टोक्यो: भारत के दोस्त जापान ने हाइपरसोनिक मिसाइलों की दुनिया में बहुत बड़ी छलांग लगाई है। भारत और जापान, QUAD के सदस्य हैं और दोनों का कॉमन दुश्मन चीन है, ऐसे में इस हाइपरसोनिक मिसाइल ने चीन की नींद छीन ली होगी। जापान ने अपनी नई मोबाइल हाइपरसोनिक मिसाइल, हाइपर वेलोसिटी गाइडेड प्रोजेक्टाइल (HVGP) का अनावरण किया है, जिसने पूर्वी एशिया की डिफेंस स्ट्रैटजी को बदल दिया है। एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक HVGP हाइपरसोनिक मिसाइल को लेकर जापान की घोषणा का मतलब है, कि जापान ने अपनी स्ट्रैटजी को बदल दिया है। अब वो अपनी डिफेंसिव रणनीति से बाहर निकलकर आक्रामक रणनीति को आजमाया है, जिसमें आवश्यकता पड़ने पर आक्रामक हमले करने की क्षमता होना शामिल है। एक्सपर्ट्स इसे सिर्फ एक तकनीकी छलांग नहीं, बल्कि जापान की दशकों पुरानी 'सेना नहीं रखने' की नीति में पूरी तरह से बदलाव मान रहे हैं।
HVGP मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत इसकी अत्यधिक स्पीड और बहुत लंबी दूर तक हमला करने की क्षमता है। यह मिसाइल Mach 5 यानि आवाज की गति से पांच गुना तेज स्पीड पर उड़ती है और फिलहाल इसकी रेंज 900 किलोमीटर है, जिसे आने वाले वर्षों में बढ़ाकर 2,000 से 3,000 किलोमीटर तक किया जाएगा। यानी जापान अब न सिर्फ अपने तटों की रक्षा कर सकता है, बल्कि चीन के नौसैनिक अड्डों, उत्तर कोरिया के मिसाइल ठिकानों और यहां तक कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में फैले खतरे को घर में घुसकर नष्ट कर सकता है।
जापान ने बनाया अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल
चीन की नौसेना, खासकर उसके एयरक्राफ्ट कैरियर ग्रुप, अब तक दक्षिण चीन सागर से लेकर पूर्वी चीन सागर क्षेत्र में प्रभुत्व जमाने की कोशिश करते रहे हैं। चीन, तीन स्तरों में अपनी रक्षा करता है, 1- बाहरी घेरे में J-15 फाइटर जेट्स, 2- मध्य घेरे में डिस्ट्रॉयर और पनडुब्बियां, और 3- भीतरी घेरे में नजदीकी-शत्रु हथियार प्रणाली और एंटी-सबमरीन डिफेंस। यही मॉडल पाकिस्तान ने भी आंशिक रूप से अपनाया हुआ है, जिससे उसकी नौसेना चीन-निर्भर बनी हुई है। लेकिन जापान की HVGP मिसाइल ने इस पूरे ढांचे को ही कमजोर कर दिया है। इसकी गति इतनी ज्यादा है कि चीनी रडार और इंटरसेप्टर सिस्टम के पास प्रतिक्रिया देने का समय ही नहीं रहेगा। यानी तीनों रक्षा परतें एक के बाद एक बेकार साबित हो सकती हैं। इस मिसाइल में गाइडेंस इतनी ज्यादा सटीक है वह चलती हुई पनडुब्बी या समुद्र में गतिशील एयरक्राफ्ट कैरियर को भी मार सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मिसाइल से चीन की पारंपरिक नौसैनिक श्रेष्ठता को तगड़ा झटका लगेगा।
पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में चीन के सहयोग से अपनी मिसाइल प्रणाली, रडार, और नौसेना को मजबूत किया है। लेकिन जापान की HVGP जैसी मिसाइलें पाकिस्तान की वर्तमान रक्षा क्षमताओं के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती हैं। पाक नौसेना में जो प्लेटफॉर्म्स हैं, जैसे चीनी डिजाइन पर आधारित फ्रिगेट और पनडुब्बियां, वे HVGP जैसी तेज गति वाली मिसाइलों के सामने बेबस हैं। इसके अलावा, यदि HVGP को अमेरिका की खुफिया जानकारी और सैटेलाइट सिस्टम के साथ जोड़ दिया जाए, तो यह मिसाइल पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों, नौसेना अड्डों और मिसाइल बैटरियों को 'पहले वार' में ही निष्क्रिय कर सकती है। चूंकी भारत और जापान में काफी गहरा रक्षा सहयोग है और दोनों QUAD पार्टनर हैं, ऐसे में इस मिसाइल ने पाकिस्तान को भी परेशान कर दिया होगा, जिसके पास काफी कमजोर एयर डिफेंस सिस्टम हैं
जापान की HVGP मिसाइल बनाने के पीछे एक और बड़ा मकसद है, उत्तर कोरिया का परमाणु खतरा। किम जोंग उन की सरकार लगातार ऐसे परमाणु हथियार बना रही है जिन्हें चलती गाड़ियों, ट्रेनों, या गुप्त ठिकानों से दागा जा सके। जापान की नई मिसाइलें इन 'मोबाइल लॉन्च सिस्टम्स' को सटीकता से पहचानने और नष्ट करने में सक्षम हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जापान की यह मिसाइल उत्तर कोरिया के 100 से ज्यादा संभावित परमाणु लॉन्च ठिकानों को लक्ष्य बना सकती है। अगर सैटेलाइट और ड्रोन इंटेलिजेंस की मदद से इन ठिकानों की सही पहचान कर ली जाए, तो HVGP मिसाइलें मिनटों में तबाही मचा सकती हैं। साथ ही जापान अब सिर्फ HVGP पर ही नहीं, बल्कि टॉमहॉक क्रूज मिसाइल और लॉन्ग-रेंज टाइप-12 मिसाइल भी तैनात कर रहा है, जिससे वो पूरी तरह से एक 'हमला करने वाली सेना' बना लेगा।
HVGP मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत इसकी अत्यधिक स्पीड और बहुत लंबी दूर तक हमला करने की क्षमता है। यह मिसाइल Mach 5 यानि आवाज की गति से पांच गुना तेज स्पीड पर उड़ती है और फिलहाल इसकी रेंज 900 किलोमीटर है, जिसे आने वाले वर्षों में बढ़ाकर 2,000 से 3,000 किलोमीटर तक किया जाएगा। यानी जापान अब न सिर्फ अपने तटों की रक्षा कर सकता है, बल्कि चीन के नौसैनिक अड्डों, उत्तर कोरिया के मिसाइल ठिकानों और यहां तक कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में फैले खतरे को घर में घुसकर नष्ट कर सकता है।
जापान ने बनाया अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल
चीन की नौसेना, खासकर उसके एयरक्राफ्ट कैरियर ग्रुप, अब तक दक्षिण चीन सागर से लेकर पूर्वी चीन सागर क्षेत्र में प्रभुत्व जमाने की कोशिश करते रहे हैं। चीन, तीन स्तरों में अपनी रक्षा करता है, 1- बाहरी घेरे में J-15 फाइटर जेट्स, 2- मध्य घेरे में डिस्ट्रॉयर और पनडुब्बियां, और 3- भीतरी घेरे में नजदीकी-शत्रु हथियार प्रणाली और एंटी-सबमरीन डिफेंस। यही मॉडल पाकिस्तान ने भी आंशिक रूप से अपनाया हुआ है, जिससे उसकी नौसेना चीन-निर्भर बनी हुई है। लेकिन जापान की HVGP मिसाइल ने इस पूरे ढांचे को ही कमजोर कर दिया है। इसकी गति इतनी ज्यादा है कि चीनी रडार और इंटरसेप्टर सिस्टम के पास प्रतिक्रिया देने का समय ही नहीं रहेगा। यानी तीनों रक्षा परतें एक के बाद एक बेकार साबित हो सकती हैं। इस मिसाइल में गाइडेंस इतनी ज्यादा सटीक है वह चलती हुई पनडुब्बी या समुद्र में गतिशील एयरक्राफ्ट कैरियर को भी मार सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मिसाइल से चीन की पारंपरिक नौसैनिक श्रेष्ठता को तगड़ा झटका लगेगा।
पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में चीन के सहयोग से अपनी मिसाइल प्रणाली, रडार, और नौसेना को मजबूत किया है। लेकिन जापान की HVGP जैसी मिसाइलें पाकिस्तान की वर्तमान रक्षा क्षमताओं के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती हैं। पाक नौसेना में जो प्लेटफॉर्म्स हैं, जैसे चीनी डिजाइन पर आधारित फ्रिगेट और पनडुब्बियां, वे HVGP जैसी तेज गति वाली मिसाइलों के सामने बेबस हैं। इसके अलावा, यदि HVGP को अमेरिका की खुफिया जानकारी और सैटेलाइट सिस्टम के साथ जोड़ दिया जाए, तो यह मिसाइल पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों, नौसेना अड्डों और मिसाइल बैटरियों को 'पहले वार' में ही निष्क्रिय कर सकती है। चूंकी भारत और जापान में काफी गहरा रक्षा सहयोग है और दोनों QUAD पार्टनर हैं, ऐसे में इस मिसाइल ने पाकिस्तान को भी परेशान कर दिया होगा, जिसके पास काफी कमजोर एयर डिफेंस सिस्टम हैं
जापान की HVGP मिसाइल बनाने के पीछे एक और बड़ा मकसद है, उत्तर कोरिया का परमाणु खतरा। किम जोंग उन की सरकार लगातार ऐसे परमाणु हथियार बना रही है जिन्हें चलती गाड़ियों, ट्रेनों, या गुप्त ठिकानों से दागा जा सके। जापान की नई मिसाइलें इन 'मोबाइल लॉन्च सिस्टम्स' को सटीकता से पहचानने और नष्ट करने में सक्षम हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जापान की यह मिसाइल उत्तर कोरिया के 100 से ज्यादा संभावित परमाणु लॉन्च ठिकानों को लक्ष्य बना सकती है। अगर सैटेलाइट और ड्रोन इंटेलिजेंस की मदद से इन ठिकानों की सही पहचान कर ली जाए, तो HVGP मिसाइलें मिनटों में तबाही मचा सकती हैं। साथ ही जापान अब सिर्फ HVGP पर ही नहीं, बल्कि टॉमहॉक क्रूज मिसाइल और लॉन्ग-रेंज टाइप-12 मिसाइल भी तैनात कर रहा है, जिससे वो पूरी तरह से एक 'हमला करने वाली सेना' बना लेगा।
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