प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट में महेश जोशी पर गंभीर आरोप
- जल जीवन मिशन घोटाले की पीएमएलए कानून में ईडी की जांच जारी
- श्री श्याम ट्यूबवेल कम्पनी व श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ईडी की जांच का केंद्र
- दोनों कंपनियों के साथ कुल 18 के खिलाफ लगाए ईडी ने आरोप
- पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी को दी गई 5.40 करोड़ की रिश्वत
- संजय बड़ाया के माध्यम से नकद में दी गई रिश्वत की राशि
- विमल कोठारी -
जयपुर। जल जीवन मिशन घोटाले की धनशोधन निवारण अधिनियम-पीएमएलए कानून में जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय-ईडी की चार्जशीट में अब तक हुई जांच के आधार पर इस घोटाले से जुड़े आरोपियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ईडी ने पीएमएलए मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत सीबीआई कोर्ट नंबर 3, जयपुर महानगर में 315 पेज की चार्जशीट पेश की, जिसमें रिश्वत में कमाई राशि के उपयोग पर पूरा फोकस किया गया है। ईडी की चार्जशीट में तत्कालीन जलदाय मंत्री महेश जोशी पर उनके करीबी संजय बड़ाया के माध्यम से फर्जीवाड़े की शिकायत के बावजूद श्री श्याम ट्यूबवैल कम्पनी व श्री गणपति ट्यूबवैल कम्पनी को टेंडर दिए जाने के लिए 5.40 करोड़ की रिश्वत लेने के गंभीर आरोप भी दर्ज है।
अदालत में पेश ED की चार्जशीट के दस्तावेज में जल जीवन मिशन घोटाले को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से दर्ज दो प्राथमिकी को मुख्य आधार बनाया गया है। आरोप है कि फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र के आधार पर टेंडर प्राप्त करने वाली पदम चंद जैन की श्री श्याम ट्यूबवेल कम्पनी व महेश मित्तल की श्री गणपति ट्यूबवेल कम्पनी के अनुभव प्रमाणपत्र को लेकर जलदाय विभाग ने इन दोनों ही कंपनियों से सवाल किए थे, बकायदा पत्र व्यवहार हुए, लेकिन संजय बड़ाया के दबाव में आ कर अधिकारियों ने इन शिकायतों की अनदेखी कर दी और दोनों कंपनियों को न केवल टेंडर जारी किए, बल्कि इन कंपनियों को 488 करोड़ 52 लाख 40 हजार 155 रुपए के भुगतान भी जारी कर दिए गए। आरोप यह भी है कि टेंडर कार्यों के भुगतान के लिए भी अधिकारियों का कमीशन आधा फीसदी की दर से तय था। काम में देरी के लिए दोनों कंपनियों पर जुर्माना भी लगाया गया, लेकिन बाद में दबाव के कारण इस जुर्माने की भी अनदेखी हुई।
ईडी की चार्जशीट में पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी पर पदम चंद जैन व महेश मित्तल से 5 करोड़ 40 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप भी लगाए गए हैं। आरोप है कि यह राशि महेश जोशी को उनके करीबी संजय बड़ाया के माध्यम से नकद में दी गई। आरोप यह भी है कि कुल 5 करोड़ 40 लाख की रिश्वत का भुगतान किस्तों में हुआ। एक करोड़ रुपए का भुगतान पदम चंद जैन ने संजय बड़ाया के पिता हरी नारायण बड़ाया को चेक से किया, जिसका ब्याज सहित भुगतान लेखा पुस्तिकाओं में वापस भी हुआ, लेकिन इस राशि की वापसी नकद राशि मिलने के बाद हुई। आरोप है कि रिश्वत राशि में से 3.30 करोड़ रुपए संजय बड़ाया ने समझौते के अनुसार अपने पिता व माता शांति देवी बड़ाया के नाम से जमीन खरीदने में किया, बाद में इन जमीनों को प्रवर्तन निदेशालय ने पीएमएलए कानून में अंतरिम रूप से जब्त भी किया, जबकि शेष दो करोड़ 10 लाख रुपए का उपयोग महेश जोशी ने प्रॉपर्टी में निवेश के रूप में किया, इसमें से 50 लाख रुपए की राशि महेश जोशी ने अपने पुत्र रोहित जोशी की फर्म सुमंगलम लैंडमार्क एलएलपी में विभिन्न लोगों के माध्यम से नकद जमा करवा कर चेक से भुगतान कराया बाद में इस राशि का उपयोग जमीन में निवेश के रूप में किया गया। इन सभी संपत्तियों को भी ईडी ने अंतरिम रूप से जब्त किया है। जल जीवन मिशन घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने इस घोटाले से जुड़े लोगों की अब तक 47 करोड़ 79 लाख 62 हजार 262 रुपए मूल्य की चल-अचल सम्पत्तियों को अंतरिम रूप से जब्त कर चुका है।
आरोप है कि जलदाय मंत्री महेश जोशी की नजदीकी का लाभ उठा कर उनका करीबी संजय बड़ाया विभाग के अधिकारियों पर पूरा नियंत्रण किए था। अधिकारियों से मनमाफिक काम कराने से लेकर उनके तबादले, मलाईदार पोस्ट पर नियुक्ति और एपीओ कराने तक की धमकी देना बड़ाया का रूटीन कार्य था। प्रवर्तन निदेशालय को दिए बयानों में जलदाय विभाग के अधिकारियों ने अपनी यह मजबूरी भी उजागर की है। दावा किया गया है कि अजमेर के अतिरिक्त मुख्य अभियंता (स्पेशल प्रोजेक्ट) परितोष गुप्ता का तबादला कराने में संजय बड़ाया की भूमिका महत्वपूर्ण थी। आरोप है कि जलदाय विभाग की ठेकेदार फर्म श्री श्याम ट्यूबवेल कम्पनी के संचालक पदम चंद जैन और श्री गणपति ट्यूबवेल कम्पनी के संचालक महेश मित्तल की सिफारिश पर ही बड़ाया ने परितोष गुप्ता का अजमेर से तबादला कराया और इनके स्थान पर महेन्द्र प्रकाश सोनी को लगाया गया। इसके बाद पदम चंद जैन और महेश मित्तल की कंपनियों की फाइलें सरपट दौड़ी और कामकाज ने तीव्र गति पकड़ी।
विशेष अदालत में ईडी के अधिवक्ता अजातशत्रु मीना की ओर से 20 जून को पेश चार्जशीट में लगाए गए आरोप, विभिन्न दस्तावेजी प्रमाणों व अन्य आरोपियों के बयानों पर आधारित बताए जाते हैं, इसके प्रमाण भी चार्जशीट में अदालत को उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन अदालत के सामने इन आरोपों को साबित करने की जिम्मेदारी निदेशालय के अधिकारियों की ही है। हालांकि ईडी को दिए गए बयानों में महेश जोशी ने जल जीवन मिशन में घोटाले से किसी भी तरह के संबंध होने व बड़ाया के माध्यम से 5.40 करोड़ की रिश्वत लेने से साफ इनकार किया है। विभाग में काम करने की प्रक्रिया तय है, जिसमें उनका दखल भी सीमित होता है। संजय बड़ाया को लेकर जोशी ने स्पष्ट कहा है कि उनका परिचित व सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते जलदाय विभाग में हैंडपंप लगाने व बोरिंग जैसे छोटे-बड़े काम के लिए उन्होंने सिफारिश की होगी। जोशी का दावा है कि बड़ाया की ओर से उनके नाम का दुरुपयोग करने की जानकारी उन्हें नहीं है और ना ही विभाग के किसी अधिकारी ने इस संबंध में उन्हें कोई शिकायत की है, बड़ाया से कोई व्यावसायिक रिश्ता व लेनदेन भी नहीं है। पीएमएलए कानून में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जल जीवन मिशन घोटाले की जांच फिलहाल जारी है।
अलग से बॉक्स
जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े लोगों की इन सम्पत्तियों की हुई जब्ती
जलदाय विभाग में जमा अर्नेस्ट मनी डिपोजिट-ईएमडी अर्थात बयाना
श्री श्याम ट्यूबवेल कम्पनी : 4,26,73,448 रुपए
श्री गणपति ट्यूबवेल कम्पनी : 26,14,99,036 रुपए
पदम चन्द जैन, श्रीमती राजदुलारी जैन की अचल सम्पत्ति : 5,88,96,147 रुपए
महेश मित्तल के पुत्र हेमंत कुमार मित्तल (गोलू), सौरव मित्तल व सीमा मित्तल की अचल सम्पत्ति : 86,12,040 रुपए
संजय बड़ाया, हरी नारायण बड़ाया, शांति देवी बड़ाया, नैना बड़ाया व चमत्कारेश्वर रियल एस्टेट की अचल सम्पत्ति : 5,27,00,000 रुपए
महेश जोशी, रोहित जोशी की सुमंगलम लैंडमार्क एलएलपी की अचल सम्पत्ति : 2,10,01,790 रुपए
विशाल सक्सेना व दीप्ति सक्सेना की अचल सम्पत्ति : 19,38,300 रुपए
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