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सीजेआई-सुप्रीम कोर्ट पर दुबे के विवादित बयान पर भाजपा ने हाथ खड़े किए

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नई दिल्ली: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विवादित बयान देते हुए कहा कि देश में हो रहे सभी गृहयुद्धों के लिए सुप्रीम कोर्ट और देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं। जब इस बयान पर भारी विवाद हुआ तो भाजपा ने निशिकांत दुबे के बयान से खुद को अलग कर लिया और कहा कि यह उनका निजी बयान है जिसका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश को लेकर दिए गए बयान से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है, भाजपा न तो इस बयान से सहमत है और न ही इसका समर्थन करती है।

निशिकांत दुबे ने वक्फ फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस को लेकर यह बयान दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम में किए गए कुछ संशोधनों के क्रियान्वयन पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। इसके बाद दुबे ने गुस्से में आकर सोशल मीडिया पर मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की। भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने निशिकांत के बयान का समर्थन नहीं किया, हालांकि इस विवाद के बीच भी दुबे ने अब पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी को लेकर विवादित बयान दिया है। दुबे ने कहा कि एसवाई कुरैशी चुनाव आयुक्त नहीं बल्कि मुस्लिम आयुक्त हैं।

कुरैशी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में केंद्र सरकार के वक्फ अधिनियम में संशोधन की आलोचना की और दावा किया कि वक्फ अधिनियम में संशोधन तबाही मचाने की एक राक्षसी योजना है, जिसके जरिए मुसलमानों की जमीनें हड़पी जाएंगी। कुरैशी के इस बयान के बाद अब भाजपा सांसद दुबे ने कहा कि कुरैशी देश के मुख्य चुनाव आयुक्त नहीं बल्कि एक मुस्लिम आयुक्त हैं। चुनाव आयुक्त के रूप में कुरैशी के कार्यकाल के दौरान, कई बांग्लादेशी घुसपैठियों को झारखंड में मतदाता बनाया गया था। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट के वकील और वक्फ याचिका में पक्ष रख रहे अनस तनवीर ने दुबे के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए गए बयान की आलोचना करते हुए कहा कि दुबे का बयान खतरनाक और भड़काऊ है और उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के वकील ने देश के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर दुबे के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए सहमति मांगी। दुबे के बयान पर जहां भाजपा ने आपत्ति जताई थी, वहीं कांग्रेस ने पलटवार किया था। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि भाजपा दो भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा के बयानों पर नुकसान की भरपाई कर रही है। भाजपा ने इन दो आदतन अपराधी सांसदों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?

सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भाजपा सांसदों के विवादित बयान

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि इस देश के कानून संसद बनाती है और सुप्रीम कोर्ट उसी संसद को आदेश देगा? सुप्रीम कोर्ट ने नया कानून कैसे बनाया? कौन सा कानून कहता है कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होगा? इस आदेश का मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहता है। इस पर संसद में विस्तार से चर्चा की जाएगी।

दुबे विवाद के बीच भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि जब बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान बनाया था, तब विधायिका और न्यायपालिका की शक्तियां स्पष्ट रूप से लिखी गई थीं। भारतीय संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति लोकसभा और राज्यसभा को आदेश नहीं दे सकता। राष्ट्रपति ने वक्फ अधिनियम को अपनी मंजूरी दे दी है। चूंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं, इसलिए कोई भी उन्हें चुनौती नहीं दे सकता।

वहीं भाजपा के एक अन्य राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि मणिपुर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लिया है, लेकिन हम देख रहे हैं कि पश्चिम बंगाल के कई इलाके जल रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट अपनी आंखें बंद किए हुए है। पूरे देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। लोगों को लगता है कि सुप्रीम कोर्ट बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने का आदेश देगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट चुप है।

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