Next Story
Newszop

China Rare Earth Quotas: चीन ने चुपचाप कर दिया काम, भारत की बढ़ेगी मुसीबत, कैसे खतरे में पड़ जाएंगे ये कारोबार?

Send Push
नई दिल्‍ली: चीन ने चुपचाप बड़ा खेल कर दिया है। उसने 2025 के लिए रेयर अर्थ माइनिंग और स्‍मेल्टिंग कोटा जारी किए हैं। आमतौर पर इस बारे में सार्वजनिक घोषणा की जाती थी। लेकिन, इस बार ऐसा नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार, यह इस बात का संकेत है कि चीन इस महत्वपूर्ण क्षेत्र पर अपनी पकड़ और मजबूत कर रहा है। रेयर अर्थ मिनरल्‍स यानी दुर्लभ पृथ्वी तत्व 17 तत्वों का समूह है। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), विंड टर्बाइन, रोबोट और मिसाइल बनाने में होता है। चीन दुनिया में दुर्लभ पृथ्वी (रेयर अर्थ) खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक है। चीन का यह 'खामोश काम' भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। खासकर उसके तेजी से बढ़ते ईवी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के लिए इससे खतरा बढ़ेगा।



सरकार आमतौर पर साल में दो बार राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के लिए कोटा जारी करती है। लेकिन, इस साल इसमें देरी हुई। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने इस साल के लिए पहला कोटा पिछले महीने ही जारी किया, वो भी किसी सार्वजनिक घोषणा के बिना। एक सूत्र ने यह भी बताया कि कंपनियों को सुरक्षा कारणों से इन आंकड़ों को साझा न करने के लिए कहा गया है। यह जानकारी पहली बार सामने आ रही है। सूत्रों ने कोटा की मात्रा नहीं बताई। चीन दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और उनकी सप्‍लाई पर अपनी पकड़ को लेकर बहुत संवेदनशील है। वह अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार वार्ता में इसका इस्तेमाल करने को तैयार है।



अमेर‍िकी टैर‍िफ के जवाब में चीन का कदम

चीन ने अमेरिका की ओर से टैरिफ बढ़ाने के जवाब में कई रेयर अर्थ और संबंधित मैग्नेट को अपने निर्यात प्रतिबंध सूची में डाल दिया है। इससे सप्‍लाई बाधित हो गई और चीन के बाहर कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियों को उत्पादन आंशिक रूप से बंद करना पड़ा। पिछले चार सालों में चीन के उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पहली तिमाही में अपनी वेबसाइट पर घोषणा करके कोटे की पहली खेप जारी की थी। मंत्रालय ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है कि जानकारी को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया।



पिछले साल, चीन ने 270,000 टन के लिए खनन कोटा की दो खेप जारी की थी। 2023 में सालाना सप्‍लाई ग्रोथ 21.4% से घटकर 5.9% हो गई थी। 2024 में स्‍मेल्टिंग और सैपरेशन कोटा भी दो खेपों में जारी किया गया था। यह कुल 254,000 टन था, जो 2023 से 4.2% ज्‍यादा है।



2006 में पहली बार शुरू की थी कोटा प्रणाली

चीन ने 2006 में पहली बार कोटा प्रणाली शुरू की थी। इसका मकसद उद्योग को नियंत्रित करना और अधिकारियों को उत्पादन पर नियंत्रण देना था। बीजिंग ने कोटा तक पहुंच को सीमित कर दिया है। पिछले साल केवल दो राज्य के स्वामित्व वाले समूहों - चाइना रेयर अर्थ ग्रुप और चाइना नॉर्दर्न रेयर अर्थ ग्रुप हाई-टेक - को ही कोटा मिला था। जबकि पहले यह छह समूहों को मिलता था। इस साल कोटा में देरी का एक कारण फरवरी में आया एक प्रस्ताव भी था। इस प्रस्ताव में आयातित अयस्क (ओर) को कोटा प्रणाली में जोड़ने की बात कही गई थी। इसका उन कंपनियों ने विरोध किया जो आयात पर निर्भर थीं। उन्हें डर था कि वे फीडस्टॉक तक पहुंच खो सकते हैं।



चीन दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के उत्पादन और निर्यात को लेकर बहुत सतर्क हो गया है। वह यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इन तत्वों की सप्‍लाई पर उसका नियंत्रण बना रहे। रेयर अर्थ आधुनिक तकनीक के लिए बहुत जरूरी हैं। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर मिसाइलों तक में होता है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसलिए उसकी नीतियां वैश्विक बाजार पर बड़ा असर डालती हैं।



चीन ने पिछले कुछ सालों में रेयर अर्थ के उद्योग में कई बदलाव किए हैं। उसने कंपनियों का विलय करके उन्हें बड़ा बनाया है और कोटा प्रणाली को सख्त किया है। इसका मकसद यह है कि सरकार इस उद्योग को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सके। चीन की यह नीति भारत समेत अमेरिका और यूरोपीय संघ के लिए भी चिंता का विषय है।



भारत पर क्या असर पड़ेगा?चीन के इस कदम से भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्‍लाई को लेकर है, जो कई उच्च-तकनीकी उद्योगों की रीढ़ है। भारत अपनी रेयर अर्थ मैग्नेट की लगभग 100% जरूरत के लिए चीन पर निर्भर है। इनमें से 95% से ज्‍यादा आयात चीन से होता है।



ईवी मोटर और बैटरी में रेयर अर्थ मैग्नेट (विशेषकर नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम) महत्वपूर्ण कम्‍पोनेंट हैं। चीन के प्रतिबंधों से भारत में ईवी उत्पादन में गंभीर व्यवधान पैदा हो सकता है। इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के सोसाइटी (SIAM) ने सरकार को चेतावनी दी है कि रेयर अर्थ मैग्नेट की घटती इन्वेंट्री से उत्पादन ठप हो सकता है। कुछ प्रमुख भारतीय ऑटो निर्माताओं जैसे मारुति सुजुकी को सप्‍लाई बाधाओं के कारण अप्रैल से सितंबर 2025 के लिए अपने ई-विटारा ईवी उत्पादन लक्ष्य को दो-तिहाई तक कम करना पड़ा है।



सप्‍लाई की कमी और कीमतों में बढ़ोतरी से ईवी उत्पादन लागत बढ़ जाएगी। इससे भारत के ईवी अपनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य (2030 तक 30% नई वाहन बिक्री ईवी हो) को झटका लग सकता है।



इस संकट ने भारत को रेयर अर्थ फ्री पॉवरट्रेन विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर किया है। भारतीय इंजीनियरों की टीमें ऐसे मोटर बना रही हैं जो रेयर अर्थ पर निर्भरता को पूरी तरह खत्म कर दें और स्थानीय स्तर पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध सामग्री जैसे स्टील, तांबा और एल्यूमीनियम का उपयोग करें। यह भारत के लिए एक रणनीतिक बदलाव का अवसर है।



हजारों नौकर‍ियों पर आ गई है आंच

इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग निकाय ELCINA की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन के रेयर अर्थ निर्यात पर प्रतिबंधों के कारण भारत के ऑडियो इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में 21,000 से अधिक नौकरियां खतरे में हैं। हेडफोन, वियरेबल्स और स्पीकर जैसे उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग होने वाले नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) मैग्नेट के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भरता इस उद्योग के लिए बड़ी कमजोरी है।



रोबोट, मिसाइल, विंड टर्बाइन और अन्य रक्षा प्रणालियों में रेयर अर्थ का महत्वपूर्ण उपयोग होता है। चीन की ओर से सप्‍लाई पर नियंत्रण भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के लिए खतरा पैदा करता है। भारत की रक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों की प्रगति के लिए रेयर अर्थ की सुरक्षित सप्‍लाई अहम है।

Loving Newspoint? Download the app now