम संस्कार नहीं, बल्कि एक युवा के जुनून को श्रद्धांजलि थी।
जब बेटे के साथ दफनाई गई उसकी प्यारी बाइक
वहीं गुजरात के नडियाद के पास उत्तर्संडा गांव में रहने वाले 18 वर्षीय क्रिश परमार की बाइक के साथ ऐसी ही एक भावुक कहानी जुड़ी हुई है। क्रिश, अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। वह हाल ही में 12वीं की परीक्षा पास करके BCA की पढ़ाई के लिए दाखिला लेने की तैयारी में था। लेकिन 26 मई को, जब वह आणंद से रजिस्ट्रेशन करवाकर घर लौट रहा था, उसकी बाइक की एक ट्रैक्टर-ट्रॉली से टक्कर हो गई। गंभीर चोटों के कारण वह अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां 12 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जूझने के बाद उसने अंतिम सांस ली। क्रिश को बाइक से बेहद लगाव था। वह अपनी बाइक से बहुत प्यार करता था। यही कारण रहा कि जब उसका अंतिम संस्कार किया गया, तो परिवार ने उसकी अंतिम इच्छा और लगाव का सम्मान करते हुए उसकी बाइक को भी कब्र में दफना दिया। साथ ही उसके कपड़े, जूते और चश्मा भी साथ रखे गए।
अंतिम समय में भी साथ रही बाइक
गांव के लोगों और रिश्तेदारों ने जब यह दृश्य देख तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। ऐसी विदाई बहुत कम देखने को मिलती है, जहां किसी की पसंदीदा चीजें भी उसके अंतिम सफर में साथ जाती हैं। इन दोनों युवाओं की कहानियां बताती हैं कि भावनाएं सिर्फ रिश्तों में नहीं, रुचियों और चीजों में भी होती हैं। क्रिश और करण की बाइक से जुड़ी भावनाएं उनकी आखिरी विदाई तक उनके साथ रहीं।
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