जितेन्द्र सिंह वर्मा, नई दिल्लीः दिल्ली में सोमवार शाम को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके के बाद चारो तरफ अफरा-तफरी मच गई। धमाके में अशोक विहार कॉलोनी निवासी दाऊद जख्मी हो गए। दिल्ली में उपचार कराने के बाद सोमवार देर रात को घर लौट आए। उन्होंने बताया कि वहां मंजर दिल दहला देने वाला था। लाशें पड़ी थीं। गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए थे। वे शाम करीब छह बजे लोनी से मीना बाजार के लिए निकले थे। जैसे ही लाल किले के सामने पहुंचे तो उनके पीछे एक जोरदार धमाका हुआ। धमाका स्थल और उनके बीच लगभग एक से डेढ़ मिनट का फासला रहा होगा।
घायल दाऊद ने बताया आंखों देखा हालएक लोहे का टुकड़ा उनके पैर में आकर लगा। इससे बाइक का संतुलन बिगड़ गया और गिर पड़े। सड़क के एक किनारे हो गए। हर तरफ चीख पुकार और लाशें बिखरी पड़ी थी। उनकी रूह कांप गई। एक रिश्तेदार को फोन कर बताया। परिजन आए और उन्हें एलएनजेपी ले गए। वहां उनका नाम पता पूछा और पट्टी कर एक ओर बैठा दिया। काफी देर मरहम तक कोई नहीं आया।
सड़कों पर दूर तक बिखरी पड़ी लाशेंब्लास्ट वाली जगह के आसपास बिखरे पड़े कार के पुर्जे, शवों के छोटे-छोटे लोथड़े, खून की छींटे, कारतूस के खोखे, 100 मीटर दूर कार का दरवाजा गिरे पड़े। करीब 12 घंटे तक आतंकी हमले के साक्ष्य यूं ही सड़कों पर दूर तक बिखरे पड़े रहे। जाहिर है धमाके के ये बेहद अहम साक्ष्य थे। जिसमें FSL (फरेंसिक साइंस लैब) की भूमिका सबसे अहम होती है। जहां से साक्ष्य कलेक्ट कर चार्जशीट से लेकर गुनहगारों को सजा दिलाने में मददगार होते हैं। लेकिन लाल किला ब्लास्ट के बाद पुलिस की एक बड़ी लापरवाही सामने आई। करीब 12 घंटे तक आतंकी हमले के साक्ष्य यूं ही सड़कों पर दूर तक बिखरे पड़े रहे। पुलिस ने कार ब्लास्ट तक के एरिया को ही सील किया।
घायल दाऊद ने बताया आंखों देखा हालएक लोहे का टुकड़ा उनके पैर में आकर लगा। इससे बाइक का संतुलन बिगड़ गया और गिर पड़े। सड़क के एक किनारे हो गए। हर तरफ चीख पुकार और लाशें बिखरी पड़ी थी। उनकी रूह कांप गई। एक रिश्तेदार को फोन कर बताया। परिजन आए और उन्हें एलएनजेपी ले गए। वहां उनका नाम पता पूछा और पट्टी कर एक ओर बैठा दिया। काफी देर मरहम तक कोई नहीं आया।
सड़कों पर दूर तक बिखरी पड़ी लाशेंब्लास्ट वाली जगह के आसपास बिखरे पड़े कार के पुर्जे, शवों के छोटे-छोटे लोथड़े, खून की छींटे, कारतूस के खोखे, 100 मीटर दूर कार का दरवाजा गिरे पड़े। करीब 12 घंटे तक आतंकी हमले के साक्ष्य यूं ही सड़कों पर दूर तक बिखरे पड़े रहे। जाहिर है धमाके के ये बेहद अहम साक्ष्य थे। जिसमें FSL (फरेंसिक साइंस लैब) की भूमिका सबसे अहम होती है। जहां से साक्ष्य कलेक्ट कर चार्जशीट से लेकर गुनहगारों को सजा दिलाने में मददगार होते हैं। लेकिन लाल किला ब्लास्ट के बाद पुलिस की एक बड़ी लापरवाही सामने आई। करीब 12 घंटे तक आतंकी हमले के साक्ष्य यूं ही सड़कों पर दूर तक बिखरे पड़े रहे। पुलिस ने कार ब्लास्ट तक के एरिया को ही सील किया।
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