लाइव हिंदी खबर :-मां चंद्रघंटा पूजा
पौराणिक ग्रंथों में मां चंद्रघंटा को अद्भुत शक्तियों वाली देवी के रूप में वर्णित किया गया है। देवी का स्वरूप अनोखा है, जिसमें उनके सिर पर अर्धचंद्र और दस हाथ हैं, जिनमें विभिन्न शास्त्र विद्यमान हैं। उनकी मुद्रा युद्ध के लिए तत्पर रहने की होती है और उनका वाहन सिंह है। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा और साधना करने से भक्त अलौकिक वस्तुओं का अनुभव कर सकते हैं और दिव्य सुगंधियों का अनुभव प्राप्त करते हैं।
देवी को प्रसन्न करने की विधि इस विधि से करें देवी को प्रसन्न
नवरात्रि के तीसरे दिन यदि आप मां चंद्रघंटा का व्रत और पूजन कर रहे हैं, तो सुबह स्नान करने के बाद लाल रंग के आसन पर बैठें। देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर हाथ में स्फटिक की माला लें और इस मंत्र का कम से कम एक माला, यानी 108 बार जाप करें: पिण्डज प्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्र कैर्युता | प्रसादं तनुते मह्यं चंद्र घंष्टेति विश्रुता || इस दिन स्वर्ण यानी सुनहरे रंग के वस्त्र पहनना चाहिए, क्योंकि यह रंग देवी चंद्रघंटा को बहुत प्रिय है।
देवी चंद्रघंटा के व्रत के लाभ देवी चंद्रघंटा के व्रत के लाभ
शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा की उपासना करने से भक्त इस लोक से परे की वस्तुओं का अनुभव कर सकता है। इससे उसका मन और मस्तिष्क पूरी तरह से नियंत्रित हो जाता है, और वह अपने आस-पास की वस्तुओं को सामान्य लोगों से अधिक गहराई से समझने लगता है। कहा जाता है कि देवी चंद्रघंटा की आराधना करने वाले भक्त के चेहरे पर तेज होता है, जिससे लोग उसे देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं।
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