ढाका: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के हेड मोहम्मद यूनुस ने बीते हफ्ते पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा से ढाका में मुलाकात की। इस दौरान यूनुस ने मिर्जा को आर्ट ऑफ ट्रायम्फ कलाकृति भेंट करते हुए अपना भारत-विरोधी रुख दिखा दिया। इसमें भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को बांग्लादेश के भीतर दिखाया गया है। यह एक तरह से भारत को उसका क्षेत्र छीन लेने की धमकी जैसा है। यूनुस का भारत विरोधी रुख बार-बार देखा गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वो क्यों अपने शक्तिशाली पड़ोसी के साथ इस तरह के बर्ताव कर रहे हैं।
यूनुस और उनका प्रशासन भारत के प्रति लगातार शत्रुतापूर्ण रवैया अपना रहा है। इतना ही नहीं बांग्लादेश ने भारत विरोधी मोर्चा बनाने के लिए पाकिस्तान के साथ संबंधों को भी सुधार रहा है। यूनुस की ओर से शीर्ष पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी को भारतीय क्षेत्र को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाने वाली कलाकृति भेंट करना इस प्रवृत्ति का प्रतीक है।
यूनुस की बयानबाजीयूनुस ने पहले भी भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र पर भड़काऊ टिप्पणियां की हैं। मार्च में चीन की अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान यूनुस ने पूर्वोत्तर पर टिप्पणी की थी। सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर भी यूनुस बयान देते रहे हैं। चिकन नेक या सिलीगुड़ी कॉरिडोर जमीन की एक संकरी पट्टी है, जो भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश के बाकी हिस्से से जोड़ती है। यूनुस बार-बार भारत की इस कमजोरी की तरफ इशारा करते रहे हैं।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत की गंभीर भू-राजनीतिक कमजोरियों में से एक है। अपने सबसे संकरे बिंदु पर 22 किलोमीटर चौड़ी यह पट्टी मुख्य भूमि भारत को उसके पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ती है, जो नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के बीच फैली है। इसके महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता क्योंकि यह भारत के पूर्वोत्तर में 4.5 करोड़ लोगों की जीवनरेखा, सैन्य रसद का मार्ग और राष्ट्रीय एकीकरण की धुरी है।
भारत की चिंताचिकन नेक पर बयानबाजी के बाद यूनुस का पाकिस्तान के जनरल शमशाद मिर्जा को विकृत नक्शा भेंट करने से उभरती हुई गतिशीलता का संकेत मिलता है।दरअसल अफगानिस्तान में असफलताओं का सामना कर रही पाकिस्तानी सेना बांग्लादेश के साथ अपने संबंध मजबूत करना चाहती है। जनरल असीम मुनीर के बाद दूसरे नंबर के पद पर आसीन जनरल मिर्जा इसीलिए ढाका का दौरा कर रहे हैं।
भारत-भूटान-चीन त्रि-जंक्शन के पास चीन के बढ़ते सैन्य बुनियादी ढांचे ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है। 2017 के डोकलाम गतिरोध ने इस गलियारे की कमजोरी को रेखांकित किया। इससे भारत को अपनी सुरक्षा बढ़ानी पड़ी। इस गलियारे से होकर गुजरने वाली एक रेलवे लाइन का मुख्य आपूर्ति मार्ग के रूप में मौजूद होना एक रणनीतिक चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि शत्रुता की स्थिति में यह निशाना बन सकता है।
चीन का रुखचीन ने आक्रामक रुख दिखाते हुए सिलीगुड़ी गलियारे के पास बांग्लादेश में लालमोनिरहाट हवाई अड्डे का विकास किया है। भारत को घेरने की चीन की रणनीति लंबे समय से रही है। अब बांग्लादेश के साथ उसके नए जुड़ाव के माध्यम से वह यह करना चाहता है। सिलीगुड़ी गलियारे के पास लालमोनिरहाट हवाई अड्डे के संभावित विकास ने दिल्ली में रणनीतिक खतरे की घंटी बजा दी है।
उत्तर से चीन दबाव बढ़ाए और दक्षिण से शत्रुतापूर्ण बांग्लादेश अशांति पैदा करे तो भारत को सिलीगुड़ी क्षेत्र में एक अभूतपूर्व दोहरे मोर्चे के संकट का सामना करना पड़ सकता है। गलियारे की भौगोलिक सीमाए तेजी से सैन्य लामबंदी को मुश्किल बना देंगी, जबकि कोई भी विद्रोही या पांचवें स्तंभ की गतिविधि रसद को पंगु बना सकती है और प्रतिक्रिया समय में देरी कर सकती है।
भारत का जवाबभारत अपने पूर्वी हिस्से की सुरक्षा के लिए एक बहुस्तरीय और बहुआयामी दृष्टिकोण अपना रहा है। बुनियादी ढांचे के उन्नयन के साथ सिलीगुड़ी कॉरिडोर को मजबूत करना, राजमार्गों को चौड़ा करना, समानांतर रेल लाइनें बनाना, सुरक्षा अभ्यास करना और व्यापार प्रतिबंध लगाना इसमें शामिल हैं। हालांकि तैयारियों के बावजूद यूनुस के रवैये को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
यूनुस और उनका प्रशासन भारत के प्रति लगातार शत्रुतापूर्ण रवैया अपना रहा है। इतना ही नहीं बांग्लादेश ने भारत विरोधी मोर्चा बनाने के लिए पाकिस्तान के साथ संबंधों को भी सुधार रहा है। यूनुस की ओर से शीर्ष पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी को भारतीय क्षेत्र को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाने वाली कलाकृति भेंट करना इस प्रवृत्ति का प्रतीक है।
यूनुस की बयानबाजीयूनुस ने पहले भी भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र पर भड़काऊ टिप्पणियां की हैं। मार्च में चीन की अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान यूनुस ने पूर्वोत्तर पर टिप्पणी की थी। सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर भी यूनुस बयान देते रहे हैं। चिकन नेक या सिलीगुड़ी कॉरिडोर जमीन की एक संकरी पट्टी है, जो भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश के बाकी हिस्से से जोड़ती है। यूनुस बार-बार भारत की इस कमजोरी की तरफ इशारा करते रहे हैं।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत की गंभीर भू-राजनीतिक कमजोरियों में से एक है। अपने सबसे संकरे बिंदु पर 22 किलोमीटर चौड़ी यह पट्टी मुख्य भूमि भारत को उसके पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ती है, जो नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के बीच फैली है। इसके महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता क्योंकि यह भारत के पूर्वोत्तर में 4.5 करोड़ लोगों की जीवनरेखा, सैन्य रसद का मार्ग और राष्ट्रीय एकीकरण की धुरी है।
भारत की चिंताचिकन नेक पर बयानबाजी के बाद यूनुस का पाकिस्तान के जनरल शमशाद मिर्जा को विकृत नक्शा भेंट करने से उभरती हुई गतिशीलता का संकेत मिलता है।दरअसल अफगानिस्तान में असफलताओं का सामना कर रही पाकिस्तानी सेना बांग्लादेश के साथ अपने संबंध मजबूत करना चाहती है। जनरल असीम मुनीर के बाद दूसरे नंबर के पद पर आसीन जनरल मिर्जा इसीलिए ढाका का दौरा कर रहे हैं।
भारत-भूटान-चीन त्रि-जंक्शन के पास चीन के बढ़ते सैन्य बुनियादी ढांचे ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है। 2017 के डोकलाम गतिरोध ने इस गलियारे की कमजोरी को रेखांकित किया। इससे भारत को अपनी सुरक्षा बढ़ानी पड़ी। इस गलियारे से होकर गुजरने वाली एक रेलवे लाइन का मुख्य आपूर्ति मार्ग के रूप में मौजूद होना एक रणनीतिक चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि शत्रुता की स्थिति में यह निशाना बन सकता है।
चीन का रुखचीन ने आक्रामक रुख दिखाते हुए सिलीगुड़ी गलियारे के पास बांग्लादेश में लालमोनिरहाट हवाई अड्डे का विकास किया है। भारत को घेरने की चीन की रणनीति लंबे समय से रही है। अब बांग्लादेश के साथ उसके नए जुड़ाव के माध्यम से वह यह करना चाहता है। सिलीगुड़ी गलियारे के पास लालमोनिरहाट हवाई अड्डे के संभावित विकास ने दिल्ली में रणनीतिक खतरे की घंटी बजा दी है।
उत्तर से चीन दबाव बढ़ाए और दक्षिण से शत्रुतापूर्ण बांग्लादेश अशांति पैदा करे तो भारत को सिलीगुड़ी क्षेत्र में एक अभूतपूर्व दोहरे मोर्चे के संकट का सामना करना पड़ सकता है। गलियारे की भौगोलिक सीमाए तेजी से सैन्य लामबंदी को मुश्किल बना देंगी, जबकि कोई भी विद्रोही या पांचवें स्तंभ की गतिविधि रसद को पंगु बना सकती है और प्रतिक्रिया समय में देरी कर सकती है।
भारत का जवाबभारत अपने पूर्वी हिस्से की सुरक्षा के लिए एक बहुस्तरीय और बहुआयामी दृष्टिकोण अपना रहा है। बुनियादी ढांचे के उन्नयन के साथ सिलीगुड़ी कॉरिडोर को मजबूत करना, राजमार्गों को चौड़ा करना, समानांतर रेल लाइनें बनाना, सुरक्षा अभ्यास करना और व्यापार प्रतिबंध लगाना इसमें शामिल हैं। हालांकि तैयारियों के बावजूद यूनुस के रवैये को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
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