Pushya Nakshatra 2025: जानिए सालभर की शुभ तिथियां और महत्व
पुष्य नक्षत्र का धार्मिक महत्व
News India Live, Digital Desk: पुष्य नक्षत्र हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पूजनीय माना जाता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इसे सभी 27 नक्षत्रों का राजा कहा गया है। पुष्य का अर्थ होता है ऊर्जा या शक्ति देने वाला। इसके स्वामी शनि ग्रह हैं। प्राचीन काल से ऋषि-मुनि भी पुष्य नक्षत्र को बहुत महत्व देते थे, इसलिए इसे ‘अमरेज्य’ भी कहा गया है, जिसका अर्थ है देवताओं द्वारा पूजे जाने वाला नक्षत्र।
आइए जानते हैं 2025 में पुष्य नक्षत्र की तिथियां:
पुष्य नक्षत्र तिथियां प्रारंभ समय समाप्त समय14 जनवरी, मंगलवार | 10:17 AM | 10:28 AM (15 जनवरी) |
10 फरवरी, सोमवार | 06:01 PM | 06:34 PM (11 फरवरी) |
9 मार्च, रविवार | 11:55 PM | 12:51 AM (11 मार्च) |
6 अप्रैल, रविवार | 05:32 AM | 06:25 AM (7 अप्रैल) |
3 मई, शनिवार | 12:34 PM | 12:53 PM (4 मई) |
30 मई, शुक्रवार | 09:29 PM | 09:07 PM (31 मई) |
27 जून, शुक्रवार | 07:22 AM | 06:35 AM (28 जून) |
24 जुलाई, गुरुवार | 04:43 PM | 04:00 PM (25 जुलाई) |
21 अगस्त, गुरुवार | 12:27 AM | 12:08 AM (22 अगस्त) |
17 सितंबर, बुधवार | 06:26 AM | 06:32 AM (18 सितंबर) |
14 अक्टूबर, मंगलवार | 11:54 AM | 12:00 PM (15 अक्टूबर) |
10 नवंबर, सोमवार | 06:48 PM | 06:17 PM (11 नवंबर) |
8 दिसंबर, सोमवार | 04:11 AM | 02:52 AM (9 दिसंबर) |
हिंदू धर्म में पुष्य नक्षत्र की अवधि पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान, दान-पुण्य, और नई वस्तुओं की खरीद के लिए बेहद शुभ मानी जाती है। इस नक्षत्र में किया गया कोई भी शुभ कार्य या निवेश समृद्धि और सुख लेकर आता है।
You may also like
रिटायर्ड एएसआई के पुत्र की हत्या, साथी बोला- 20 मिनिट में हुए 60 फायर
Good news for farmers: PM किसान की अगली किस्त जल्द, ऐसे चेक करें अपनी पात्रता
इतिहास के पन्नों में 03 जूनः लॉर्ड माउंटबेटेन ने बदल दिया भारत का इतिहास और भूगोल
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे का भीलवाड़ा दौरा, वंचितों को योजनाओं से जोड़ने पर दिया जोर
यमुनानगर : सात साल की बच्ची से दुष्कर्म मामले में आरोपित गिरफ्तार