इस्लामाबाद: कश्मीर के नाम पर पाकिस्तान जिहादियों का देश बनाने के बाद भी वहां के नेताओं को अक्ल नहीं आई है। पाकिस्तान के नेता आज भी कश्मीर के नाम पर पूरे लाव लश्कर के साथ पाकिस्तानियों को बेवकूफ बनाते हैं। जैसे पाकिस्तान ने एक बार फिर से प्रोपेगेंडा करते हुए कश्मीर ब्लैक डे मनाया है, जबकि इसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पीओके में हालात खराब हैं और पाकिस्तान की सेना ने दर्जनों लोगों की पिछले दिनों हत्या कर दी।
पाकिस्तान के नेताओं ने सोमवार को 'कश्मीर ब्लैक डे' मनाते हुए एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मौके पर जम्मू-कश्मीर के लोगों को "अडिग नैतिक, कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन" देने का हो हल्ला मचाया है, जबकि पीओके की स्थिति इतनी ज्यादा खराब है, लेकिन इनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता है।
कश्मीर के नाम पर पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा
आपको बता दें कि हर साल 27 अक्टूबर को पाकिस्तानी कश्मीर के नाम पर पूरे देश में ड्रामा करते हैं। हैरानी की बात ये है कि कश्मीर पर सबसे पहले पाकिस्तानियों ने ही हमला किया था और जिस दिन भारतीय सेना ने कश्मीर को पाकिस्तानियों के हमले से बचाने के लिए ऑपरेशन शुरू किया था, उस दिन से इन लोगों ने 'ब्लैक डे' मनाना शुरू कर दिया। प्रोपेगेंडा फैलाने में पाकिस्तानी अपने जन्म के साथ ही माहिर रहे हैं। इस दौरान शहबाज शरीफ ने यूनाइटेड नेशंस तक से कश्मीर को लेकर अपील कर डाली। जबकि, भारत ने साफ शब्दों में पाकिस्तान से कहा है कि वो पीओके को भारत को सौंप दे और क्षेत्रीय शांति में योगदान दे।
राष्ट्रपति जरदानी के ऑफिस से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि "अपनी ओर से, पाकिस्तान आईआईओजेके के लोगों को अपना अटूट नैतिक, कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन जारी रखेगा, जो रोजाना उत्पीड़न सह रहे हैं। हम न्याय, शांति और आत्मनिर्णय के संघर्ष में अपने कश्मीरी भाइयों के साथ एकजुट हैं।" वहीं, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी हल्ला मचाते हुए कहा कि "कश्मीर मुद्दे के न्यायसंगत और शांतिपूर्ण समाधान के बिना दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता हासिल नहीं हो सकेगी।" उन्होंने कहा कि "हर साल, 27 अक्टूबर कश्मीर के इतिहास का सबसे काला दिन होता है... उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन के बाद से, भारत कश्मीरी लोगों को उनके आत्मनिर्णय के अविभाज्य अधिकार से वंचित करता रहा है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों में निहित है।"
आपको बता दें कि पाकिस्तानी सेना के हमले के बाद 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने भारत से विलय होने की घोषणा करते हुए Instrument of Accession पर हस्ताक्षर किए थे। यानी जम्मू-कश्मीर आधिकारिक तौर पर भारत का हिस्सा बन गया। इसके अगले दिन यानि 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय वायुसेना ने पहले सैनिक श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतरे और भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को खदेड़ना शुरू कर दिया।
पाकिस्तान के नेताओं ने सोमवार को 'कश्मीर ब्लैक डे' मनाते हुए एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मौके पर जम्मू-कश्मीर के लोगों को "अडिग नैतिक, कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन" देने का हो हल्ला मचाया है, जबकि पीओके की स्थिति इतनी ज्यादा खराब है, लेकिन इनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता है।
कश्मीर के नाम पर पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा
आपको बता दें कि हर साल 27 अक्टूबर को पाकिस्तानी कश्मीर के नाम पर पूरे देश में ड्रामा करते हैं। हैरानी की बात ये है कि कश्मीर पर सबसे पहले पाकिस्तानियों ने ही हमला किया था और जिस दिन भारतीय सेना ने कश्मीर को पाकिस्तानियों के हमले से बचाने के लिए ऑपरेशन शुरू किया था, उस दिन से इन लोगों ने 'ब्लैक डे' मनाना शुरू कर दिया। प्रोपेगेंडा फैलाने में पाकिस्तानी अपने जन्म के साथ ही माहिर रहे हैं। इस दौरान शहबाज शरीफ ने यूनाइटेड नेशंस तक से कश्मीर को लेकर अपील कर डाली। जबकि, भारत ने साफ शब्दों में पाकिस्तान से कहा है कि वो पीओके को भारत को सौंप दे और क्षेत्रीय शांति में योगदान दे।
राष्ट्रपति जरदानी के ऑफिस से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि "अपनी ओर से, पाकिस्तान आईआईओजेके के लोगों को अपना अटूट नैतिक, कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन जारी रखेगा, जो रोजाना उत्पीड़न सह रहे हैं। हम न्याय, शांति और आत्मनिर्णय के संघर्ष में अपने कश्मीरी भाइयों के साथ एकजुट हैं।" वहीं, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी हल्ला मचाते हुए कहा कि "कश्मीर मुद्दे के न्यायसंगत और शांतिपूर्ण समाधान के बिना दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता हासिल नहीं हो सकेगी।" उन्होंने कहा कि "हर साल, 27 अक्टूबर कश्मीर के इतिहास का सबसे काला दिन होता है... उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन के बाद से, भारत कश्मीरी लोगों को उनके आत्मनिर्णय के अविभाज्य अधिकार से वंचित करता रहा है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों में निहित है।"
आपको बता दें कि पाकिस्तानी सेना के हमले के बाद 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने भारत से विलय होने की घोषणा करते हुए Instrument of Accession पर हस्ताक्षर किए थे। यानी जम्मू-कश्मीर आधिकारिक तौर पर भारत का हिस्सा बन गया। इसके अगले दिन यानि 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय वायुसेना ने पहले सैनिक श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतरे और भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को खदेड़ना शुरू कर दिया।
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