नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जून 2025 में अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुए लंदन जाने वाले एयर इंडिया विमान के पायलट को किसी भी प्रकार का दोष नहीं दिया जा सकता। इस हादसे में 260 लोगों की मौत हुई थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की बेंच उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसे कमांडर सुमीत सभरवाल के पिता पुष्कर राज सभरवाल ने दाखिल किया था। सुमीत सभरवाल इस हादसे में मारे गए पायलटों में से एक थे। याचिका में इस दुर्घटना की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की गई थी।
सीनियर वकील गोपाल शंकरनारायणन याचिकाकर्ता की ओर पेश हुए और दलील दी कि एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा की जा रही मौजूदा जांच स्वतंत्र नहीं है। उन्होंने अदालत से कहा कि याची विमान के कमांडर के पिता हैं। उनकी उम्र 91 वर्ष है। यह जांच निष्पक्ष नहीं है, जबकि इसे स्वतंत्र होना चाहिए था। चार महीने बीत चुके हैं।” उन्होंने एयरक्राफ्ट इन्वेस्टिगेशन ऑफ एक्सिडेंट्स एंड इंसिडेंट्स रूल्स के नियम 12 के तहत न्यायिक निगरानी में जांच कराने की मांग की, जो जांच में निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और कहा कि यह मामला 10 नवंबर को एक अन्य संबंधित मामले के साथ सुना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने मौखिक टिप्पणी में याचिकाकर्ता की उस चिंता पर प्रतिक्रिया दी कि कहीं उनके दिवंगत पुत्र को इस हादसे के लिए अनुचित रूप से दोषी न ठहराया जाए।
अदालत ने मौखिक तौर पर कहा कि यह हादसा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन आपको यह बोझ नहीं उठाना चाहिए कि आपके बेटे को दोष दिया जा रहा है। किसी को भी उन्हें किसी बात के लिए दोष नहीं देना चाहिए। जस्टिस बागची ने भी स्पष्ट किया कि AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट के खिलाफ कोई संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि एक पायलट ने पूछा कि क्या ईंधन कट ऑफ किया गया, दूसरे ने कहा नहीं। रिपोर्ट में किसी गलती का कोई उल्लेख नहीं है।
शंकरनारायणन ने यह भी बताया कि बोइंग विमानों से जुड़ी वैश्विक सुरक्षा चिंताएँ लगातार बनी हुई हैं, और अहमदाबाद की यह दुर्घटना उसी व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखी जानी चाहिए। इस पर जस्टिस बागची ने कहा कि अगर जांच प्रक्रिया पर ही आपत्ति है, तो इसका अर्थ है कि आपको कानून की वैधानिक व्यवस्था को ही चुनौती देनी होगी। याचिकाकर्ता ने अदालत का ध्यान वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक लेख की ओर भी दिलाया, जिसमें कथित तौर पर एक अज्ञात भारतीय सरकारी स्रोत के हवाले से पायलट की गलती बताई गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि विदेशी मीडिया की रिपोर्टों का भारतीय न्यायिक प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं होगा। जस्टिस बागची ने कहा कि हम विदेशी रिपोर्टों से प्रभावित नहीं होते। जस्टिस सूर्यकांत ने आगे कहा कि वह बेहद भ्रामक रिपोर्टिंग है। भारत में कोई नहीं मानता कि हादसे के लिए पायलट जिम्मेदार था।
गौरतलब है कि कमांडर सुमीत सभरवाल के पिता और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट ने मिलकर अदालत से यह मांग की है कि दुर्घटना की जांच रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विमानन विशेषज्ञ समिति द्वारा की जाए। याचिकाकर्ताओं ने यह भी मांग की कि AAIB द्वारा की जा रही मौजूदा जांच बंद की जाए, क्योंकि जांच दल में DGCA और अन्य राज्य विमानन प्राधिकरणों के अधिकारी शामिल हैं, जिनकी निष्पक्षता पर भी सवाल उठे हैं। उनका कहना है कि AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट पक्षपाती थी, क्योंकि उसने तकनीकी और प्रणालीगत कारणों की अनदेखी करते हुए संकेत दिया कि पायलट की गलती से दुर्घटना हुई।
सीनियर वकील गोपाल शंकरनारायणन याचिकाकर्ता की ओर पेश हुए और दलील दी कि एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा की जा रही मौजूदा जांच स्वतंत्र नहीं है। उन्होंने अदालत से कहा कि याची विमान के कमांडर के पिता हैं। उनकी उम्र 91 वर्ष है। यह जांच निष्पक्ष नहीं है, जबकि इसे स्वतंत्र होना चाहिए था। चार महीने बीत चुके हैं।” उन्होंने एयरक्राफ्ट इन्वेस्टिगेशन ऑफ एक्सिडेंट्स एंड इंसिडेंट्स रूल्स के नियम 12 के तहत न्यायिक निगरानी में जांच कराने की मांग की, जो जांच में निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और कहा कि यह मामला 10 नवंबर को एक अन्य संबंधित मामले के साथ सुना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने मौखिक टिप्पणी में याचिकाकर्ता की उस चिंता पर प्रतिक्रिया दी कि कहीं उनके दिवंगत पुत्र को इस हादसे के लिए अनुचित रूप से दोषी न ठहराया जाए।
अदालत ने मौखिक तौर पर कहा कि यह हादसा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन आपको यह बोझ नहीं उठाना चाहिए कि आपके बेटे को दोष दिया जा रहा है। किसी को भी उन्हें किसी बात के लिए दोष नहीं देना चाहिए। जस्टिस बागची ने भी स्पष्ट किया कि AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट के खिलाफ कोई संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि एक पायलट ने पूछा कि क्या ईंधन कट ऑफ किया गया, दूसरे ने कहा नहीं। रिपोर्ट में किसी गलती का कोई उल्लेख नहीं है।
शंकरनारायणन ने यह भी बताया कि बोइंग विमानों से जुड़ी वैश्विक सुरक्षा चिंताएँ लगातार बनी हुई हैं, और अहमदाबाद की यह दुर्घटना उसी व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखी जानी चाहिए। इस पर जस्टिस बागची ने कहा कि अगर जांच प्रक्रिया पर ही आपत्ति है, तो इसका अर्थ है कि आपको कानून की वैधानिक व्यवस्था को ही चुनौती देनी होगी। याचिकाकर्ता ने अदालत का ध्यान वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक लेख की ओर भी दिलाया, जिसमें कथित तौर पर एक अज्ञात भारतीय सरकारी स्रोत के हवाले से पायलट की गलती बताई गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि विदेशी मीडिया की रिपोर्टों का भारतीय न्यायिक प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं होगा। जस्टिस बागची ने कहा कि हम विदेशी रिपोर्टों से प्रभावित नहीं होते। जस्टिस सूर्यकांत ने आगे कहा कि वह बेहद भ्रामक रिपोर्टिंग है। भारत में कोई नहीं मानता कि हादसे के लिए पायलट जिम्मेदार था।
गौरतलब है कि कमांडर सुमीत सभरवाल के पिता और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट ने मिलकर अदालत से यह मांग की है कि दुर्घटना की जांच रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विमानन विशेषज्ञ समिति द्वारा की जाए। याचिकाकर्ताओं ने यह भी मांग की कि AAIB द्वारा की जा रही मौजूदा जांच बंद की जाए, क्योंकि जांच दल में DGCA और अन्य राज्य विमानन प्राधिकरणों के अधिकारी शामिल हैं, जिनकी निष्पक्षता पर भी सवाल उठे हैं। उनका कहना है कि AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट पक्षपाती थी, क्योंकि उसने तकनीकी और प्रणालीगत कारणों की अनदेखी करते हुए संकेत दिया कि पायलट की गलती से दुर्घटना हुई।
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