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Bihar: 'जो सवर्ण नहीं, वह सेकेंड क्लास सिटिजन हम गिराएंगे...'; बिहार में राहुल गांधी के नए बयान से सियासत तेज

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कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि अगर आप अपर कास्ट (सवर्ण) नहीं हैं, तो इस देश में सेकेंड क्लास सिटिजन (दूसरे दर्जे के नागरिक) हैं।

सिस्टम ने आपको घेरकर रखा है।

जाति जनगणना समाज का एक्स-रे है, जिससे आपको वंचित रखा जा रहा है। यह क्रांतिकारी कदम है, इसलिए आरएसएस और भाजपा इसे रोकना चाहती है, मगर अब दुनिया की कोई शक्ति इसे नहीं रोक सकती है।

तेलंगाना में जाति जनगणना हुई, आंकड़े आए तो हमने आरक्षण बढ़ा दिया। यह डेटा मोदी जी आपको नहीं देना चाहते।

मैं मोदी जी से कहना चाहता हूं कि ये जो आपने 50 प्रतिशत आरक्षण की झूठी दीवार बनाई है इसे हटाइए, नहीं तो हम इसे गिराकर फेंक देंगे।

पटना में बोले राहुल गांधी

पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन में राहुल ने माना कि पूर्व में कांग्रेस से गलती हुई है।

उन्होंने कहा कि मैं पहला व्यक्ति हूं जो यह कहेगा कि बिहार में कांग्रेस को जो काम करना चाहिए था, जिस मजबूती और गति से करना चाहिए था, वह हमने नहीं किया। हम अपनी गलती से समझे हैं।

अब हम बिना रुके, पूरे शक्ति से कमजोर, गरीब, दलित, वंचितों, महिलाओं को लेकर आगे बढ़ेंगे। बिहार में कांग्रेस और गठबंधन की यही भूमिका है कि वह गरीब, दलित, ओबीसी, ईबीसी को आगे बढ़ाए।

मैंने और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बिहार की टीम को साफ बता दिया है कि गरीब-पिछड़ी जनता को प्रतिनिधित्व दीजिए।

हम दलितों-महिलाओं के लिए राजनीति का दरवाजा खोलकर बिहार का चेहरा बदलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में हमने कांग्रेस जिलाध्यक्षों की नई सूची जारी की।

पहले जिलाध्यक्षों की सूची में दो तिहाई अपर कास्ट के लोग थे मगर अब नई सूची में दो तिहाई ईबीसी, ओबीसी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज के लोग हैं।

एनडीए सरकार अदाणी-अंबानी की राजनीति कर रही है, हम उन्हें हराने जा रहे हैं। इस देश को आजादी से लेकर अब तक बिहार ने दिशा दी है, फिर से बिहार की जनता यह काम करेगी।

संविधान 70-80 साल पुरानी किताब नहीं, हजारों साल की विचारधारा

राहुल गांधी ने सम्मेलन में संविधान की प्रति दिखाते हुए कहा कि यह सिर्फ 70-80 साल पुरानी किताब नहीं, हजारों साल पुरानी विचारधारा है।

इसमें भगवान बुद्ध, गुरु नानक, महात्मा गांधी, बाबा साहेब आंबेडकर, कबीर जैसे महापुरुषों की सोच है। इसमें सावरकर की विचारधारा नहीं क्योंकि वह सच्चाई का सामना नहीं कर पाए।

संविधान हिंदुस्तान की सच्चाई का स्वर है। गांधी जी ने आत्मकथा लिखी- माई एक्सपेरिमेंट विद ट्रूथ (सच के साथ मेरे प्रयोग)। माई एक्सपेरिमेंट विद लाई (झूठ के साथ मेरे प्रयोग) नहीं लिखी, शायद मोदी जी लिख पाएंगे।

उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने शेयर मार्केट की धज्जियां उड़ा दी है। फिर हाल में बैठे लोगों से सवाल किया- कितने लोग शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं?

गिने-चुने लोगों के हाथ उठाने पर कहा कि एक प्रतिशत भी नहीं। तेलंगाना में जाति गणना हुई तो ऐसी ही सच्चाई सामने आई।

वहां बैंक लोन लेने से लेकर बड़ी कंपनियों के मालिक, सीईओ, मैनेजमेंट टीम में एक भी ईबीसी, ओबीसी, दलित, आदिवासी नहीं मिले।

दूसरी तरफ मजदूरों की सूची में 95 प्रतिशत पिछड़े-आदिवासी और दलित हैं। इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार, डॉ शकील अहमद खां, अनिल जयहिंद, अंशुल अभिजीत, डॉ रतन लाल, ओम प्रकाश महतो, भागीरथ मांझी सहित विभिन्न दलित-वंचित समुदाय के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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