भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की आलोचना की: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के पाखंड को उजागर करते हुए कहा कि जो देश आतंकवादियों और नागरिकों के बीच अंतर नहीं करता, उसे अपने नागरिकों की सुरक्षा के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है। इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तानी सेना ने जानबूझकर भारतीय सीमावर्ती गांवों पर गोलीबारी की, जिसमें नागरिक मारे गए।
संयुक्त राष्ट्र को फटकार
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि भारत ने कई पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमलों का सामना किया है। इसमें मुंबई में 26/11 के हमले से लेकर पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की क्रूर सामूहिक हत्या तक सब कुछ शामिल है। पाकिस्तानी आतंकवाद के शिकार मुख्यतः आम नागरिक हुए हैं, क्योंकि इसका उद्देश्य हमारी समृद्धि, प्रगति और मनोबल पर हमला करना है। “ऐसे देश का अपने नागरिकों की सुरक्षा पर चर्चा में भाग लेना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का अपमान है।”
उन्होंने आगे कहा, ‘इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तानी सेना ने जानबूझकर भारतीय सीमावर्ती गांवों पर गोलीबारी की, जिसमें 20 से अधिक नागरिक मारे गए और 80 से अधिक घायल हो गए। गुरुद्वारों, मंदिरों और अस्पतालों को भी जानबूझकर निशाना बनाया गया। ऐसे व्यवहार के बाद उपदेश देना घोर पाखंड है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के मुद्दे पर एकजुट होना चाहिए। नागरिकों पर कोई भी हमला अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेषकर अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन है।
पाकिस्तान ने नागरिकों की आड़ में बार-बार आतंकवाद को बढ़ावा दिया
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान बार-बार नागरिकों की आड़ में आतंकवाद को बढ़ावा देता है। हाल ही में हमने देखा कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, पुलिस और सैन्य अधिकारी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
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