इंटरनेट डेस्क। विजयदशमी जिसे दशहरा के नाम से भी जाना जाता हैं, आज देशभर में मनाया जा रहा है। यह त्योहार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, दशहरा अच्छाई पर बुराई की विजय का प्रतीक माना जाता है। रामायण के अनुसार, रावण ने सीता माता का अपहरण किया था, भगवान राम ने सत्य, धर्म और न्याय की रक्षा के लिए रावण से युद्ध किया और उसे हराया, इसलिए हर साल इस दिन भारत के अलग-अलग हिस्सों में रावण का पुतला जलाया जाता है।
मनाते हैं शौक
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक समाज ऐसा भी है जो दशहरे वाले दिन लंकापति रावण के दहन पर शोक में डूब जाता है, ये समाज खुद को दशानन का वंशज बताता है, इसलिए गोधा श्रीमाली समाज के लोग इस दिन शोक मनाते हैं।
हर साल मनाते हैं शोक
हर साल दशहरे के मौके पर रावण दहन के बाद गोधा श्रीमाली समाज के लोग रावण दहन के धुएं को देखकर स्नान करते हैं और उसके बाद जनेऊ बदल कर ही खाना खाते हैं, दशहरे के दिन शोक मनाने वाले सभी श्रीमाली समाज के लोग अपने आप को रावण का वंशज बताते हैं, मान्यता के अनुसार जब त्रेता युग में रावण का विवाह हुआ था, उस समय बारात जोधपुर के मंडोर आई थी, रावण की शादी मंडोर में मंदोदरी से हुई थी। ऐसा माना जाता है कि बारात में आए गोधा परिवार के लोग यहीं बस गए, दशहरा के दिन जब देशभर में रावण का पुतला जलाया जाता है, उस दिन ये लोग रावण की पूजा करते हैं, सूरसागर स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग की तलहटी में रावण का मंदिर भी बना हुआ है।
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