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उत्तर प्रदेश में 40 साल पुराना रेलवे प्रोजेक्ट शुरू: 82 किमी लंबी रेल लाइन से बढ़ेगा विकास और कनेक्टिविटी

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उत्तर प्रदेश में 40 साल पुराना रेलवे प्रोजेक्ट शुरू: 82 किमी लंबी रेल लाइन से बढ़ेगा विकास और कनेक्टिविटी

उत्तर प्रदेश में बीते चार दशकों से लंबित एक महत्वपूर्ण रेलवे परियोजना को आखिरकार मंजूरी मिल गई है। सहजनवां से बांसगांव होते हुए न्यू दोहरीघाट तक 82 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन बिछाई जाएगी, जिससे पूर्वांचल और बिहार के कई हिस्सों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। इस रेल ट्रैक के निर्माण पर लगभग ₹1320 करोड़ की लागत आएगी और यह तीन चरणों में पूरा किया जाएगा।

क्या होगा इस रेल लाइन का लाभ?

नई रेलवे लाइन के जरिए प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर और बिहार के छपरा जैसे प्रमुख शहरों तक रेल यात्रा कहीं अधिक सुगम और कम समय में संभव होगी। यह रूट न केवल यात्रियों के लिए राहत लेकर आएगा, बल्कि व्यापार, परिवहन और स्थानीय रोजगार के लिहाज़ से भी बेहद लाभदायक सिद्ध होगा।

तीन चरणों में होगा निर्माण
  • पहला चरण: सहजनवां से बांसगांव तक 33 किलोमीटर लंबी लाइन

  • दूसरा चरण: बांसगांव से बड़हलगंज

  • तीसरा चरण: बड़हलगंज से न्यू दोहरीघाट तक

  • प्रत्येक चरण में स्थानीय स्तर पर सड़कों, पुलों, स्टेशनों और अन्य सुविधाओं का निर्माण होगा, जिससे आसपास के लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

    112 गांवों की जमीन होगी अधिग्रहित

    रेल लाइन के निर्माण के लिए 112 गांवों से कुल 403.29 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जा रही है। अब तक लगभग 58 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है और किसानों को उचित मुआवजा देने की प्रक्रिया भी चल रही है।

    बारह नए स्टेशन, आधुनिक सुविधाएं

    इस परियोजना के तहत कुल 12 रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें प्रमुख होंगे:

    • बांसगांव (मुख्य क्रॉसिंग स्टेशन)

    • सहजनवां

    • पिपरौली

    • खजनी

    • गोला बाजार

    • दोहरीघाट

    • बनवापार

    • बड़हलगंज

    • पुरवा बाजार

    • बैदौली बाबू

    • बरौली

    • उनवल

    इन स्टेशनों का या तो निर्माण किया जा रहा है या उनका आधुनिकीकरण प्रस्तावित है।

    सरयू नदी पर बनेगा सबसे लंबा रेल पुल

    परियोजना का एक विशेष आकर्षण 1200 मीटर लंबा रेल पुल होगा, जो सरयू नदी पर बनेगा। इसके अलावा 15 अंडरपास, 11 बड़े पुल, 47 छोटे पुल और 2 रेलवे ओवरब्रिज भी बनाए जाएंगे। यह पूर्वांचल की सबसे जटिल और तकनीकी रूप से उन्नत रेल परियोजनाओं में से एक होगी।

    प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट से मिली थी मंजूरी

    इस रेलवे प्रोजेक्ट को 17 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में स्वीकृति मिली थी। तब से अब तक योजना की प्रक्रिया में तेजी लाई गई है और निर्माण कार्य प्रगति पर है।

    रोजगार और विकास को मिलेगा बढ़ावा

    इस रेलवे प्रोजेक्ट से पूर्वांचल और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी, व्यापार और रोजगार को नया बल मिलेगा। विशेष रूप से गोरखपुर, बड़हलगंज और दोहरीघाट जैसे क्षेत्रों में आर्थिक विकास की नई संभावनाएं जन्म लेंगी।

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