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'नहीं चाहती कि जो मां ने झेला वो मेरे घर काम करने वाली झेलें, मैं उनकी थाली से खा लेती हूं', बोली भारती सिंह

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भारती सिंह ने अपने गुजरे हुए उस दौर को याद किया जिससे वो अक्सर भागने की कोशिश करती रहती हैं। पिता के बिना कैसा बचपन था और पिता का मतलब क्या होता है, ये उन्हें तब पता लगा जब उन्हें हर्ष के पापा मिले। इसके बाद उन्हें समझ आया कि पापा कैसे होते हैं। भारती ने ये भी बताया कि पिता के गुजरने के बाद मां जब घरों में कमा करने लगीं तो उनके साथ कैसा व्यवहार होता था। उन्होंने बताया कि इसी वजह से आज वो अपने घर में काम कारने वालों के साथ अलग तरीके से पेश आती हैं।



उन्होंने बताया कि कैसे पिता के जाने के बाद 22 साल की उम्र में मां ने तीनों बच्चों को पाला। उन्हें घर-घार जाकर झाड़ू-बर्तन करने पड़े भारती ने कहा- वो उन दिनों यंग और बेहद सुंदर थीं, वो चाहतीं तो शादी कर सकती थीं, बहुत सारे बॉयफ्रेंड बना सकती थीं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।'





कभी-कभी त्यौहारों पर वो भी उनके साथ चली जातीहाल ही में राज शमानी से बातचीत में उन्होंने कहा कि मां दूसरे के घरों में काम करतीं और कभी-कभी त्यौहारों पर वो भी उनके साथ चली जाती थीं। उन गुजरे दौर को याद कर उन्होंने कहा कि जब मां जाने लगतीं काम करते तो वो कहते थे कि अच्छा सुन, जाते वक्त ये सब्जी-वब्जी ले जाना। भारती ने कहा- हम बस ये सुनकर इतने खुश होते थे कि कोफ्ते मिल रहे हैं भाई, उनके घर का परसों का कोफ्ते...हमारे लिए फ्रेश होता था।





'कभी मैं उनकी प्लेट में से भी खा लेती हूं'भारती ने बताया कि आज वो अपने यहां कम करने वालों से कैसा बर्ताव करती हैं। उन्होंने कहा, 'जितनी मेरी हाउस हेल्प हैं न...मैं जहां रहती हूं वो वहां रहती हैं। मैं जहां फ्लाई करती हूं वो वैसे ही फ्लाई करती है। हम जहां खाते हैं, वहीं खाती है...ऐसा नहीं कि उस टेबल पर बैठो बेटा, इधर मैं और सर बैठे हैं...नहीं इधर ही। कभी मैं उनकी प्लेट में से भी खा लेती हूं। मुझे लगता है कि मेरी मम्मी है वो, मेरी बहन है।'



'मेरी मम्मी को ये वाला प्यार मिला ही नहीं'उन्होंने कहा, 'मैं आज भी वैसी ही हूं। ऐसा नहीं कि व्लॉग दिखाने के लिए, आज भी मैं कुछ व्लॉग में बनाती हूं तो हर्ष को खिलाने से पहले रूपा दीदी या जो नैनी है या जो हाउस हेल्प है उनको खिलाती हूं। मेरे को ऐसा लगता है कि मेरी मम्मी को ये वाला प्यार मिला ही नहीं। ये भी तो चाहती होंगी न। आज मैं इनके साथ कर रही हूं, इनके बच्चे व्लॉग में देख रहे होंगे तो कितना खुश हो रहे होंगे कि मेरी कितनी सेफ है।'





वो अपने घर नहीं जातीं, छुट्टी ही नहीं लेतीउन्होंने कहा, 'हम मां से पूछते किसके घर जा रही हो तो वो कहती तीन नंबर वाली गली में जो आंटी हैं..हमे लगता, अरे वो कितना डांटती हैं..तो ऐसा होता था। मैं ये चाहती हूं कि इनके बच्चे न सोचें ऐसा.. उन्हें लगे कि अरे दीदी के साथ कितना मजा आता है। वो अपने घर नहीं जातीं, छुट्टी ही नहीं लेती, जाती ही नहीं है। मतलब नैनी सिर्फ नैनी नहीं रही। वो हमारा खाना भी बना देती है। वर्ना नैनी सिर्फ बच्चे का ही करेगी लेकिन वो सारे काम कर देती है। वो सब कर देती हैं क्योंकि मैंने उनको बहुत प्यार दिया है। आज मदर्स डे है तो मैं अपनी मांओं को देती हूं तो गोले की तरफ से नैनी को देती हूं क्योंकि आज मेरे बच्चे को जो इतना प्यार कर रही है, मैं तो उसके पांव भी दबा दूं यार।'



मैं तो उसके सामने बिक जाती हूंभारती सिंह ने कहा, 'क्योंकि आपके बच्चे के लिए कोई प्यार करे न तो आप तो बिक जाओ उसके लिए। वो रोने लगती है...कहेगी बाबू गर्म लग रहा है थोड़ा। मैं इतना स्टेज कर चुकी हूं, मुझे पता चलता है कि कौन एक्टिंग कर रहा है और कौन रियल। वो रोती है, वो दिखता है उसके दिल में। मैं तो उसके सामने बिक जाती हूं राज। जो मेरे बच्चे के लिए इतना प्यार करता है, मेरा इतना ध्यान रखता है।'



जो आपके घरों में काम करते हैं वो बिके नहीं हुए हैंभारती ने कहा, 'मैं उन्हें आज भी बोलती हूं इधर आकर खाओ, वो कहेगी नही दीदी.. किचन में..फिर मैं कहती हूं आओ मूवी लगाती हूं, फिर हम पुरानी पुरानी फल्में देखते हैं और साथ में खाना खाते हैं। बहुत मजा आता है। जब मां लोगों के घर काम करती थी तो कोई ऐसे नहीं करता था। आज सब्जी बनी है, अगर हमने रात तक खा ली तो ठीक है लेकिन मैं किसी को खाने नहीं देती। मैं बोलती हूं गाय को डाल दो या बाहर कौवे को डाल दो, दीदी मत खाओ आप भी। ऐसा नहीं कि हम ये खा लेते हैं और आप कल वाली दाल खा लो। कभी नहीं करती हैं क्योंकि लोगों ने हमारे साथ किया है और मैं ये बदलना चाहती हूं। जो आपके घरों में काम करते हैं वो बिके नहीं हुए हैं, वो काम कर रहे हैं आपका तभी वो पैसा ले रहे हैं।'



'मुझे बहुत डांट लगी आज, मेरे से प्लेट टूट गई'भारती ने बताया कि कई बार मां काम से लौटकर घर में बहन से अपना दर्द सुनाती और उदास होकर कहतीं, 'मुझे बहुत डांट लगी आज, मेरे से प्लेट टूट गई। मेरे ये ये हो गया, वो हो गया। कभी हाथ में लग भी जाता तो बांधकर आती थी।'

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