लाइव हिंदी खबर :- यदि कोई व्यक्ति अपने घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाता है और उसकी नियमित देखभाल करता है, तो उसके सभी पाप और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। तुलसी का पौधा पूर्वजन्म के कष्टों को भी समाप्त करने की क्षमता रखता है। पुराणों के अनुसार, मृत्यु के समय तुलसी के पत्तों को गंगाजल के साथ लेने से आत्मा को शांति मिलती है और वह स्वर्ग की ओर जाती है। इसीलिए हिंदू धर्म में किसी की मृत्यु के समय गंगाजल में तुलसी के पत्ते डालकर पिलाने की परंपरा है, जिससे व्यक्ति सभी बंधनों से मुक्त हो सके और स्वर्ग की प्राप्ति कर सके।
तुलसी की देखभाल में कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। तुलसी के पत्ते तोड़ते समय यदि आप अपवित्र हैं, तो इससे पाप लगता है। इसलिए, बिना स्नान किए तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। एकादशी, रविवार, और चंद्र ग्रहण के दिन तुलसी को छूना या तोड़ना भी वर्जित है, क्योंकि इससे दोष लग सकता है।
इन दोषों के कारण कालसर्प और पितृदोष व्यक्ति के जीवन में प्रभावी हो जाते हैं, जिससे उसे निरंतर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नौकरी और व्यापार में नुकसान होने लगता है। इसलिए, बिना आवश्यकता के तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, क्योंकि इससे तुलसी माता का अपमान होता है और महालक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं।
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी तुलसी का पौधा अत्यंत लाभकारी है। विशेषकर, अस्थमा और सांस संबंधी समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए तुलसी एक वरदान है। रोजाना पांच तुलसी के पत्ते खाने से सांस की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
बुखार, सर्दी, या त्वचा पर संक्रमण होने पर भी तुलसी के पत्ते बहुत फायदेमंद होते हैं। नियमित रूप से तुलसी के पत्ते खाने से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे कई बीमारियां दूर रहती हैं।
जो लोग भगवान श्री कृष्ण या विष्णु की पूजा करते हैं, उनके लिए तुलसी के पत्ते अनिवार्य हैं। तुलसी के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। हनुमान जी को भी तुलसी का भोग अर्पित किया जाता है। यदि रामा तुलसी को हनुमान जी को भोग में रखा जाए, तो इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। रामा तुलसी हनुमान जी को विशेष प्रिय है।
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