नई दिल्ली: टाटा ट्रस्ट ने अपनी तीन प्रमुख चैरिटेबल संस्थाओं में मेहली मिस्त्री को ट्रस्टी के रूप में दोबारा नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा है, जिससे उन्हें आजीवन ट्रस्टी बनाया जा सकेगा। सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। घटनाक्रम से परिचित सूत्रों ने कहा कि टाटा ट्रस्ट के सीईओ ने ट्रस्ट के अन्य सदस्यों को इस आशय के प्रस्ताव से अवगत कराया। टाटा ट्रस्ट के पास टाटा संस में 66% हिस्सेदारी है। टाटा संस 156 साल पुराने टाटा ग्रुप की कंपनियों की प्रमोटर कंपनी है।
इस प्रस्ताव के तहत मिस्त्री को सर रतन टाटा ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और बाई हीराबाई जमसेतजी टाटा नवसारी चैरिटेबल इंस्टिट्यूशन में दोबारा नियुक्त किया जाना है। टाटा ग्रुप के दिवंगत प्रमुख रतन टाटा के करीबी माने जाते रहे मिस्त्री पहली बार वर्ष 2022 में टाटा ट्रस्ट में नियुक्त हुए थे। उनका तीन साल का कार्यकाल 28 अक्टूबर को खत्म हो रहा है। टाटा ट्रस्ट ने इस घटनाक्रम के बारे में संपर्क किए जाने पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
क्या हैं मतभेद?
सूत्रों के मुताबिक, मिस्त्री और तीन अन्य ट्रस्टी- प्रमित झवेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खम्बाटा ने वेणु श्रीनिवासन को ट्रस्टी और वाइस चेयरमैन के रूप में दोबारा नियुक्ति को मंजूरी देते समय यह शर्त रखी थी कि भविष्य में किसी भी ट्रस्टी का रिन्यूअल केवल सर्वसम्मति से ही हो, अन्यथा उनकी स्वीकृतियां रद्द की जा सकती हैं। हालांकि, मिस्त्री के आजीवन कार्यकाल को लेकर ट्रस्ट के भीतर मतभेद की खबरें हैं। एक पक्ष को मौजूदा चेयरमैन नोएल टाटा के साथ माना जा रहा है जबकि दूसरा पक्ष रतन टाटा के पुराने समर्थकों से संबंधित है।
यह मामला सरकार तक भी पहुंचा जिसके बाद नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। सरकार ने दोनों पक्षों को सुझाव दिया कि वे मामले का समाधान आपसी सहमति से करें और इसे सार्वजनिक मतभेदों में न बदलने दें, क्योंकि टाटा समूह का भारतीय अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व है।
इस प्रस्ताव के तहत मिस्त्री को सर रतन टाटा ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और बाई हीराबाई जमसेतजी टाटा नवसारी चैरिटेबल इंस्टिट्यूशन में दोबारा नियुक्त किया जाना है। टाटा ग्रुप के दिवंगत प्रमुख रतन टाटा के करीबी माने जाते रहे मिस्त्री पहली बार वर्ष 2022 में टाटा ट्रस्ट में नियुक्त हुए थे। उनका तीन साल का कार्यकाल 28 अक्टूबर को खत्म हो रहा है। टाटा ट्रस्ट ने इस घटनाक्रम के बारे में संपर्क किए जाने पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
क्या हैं मतभेद?
सूत्रों के मुताबिक, मिस्त्री और तीन अन्य ट्रस्टी- प्रमित झवेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खम्बाटा ने वेणु श्रीनिवासन को ट्रस्टी और वाइस चेयरमैन के रूप में दोबारा नियुक्ति को मंजूरी देते समय यह शर्त रखी थी कि भविष्य में किसी भी ट्रस्टी का रिन्यूअल केवल सर्वसम्मति से ही हो, अन्यथा उनकी स्वीकृतियां रद्द की जा सकती हैं। हालांकि, मिस्त्री के आजीवन कार्यकाल को लेकर ट्रस्ट के भीतर मतभेद की खबरें हैं। एक पक्ष को मौजूदा चेयरमैन नोएल टाटा के साथ माना जा रहा है जबकि दूसरा पक्ष रतन टाटा के पुराने समर्थकों से संबंधित है।
यह मामला सरकार तक भी पहुंचा जिसके बाद नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। सरकार ने दोनों पक्षों को सुझाव दिया कि वे मामले का समाधान आपसी सहमति से करें और इसे सार्वजनिक मतभेदों में न बदलने दें, क्योंकि टाटा समूह का भारतीय अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व है।
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