केंद्रीय सरकार पेंशन के मुद्दे पर गंभीर है। यह मामला 2006 से पहले के रिटायर कर्मचारियों से संबंधित है। इस साल रिटायर होने वाले कर्मचारियों की पेंशन असमानता को दूर करने के लिए 25,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है।
पेंशन सुधारों की नई पहल
कर्मचारियों की पेंशन में बदलाव के लिए नए सुधार लागू किए गए हैं। वित्त अधिनियम 2025 ने केंद्रीय सेवा पेंशन नियमों में संशोधन किया है। इसके साथ ही, कर्मचारियों के लिए यूपीएस पेंशन कार्यक्रम की शुरुआत भी की गई है। हालांकि, सैकड़ों कर्मचारियों की पेंशन में असमानता को समाप्त करना आसान नहीं होगा, क्योंकि उन्हें बढ़ी हुई पेंशन के साथ लाखों रुपये का एरियर भी देना होगा।
पेंशन का पुराना मामला
यह मामला 2006 से पहले और बाद में रिटायर हुए कर्मचारियों की पेंशन से संबंधित है। अधिकारियों की पेंशन में काफी विसंगतियाँ हैं, जिन्हें 2008 में सरकारी कर्मचारियों ने अदालत में चुनौती दी थी। इस मामले की अगली सुनवाई 16 मई, 2025 को होगी।
कर्मचारियों की चिंताएँ
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ऑल इंडिया S-30 पेंशनर्स एसोसिएशन और FORIPSO (फोरम ऑफ रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर्स) का कहना है कि 2006 से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को 2006 के बाद रिटायर हुए कर्मचारियों की तुलना में कम पेंशन मिल रही है। दोनों संगठनों ने 2008 में पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा जारी एक कार्यालय ज्ञापन को मुद्दा बनाया।
6वें वेतन आयोग का विवाद
6वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद, कार्मिक मंत्रालय ने 2008-09 का आधिकारिक ज्ञापन जारी किया। इससे 2006 से पहले और बाद के पेंशनभोगियों के बीच पेंशन में अंतर आ गया। कई पेंशनभोगी अब 2006 के बाद के पेंशनभोगियों से कम पेंशन प्राप्त कर रहे हैं।
कानूनी लड़ाई का परिणाम
2012 में FORIPSO ने CAT में मामला दायर किया। 15 जनवरी 2015 को इसके पक्ष में निर्णय आया, जिसमें सरकार को पेंशन स्केल को पुनः बनाने का आदेश दिया गया। 2015 में FORIPSO ने केंद्र के आदेश का पालन न करने पर अवमानना मामला दायर किया।
अदालत में फिर से मामला
FORIPSO ने 2024 में उच्च न्यायालय के आदेश का पालन न करने पर अवमानना याचिका दायर की। केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। अब केंद्र के पास कानूनी विकल्प सीमित हैं।
सरकार का नया कदम
केंद्र ने वित्त अधिनियम 2025 के तहत पेंशनभोगियों के अधिकारों को बनाए रखने का प्रयास किया है। इस अधिनियम में कहा गया है कि केंद्र सरकार को अपने पेंशनभोगियों को बांटने का अधिकार है और पेंशन अधिकार के लिए सेवानिवृत्ति की तारीख को आधार माना जाएगा।
सरकार पर वित्तीय बोझ
यदि सरकार इस फैसले को मानती है, तो उसे भारी वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ेगा। FORIPSO की रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक प्रभावित पेंशनभोगी को 14.5 लाख रुपये से 16.5 लाख रुपये के बीच बकाया राशि का भुगतान करना होगा। 300 से अधिक सेवानिवृत्त अधिकारियों के प्रभावित होने के साथ, अनुमान है कि केंद्र को 25,000 करोड़ रुपये या इससे अधिक का वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा।
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