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गुड फ्राइडे क्यों मनाया जाता है? जानिए इतिहास, मानवता को क्या संदेश दिया

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ईसाई धर्म का पवित्र त्योहार गुड फ्राइडे 18 अप्रैल को है। ईसाई समुदाय के लोग प्रभु ईसा मसीह को समर्पित इस दिन का लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। इस दिन चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं। लोग उपवास, मौन और ध्यान का पालन करते हैं। गुड फ्राइडे ईसाइयों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, जो ईस्टर से पहले वाले शुक्रवार को पड़ता है। इसे ब्लैक फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे और होली फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है।

 

गुड फ्राइडे का नाम कैसे पड़ा?

ईसाई धर्मग्रंथ बाइबिल के अनुसार, लोगों के कल्याण के लिए प्रभु ईसा मसीह ने न केवल प्रेम, करुणा, ज्ञान और अहिंसा का संदेश दिया, बल्कि यहूदी शासकों से घोर शारीरिक और मानसिक यातनाएं भी सहन कीं और सूली पर चढ़ गए। जिस दिन प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया वह दिन शुक्रवार था। इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है और यह त्यौहार ईसा मसीह के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

गुड फ्राइडे का इतिहास जानिए

गुड फ्राइडे त्यौहार का इतिहास 2005 साल पुराना बताया जाता है। प्रभु यीशु मसीह का जन्म बेथलेहम में हुआ था। अपने जन्म के बाद, यीशु यरूशलेम में रहे और लोगों को मानवता, एकता, भाईचारे और शांति का संदेश दिया। लोग उन्हें ईश्वर का दूत मानने लगे। समाज की बुराइयों को खत्म करने के लिए वह धर्म के मार्ग पर चलकर लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाना चाहते थे। लेकिन कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आया। उन्होंने यीशु मसीह के विरुद्ध अफ़वाहें फैलानी शुरू कर दीं। इन आरोपों के कारण प्रभु यीशु मसीह को क्रूस पर चढ़ा दिया गया। जब यहूदी शासक यीशु को सूली पर चढ़ा रहे थे, तो वे लोगों के कल्याण के लिए मुस्कुराते हुए क्रूस के पास चढ़ गए।

मानवता के लिए एक संदेश

ईसाइयों की पवित्र पुस्तक बाइबल में भी उल्लेख है कि ईसा मसीह को लगभग 6 घंटे तक सूली पर लटकाया गया था और फिर फांसी दे दी गई थी। ईसाई मान्यता के अनुसार, यीशु का यह बलिदान मानवता को नया जीवन देता है। ईसा मसीह ने समस्त मानव जाति को यह संदेश दिया कि यदि समाज के कल्याण के लिए आपको अपना जीवन बलिदान करना पड़े तो मुस्कुराते हुए करें।

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