नई दिल्ली: आवारा कुत्तों ( Stray Dogs ) से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों (Chief Secretaries) को समन जारी किया है। दरअसल इन राज्यों की ओर से पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control – ABC) नियमों के क्रियान्वयन के संबंध में अब तक शपथपत्र (Affidavit) दाखिल नहीं किए हैं इस कारण इन तमाम राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को समन जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 22 अगस्त के आदेश में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे इन नियमों के पालन के संबंध में शपथपत्र दाखिल करें।
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजरिया की बेंच ने कहा कि केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (MCD) ने ही अनुपालन शपथपत्र दाखिल किए हैं। इसलिए, कोर्ट ने बाकी सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को अगले सोमवार पेश होकर यह बताने को कहा है कि उन्होंने शपथपत्र दाखिल क्यों नहीं किए। कोर्ट ने यह भी कि इन डिफॉल्ट करने वाले राज्यों की ओर से आज कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए थे और आदेश को मीडिया में व्यापक रूप से प्रकाशित भी किया गया था।
अदालत ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे से विशेष रूप से पूछा कि दिल्ली सरकार (NCT of Delhi) ने अभी तक शपथपत्र क्यों नहीं दिया। अदालत ने टिप्पणी में कहा कि दिल्ली सरकार ने शपथपत्र क्यों नहीं दाखिल किया? मुख्य सचिव को स्पष्टीकरण देना होगा। अन्यथा हर्जाना (penalty) लगाई जाएगी और सख्त कदम उठाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटिस सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किए गए थे। क्या आपके अधिकारी अखबार या सोशल मीडिया नहीं पढ़ते? हर जगह इस खबर की रिपोर्टिंग हुई है। जब उन्हें जानकारी है तो आगे क्यों नहीं आए? सभी मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को उपस्थित होना होगा, वरना हम कोर्ट को ऑडिटोरियम में ही लगाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में संज्ञान लिया था और मामले में आदेश पारित किए थे। 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने 'आवारा कुत्तों से त्रस्त शहर, बच्चे भुगत रहे कीमत' (City hounded by strays and kids pay price) खबर पर स्वतः संज्ञान (suo motu cognisance) लिया था। अदालत ने एक रिट याचिका दर्ज की, जिसमें यह संज्ञान लिया गया है कि किस प्रकार नवजात शिशु, बच्चे और बुज़ुर्ग अवैक्सीनेटेड (टीकाकरण रहित) आवारा कुत्तों के काटने के कारण रेबीज जैसी घातक बीमारी का शिकार हो रहे हैं।
रेबीज के खतरे को लेकर चिंताइसके बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला की अगुवाई वाली दो जजों की बेंच ने 11 अगस्त को एक अहम आदेश में कुत्तों के काटने और रेबीज के खतरे को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, दिल्ली व एनसीआर की अथॉरिटी को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया था कि वे तुरंत सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को पकड़ना शुरू करें और उन्हें डॉग शेल्टर में भेजें। अदालत ने चेतावनी दी थी कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को पकड़ने में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
डॉग शेल्टर का सुझावअदालत ने कहा था कि आवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर में रखा जाना चाहिए और उन्हें दोबारा पब्लिक प्लेस में नहीं छोड़ा जाना चाहिए। एनसीटी दिल्ली, दिल्ली नगर निगम (MCD) और नई दिल्ली नगर परिषद (NDMC) को निर्देश दिया जाता है कि वे तुरंत डॉग शेल्टर बनाएं और पूरे एनसीटी दिल्ली में बुनियादी ढांचे के निर्माण की रिपोर्ट 8 हफ़्तों के भीतर प्रस्तुत करें।
नसबंदी और टीकाकरण पर जोरइसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को अपने अहम आदेश में कहा कि आवारा कुत्तों को पकड़े जाने के बाद उसे नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी इलाके में छोड़ा जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया है। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने यह भी आदेश दिया था कि सड़कों व पब्लिक प्लेस पर कुत्तों को खाना खिलाने की अनुमति नहीं होगी। अदालत ने निर्धारित भोजन स्थलों के निर्माण का निर्देश दिया।
दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं से आगे बढ़ा मामलासुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं से आगे बढ़ाया और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने पूरे भारत में इस मुद्दे को व्यापक रूप से देखने का फैसला किया और स्पष्ट किया था कि जिन आवारा कुत्तों को अधिकारी पकड़ते हैं, उनका इलाज और टीकाकरण के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में वापस छोड़ा जाए, जैसा कि ABC नियमों में कहा गया है।
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजरिया की बेंच ने कहा कि केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (MCD) ने ही अनुपालन शपथपत्र दाखिल किए हैं। इसलिए, कोर्ट ने बाकी सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को अगले सोमवार पेश होकर यह बताने को कहा है कि उन्होंने शपथपत्र दाखिल क्यों नहीं किए। कोर्ट ने यह भी कि इन डिफॉल्ट करने वाले राज्यों की ओर से आज कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए थे और आदेश को मीडिया में व्यापक रूप से प्रकाशित भी किया गया था।
अदालत ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे से विशेष रूप से पूछा कि दिल्ली सरकार (NCT of Delhi) ने अभी तक शपथपत्र क्यों नहीं दिया। अदालत ने टिप्पणी में कहा कि दिल्ली सरकार ने शपथपत्र क्यों नहीं दाखिल किया? मुख्य सचिव को स्पष्टीकरण देना होगा। अन्यथा हर्जाना (penalty) लगाई जाएगी और सख्त कदम उठाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटिस सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किए गए थे। क्या आपके अधिकारी अखबार या सोशल मीडिया नहीं पढ़ते? हर जगह इस खबर की रिपोर्टिंग हुई है। जब उन्हें जानकारी है तो आगे क्यों नहीं आए? सभी मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को उपस्थित होना होगा, वरना हम कोर्ट को ऑडिटोरियम में ही लगाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में संज्ञान लिया था और मामले में आदेश पारित किए थे। 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने 'आवारा कुत्तों से त्रस्त शहर, बच्चे भुगत रहे कीमत' (City hounded by strays and kids pay price) खबर पर स्वतः संज्ञान (suo motu cognisance) लिया था। अदालत ने एक रिट याचिका दर्ज की, जिसमें यह संज्ञान लिया गया है कि किस प्रकार नवजात शिशु, बच्चे और बुज़ुर्ग अवैक्सीनेटेड (टीकाकरण रहित) आवारा कुत्तों के काटने के कारण रेबीज जैसी घातक बीमारी का शिकार हो रहे हैं।
रेबीज के खतरे को लेकर चिंताइसके बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला की अगुवाई वाली दो जजों की बेंच ने 11 अगस्त को एक अहम आदेश में कुत्तों के काटने और रेबीज के खतरे को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, दिल्ली व एनसीआर की अथॉरिटी को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया था कि वे तुरंत सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को पकड़ना शुरू करें और उन्हें डॉग शेल्टर में भेजें। अदालत ने चेतावनी दी थी कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को पकड़ने में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
डॉग शेल्टर का सुझावअदालत ने कहा था कि आवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर में रखा जाना चाहिए और उन्हें दोबारा पब्लिक प्लेस में नहीं छोड़ा जाना चाहिए। एनसीटी दिल्ली, दिल्ली नगर निगम (MCD) और नई दिल्ली नगर परिषद (NDMC) को निर्देश दिया जाता है कि वे तुरंत डॉग शेल्टर बनाएं और पूरे एनसीटी दिल्ली में बुनियादी ढांचे के निर्माण की रिपोर्ट 8 हफ़्तों के भीतर प्रस्तुत करें।
नसबंदी और टीकाकरण पर जोरइसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को अपने अहम आदेश में कहा कि आवारा कुत्तों को पकड़े जाने के बाद उसे नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी इलाके में छोड़ा जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया है। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने यह भी आदेश दिया था कि सड़कों व पब्लिक प्लेस पर कुत्तों को खाना खिलाने की अनुमति नहीं होगी। अदालत ने निर्धारित भोजन स्थलों के निर्माण का निर्देश दिया।
दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं से आगे बढ़ा मामलासुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं से आगे बढ़ाया और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने पूरे भारत में इस मुद्दे को व्यापक रूप से देखने का फैसला किया और स्पष्ट किया था कि जिन आवारा कुत्तों को अधिकारी पकड़ते हैं, उनका इलाज और टीकाकरण के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में वापस छोड़ा जाए, जैसा कि ABC नियमों में कहा गया है।
You may also like

Amit Shah: महाराष्ट्र में BJP को बैसाखियों की जरूरत नहीं, अमित शाह ने मुंबई में नए पार्टी कार्यालय की आधारशिला रखते हुए कही बड़ी बात

डीएसटी और थाना टीडी की संयुक्त कार्रवाई: भूमिगत टैंक से अवैध बायोडीजल बेचता आरोपी गिरफ्तार, दो टैंक जब्त

भारत का एक गांव जहां हर पुरुष 2 शादियां करता है,` पत्नियां सौतन नहीं बहन की तरह रहती हैं साथ-साथ

न तेरा है, न मेरा है, यह हिंदुस्तान सबका है :संजय सिंह

'एक कदम गांधी के साथ' पदयात्रा पहुंची कानपुर, दिया लोकतंत्र, स्वराज और निर्भयता का संदेश




