व्यापम घोटाले को लेकर लंबे समय से विवादों में रही एमपी की भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. अब एमपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2023 में नया घोटाला सामने आया है. मुन्नाभाई फिल्म की तर्ज पर सॉल्वर नामक फर्जी अभ्यर्थी ने असली अभ्यर्थी की जगह न सिर्फ परीक्षा दी बल्कि पास होकर कांस्टेबल भी बन गया. हालांकि कांस्टेबल पद पर नियुक्ति से पहले ही ऐसे लोग पकड़े गए. आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक यह मामला किसी एक जिले का नहीं है और इसलिए साल 2023 में हुई यह पूरी भर्ती परीक्षा सवालों के घेरे में आ गई है.
मुन्नाभाई फिल्म की तर्ज पर अजब एमपी में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. सालों के इंतजार के बाद पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में बड़ा खेल पकड़ा गया है, जहां असली अभ्यर्थियों की जगह फर्जी अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी और अच्छे अंकों से पास भी हो गए. तकनीकी तौर पर सॉल्वर कहे जाने वाले इन फर्जी अभ्यर्थियों ने न सिर्फ लिखित परीक्षा पास की बल्कि पुलिस कांस्टेबल का फिजिकल टेस्ट भी पास कर लिया. लेकिन जब जॉइनिंग की बारी आई तो फर्जी की जगह असली अभ्यर्थी पहुंच गए। लेकिन यहां उनका फर्जीवाड़ा पकड़ा गया और अब फर्जी के साथ-साथ असली अभ्यर्थी भी पुलिस की गिरफ्त में हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक मप्र के तीन जिलों में करीब एक दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस कांस्टेबल के पद पर जॉइन करने वाले नए रिक्रूट अब कभी पुलिस की वर्दी नहीं पहन पाएंगे। - मप्र पुलिस भर्ती परीक्षा ऑनलाइन फॉर्मेट में पूरे एक महीने तक चली - परीक्षा 12 अगस्त 2023 से 12 सितंबर 2023 तक आयोजित की गई - लिखित परीक्षा का रिजल्ट 7 मार्च 2024 को जारी किया गया - फिजिकल टेस्ट के अंक जोड़ने के बाद फाइनल रिजल्ट 12 मार्च 2025 को जारी किया गया - पूरे मध्य प्रदेश में करीब 7 लाख युवाओं ने कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का फॉर्म भरा - इनमें से 7090 लोगों का चयन हुआ लाखों युवाओं में से चयनित 7090 अभ्यर्थियों में मुरैना निवासी राम रूप गुर्जर भी शामिल थे, जो अलीराजपुर जिले के एसपी ऑफिस में जॉइनिंग के लिए आए थे।
ज्वाइनिंग से पहले जब उसका आधार कार्ड चेक किया गया तो वरिष्ठ अधिकारियों को शक हुआ। थोड़ी और जांच में पता चला कि लिखित परीक्षा से पहले और बाद में राम रूप गुर्जर के आधार कार्ड में बदलाव किया गया था। इतना ही नहीं परीक्षा के एडमिट कार्ड में उसकी फोटो भी संदिग्ध लग रही है। इस पर पुलिस ने एक टीम भोपाल भेजकर कर्मचारी चयन बोर्ड से राम रूप के दस्तावेज हासिल किए। इसके बाद जब फिंगर प्रिंट का मिलान किया गया तो पता चला कि परीक्षार्थी और ज्वाइनिंग के लिए आए व्यक्ति के फिंगर प्रिंट अलग-अलग हैं। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर राम रूप को हिरासत में लेकर पूछताछ की। उसने बताया कि उसकी जगह बिहार के रहने वाले सॉल्वर अमरेंद्र सिंह ने 1 लाख रुपए लेकर परीक्षा दी थी। इस कबूलनामे के बाद पुलिस ने सॉल्वर अमरेंद्र को बिहार-झारखंड बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया और दोनों को कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड हासिल की, जहां दोनों से पूछताछ की जा रही है।
अलीराजपुर की तरह एमपी के 2 अन्य जिलों में भी कांस्टेबल पद पाने वालों ने खुद की जगह दूसरों को परीक्षा और फिजिकल टेस्ट देने के लिए भेजा और ज्वाइनिंग से ठीक पहले पकड़े गए। कांस्टेबल पद पर चयनित मुरैना के राधाचरण और दिनेश सिंह के दस्तावेजों की जांच के दौरान पता चला कि दोनों आरोपियों के आधार कार्ड परीक्षा से पहले और परीक्षा के ठीक बाद अपडेट किए गए थे। राधाचरण ने 18 अगस्त को होने वाली परीक्षा में अपनी जगह दूसरे सॉल्वर को बैठाने के लिए 18 जुलाई 2023 और 19 अगस्त 2023 को अपना आधार कार्ड अपडेट किया था। दिनेश सिंह का आधार भी 14 अगस्त 2023 और 19 अगस्त 2023 को अपडेट किया गया था। इस पर दस्तावेज जांच समिति का ध्यान गया। जांच समिति के कहने पर जब राधाचरण और दिनेश के फिंगरप्रिंट का मिलान परीक्षार्थियों के फिंगरप्रिंट से किया गया तो फिंगरप्रिंट मेल नहीं खाए, जिससे साबित हो गया कि परीक्षार्थी और ज्वाइनिंग लेटर लेने आए लोग अलग-अलग थे। इसी तरह श्योपुर में भी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2023 में चयनित दो अभ्यर्थियों और उनके सॉल्वर और आधार कार्ड अपडेट करने वाले युवक समेत कुल 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
दरअसल, पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा वर्ष 2023 में चयनित कांस्टेबलों में श्योपुर जिले में 19 कांस्टेबल मिले थे। लेकिन जॉइनिंग से ठीक पहले दस्तावेज जांच में 3 अभ्यर्थी फर्जी मिले, जिनके नाम सोनू रावत, संतोष रावत और अमन सिंह हैं। पुलिस ने जब इन्हें पकड़कर पूछताछ की तो पता चला कि इन्होंने अपनी जगह परीक्षा देने के लिए एक सॉल्वर को पैसे दिए थे। आरोपियों के कबूलनामे के बाद पुलिस ने दो सॉल्वर और आधार कार्ड अपडेट कराने वाले 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें कांस्टेबल पद पर चयनित सोनू रावत और अमन सिंह, सोनू रावत का सॉल्वर सतेंद्र, अमन का सॉल्वर गणेश के अलावा आधार कार्ड अपडेट कराने वाले पुष्पेंद्र, सुरेंद्र और जसरथ समेत कुल 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक पकड़े गए लोग भले ही अलग-अलग इलाकों के हों, लेकिन सभी ने एक ही तरीके से नौकरी पाने का जुआ खेला और बार-बार अपने आधार कार्ड की बायोमेट्रिक पहचान अपडेट कराई।
आधार कार्ड देकर देनी होगी फिजिकल परीक्षा - सॉल्वर की रकम तय होने के बाद आधार कार्ड की बायोमेट्रिक पहचान बदलने का खेल शुरू होता है - इसके लिए गिरोह के सदस्यों के सिस्टम पर आधार कार्ड अपडेट किया जाता है - इसमें सिर्फ चेहरा और फिंगर प्रिंट जैसी बायोमेट्रिक पहचान बदली जाती है - आधार कार्ड अपडेट में असली अभ्यर्थी और सॉल्वर का चेहरा मिलाकर एक फोटो बनाई जाती है, जो अभ्यर्थी के चेहरे से मेल खाती है - परीक्षा से पहले बायोमेट्रिक पहचान बदलकर उसमें सॉल्वर का फिंगरप्रिंट अपडेट किया जाता है - परीक्षा के बाद आधार कार्ड में असली अभ्यर्थी की बायोमेट्रिक पहचान अपडेट की जाती है, ताकि वह अपने असली स्वरूप में आ जाए - ज्वाइनिंग के समय उसी आधार कार्ड की कॉपी जमा करनी होती है, ताकि किसी को शक न हो।
अब जब इसी तरह से सरकारी नौकरी पाने के लिए घोटाले का खेल इतने बड़े पैमाने पर सामने आया है, तो सरकार के कान भी खड़े हो गए हैं। पूरे मामले की गोपनीय तरीके से जांच की जा रही है। वहीं इस पूरे मामले ने एक बार फिर सालों पुराने व्यापम घोटाले की याद ताजा कर दी है, जहां इसी तरह असली अभ्यर्थियों की जगह किसी और व्यक्ति को परीक्षा में बैठने के लिए मोटी रकम दी गई थी. व्यापम घोटाले से जुड़े कई लोगों की संदिग्ध मौत ने भी पूरी दुनिया का ध्यान इस घोटाले की ओर खींचा और इस बदनामी के बाद व्यापम का नाम बदलकर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड कर दिया गया. लेकिन साल 2022 में इस नाम को भी बदलकर एमपी कर्मचारी चयन बोर्ड कर दिया गया. पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में हुई धांधली के बाद सवाल उठ रहे हैं कि सिर्फ नाम बदला है, लेकिन काम अभी भी पुराने तरीके से ही हो रहा है.
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