पिछले दिनों Apple के खिलाफ आए ट्रंप के धमकी भरे बयान के बाद अमेरिका ने फिर अपने सुर बदल लिए हैं। दरअसल मंगलवार को नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल के डायरेक्टर केविन हैसेट ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का इरादा ऐपल को नुकसान पहुंचाने का नहीं है। CNBC के एक शो में हैसेट ने कहा कि लोग इस बात को बड़ी आपदा की तरह दिखा रहे हैं, जबकि यह सिर्फ एक छोटा-सा टैरिफ है, जिसका मकसद बाकी टैरिफ को कम करवाना है। उन्होंने कहा, "आखिर में देखना होगा क्या होता है, लेकिन हम ऐपल को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते।" ट्रंप ने दी थी ऐपल को धमकीकेविन हैसेट का यह बयान उस समय आया कुछ दिन पहले ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर धमकी भरे अंदाज में लिखा था कि अगर ऐपल भारत में बने iPhone अमेरिका में बेचेगा, तो वह ऐपल पर 25% टैरिफ लगाएंगे। गौरतलब है कि एप्पल अपने प्रोडक्ट्स हमेशा से चीन, भारत और वियतनाम जैसे देशों में बनाता आया है।ट्रंप ने अपनी पोस्ट में लिखा, "मैंने बहुत पहले ऐपल के सीईओ टिम कुक को बता दिया था कि जो iPhone अमेरिका में बिकेंगे, उन्हें अमेरिका में ही बनना चाहिए, न कि भारत या किसी और देश में। अगर ऐसा नहीं होता है, तो ऐपल को कम से कम 25% टैरिफ देना होगा।" इसके बाद से फिर से यह सवाल उठने लगे थे कि क्या ट्रंप के दबाव में ऐपल भारत में आईफोन नहीं बनाएगी। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर iPhone अमेरिका में बनाए जाते हैं, तो उनकी कीमत करीब $3,500 (भारतीय करेंसी में लगभग ₹2.9 लाख रुपये) हो सकती है। कौन उठाएगा टैरिफ का बोझकेविन हैसेट ने इस पर आगे कहा कि अगर आप सोचते हैं कि ऐपल की कोई फैक्ट्री है जो एक तय मात्रा में iPhone बनाती है और उसे वह हर हाल में बेचने ही पड़ते हैं, तो ऐसे में टैरिफ का बोझ ऐपल खुद उठाएगी, न कि उसके ग्राहक। उन्होंने दावा किया कि iPhone की सप्लाई लचीली है, इस वजह से ऐपल ही टैरिफ का बोझ उठाएगी। क्या चाहता है ट्रंप प्रशासनजानकार इसे ट्रंप प्रशासन की उन नीति का हिस्सा बता रहे हैं जिस पर कंपनियों पर दबाव है कि वे टैरिफ का बोझ ग्राहकों पर न डालते हुए, उसे खुद उठाएं। बता दें कि राष्ट्रपति ट्रंप इसी महीने रिटेल कंपनी वॉलमार्ट को कह चुके हैं कि वह टैरिफ खुद भुगते। ट्रंप ने यह बात तब कही थी जब वॉलमार्ट ने कहा थी कि उन्हें टैरिफ का बोझ ग्राहकों पर डालना पड़ेगा। CNBC की रिपोर्ट के अनुसार ऐपल की ओर से हैसेट के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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