नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद करने की धमकी देकर परमाणु युद्ध को टाल दिया है। हालांकि, भारत सरकार ने मंगलवार को ट्रंप के दावों को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि शनिवार सुबह जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी से बात की तो किसी व्यापार मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। इसके अलावा, पाकिस्तान के साथ तटस्थ स्थान पर द्विपक्षीय वार्ता के संबंध में विदेश मंत्रालय ने अमेरिका को बताया था कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता तभी होगी जब वह पीओके खाली कर देगा। कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले में हिंदुओं की हत्या के जवाब में भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत सैन्य कार्रवाई शुरू करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक युद्ध की स्थिति बनी रही। फिर शनिवार को दोनों देश युद्धविराम पर सहमत हो गए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश और कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए तैयार होने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान को कश्मीर के अवैध रूप से कब्जे वाले हिस्से, पीओके को खाली करना होगा। भारत की शुरू से यही नीति रही है और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि शनिवार 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से संपर्क कर युद्धविराम के लिए तत्परता जताई, जिसके कारण दोनों देशों के बीच संघर्ष रुक गया।
जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने दोपहर 12.37 बजे भारत से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण भारत हॉटलाइन के जरिए उनसे संपर्क नहीं कर सका। इसलिए भारतीय डीजीएमओ के साथ उनकी बातचीत दोपहर 3.35 बजे निर्धारित की गई।
भारत ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को संघर्ष विराम के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि शनिवार सुबह ही भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के मुख्य एयरबेस पर अभूतपूर्व हमला किया था, जिससे भारी क्षति हुई थी। भारतीय सैन्य बलों की मजबूती के कारण पाकिस्तान को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर मजबूर होना पड़ा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अन्य देशों के साथ बातचीत में भारत ने यही संदेश दिया था कि वह केवल 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले के जवाब में आतंकवादी ढांचों को निशाना बना रहा है। यदि पाकिस्तानी सेना गोलीबारी करेगी तो भारतीय सेना भी जवाब देगी। अगर पाकिस्तान रुक गया तो भारत भी रुक जाएगा। मंगलवार रात एक बजे ऑपरेशन सिंदूर शुरू होते ही पाकिस्तान को यह संदेश दे दिया गया।
उन्होंने कहा कि 7 मई से 10 मई तक चले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच बातचीत केवल सैन्य स्थिति पर ही हुई, व्यापार संबंधी किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई।
इसके अलावा विदेश मंत्रालय ने कहा कि जो देश दशकों से आतंकवाद को उद्योग की तरह पाल रहा है, अगर उसे लगता है कि वह इसके परिणामों से बच जाएगा तो वह खुद को धोखा दे रहा है। भारत ने जिस आतंकवादी नेटवर्क को ध्वस्त किया है, वह न केवल भारतीय नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार था, बल्कि दुनिया भर में कई निर्दोष लोगों की मौत के लिए भी जिम्मेदार था। अब एक नई सामान्य स्थिति स्थापित हो गई है और पाकिस्तान जितनी जल्दी इसे स्वीकार कर लेगा, उसके लिए उतना ही बेहतर होगा।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि आपसी विश्वास और सद्भावना के आधार पर हुई थी, लेकिन पाकिस्तान ने लंबे समय से सीमा पर आतंकवाद को समर्थन देकर भारत के साथ अपने संबंधों को कमजोर किया है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, भारत ने स्पष्ट रूप से निर्णय लिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना स्थायी रूप से बंद नहीं कर देता, तब तक भारत इस संधि को लागू नहीं करेगा।
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