पाकिस्तान की सेना एक अजीबोगरीब संस्था है। ऐसा लगता है कि वहां सैनिकों की नहीं, बल्कि मनमोहक कहानियों के लेखकों की भर्ती होती है। जितनी अच्छी कहानी, उतना ऊंचा ओहदा। विचारों की उड़ान में पाकिस्तान जैसा नहीं है। वहां आतंकियों के काम में भी सेना का 'लुगदी साहित्य' भारत की छाया पाता है। चाहे कुछ भी हो जाए, बस भारत पर लांछन लगाओ। पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर वही रंग दिखाया है। खैबर पख्तूनख्वा के वजीरिस्तान में आत्मघाती हमले के बाद उसने भारत पर उंगली उठाई। भारत ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हमने पाकिस्तान का बयान देखा है।
Statement regarding Pakistan
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) June 28, 2025
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यह बयान झूठा है। हम इसे पूरी तरह खारिज करते हैं। इस तरह के आरोप घृणित हैं। पिछले महीने बलूचिस्तान में भी ऐसा ही हमला हुआ था। तब भी भारत को नीचा दिखाने की कोशिश की गई थी। कोई सबूत नहीं मिला। अब वजीरिस्तान में भी यही स्क्रिप्ट दोहराई जा रही है। वजीरिस्तान हमले में 13 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए
यह हमला 28 जून की सुबह हुआ। जगह थी, उत्तरी वजीरिस्तान का खादी इलाका। बम से लदी गाड़ी ने सेना के काफिले को टक्कर मार दी। धमाका बहुत जोरदार था। 13 सैनिक मौके पर ही मारे गए। 29 लोग घायल हुए। महिलाएं और बच्चे भी घायल हुए। पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि यह हमला कर्फ्यू के दौरान हुआ। सेना की बम निरोधक इकाई के एक वाहन को निशाना बनाया गया। विस्फोट के बाद इलाके में गोलीबारी शुरू हो गई। अफरातफरी मच गई। आसपास की दुकानें और वाहन नष्ट हो गए। कई लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़े समूह उसुद अल-हरब ने हमले की जिम्मेदारी ली है। यह वही संगठन है जो पाकिस्तान के भीतर सक्रिय है। इसके बावजूद पाकिस्तानी सेना ने भारत का नाम घसीटा। बिना सबूत के। बिना किसी आधार के।
भारत का कहना है कि पाकिस्तान को अपना घर साफ करना चाहिए। हर आतंकी हमले के बाद भारत को दोष देने की आदत छोड़नी चाहिए। दुनिया जानती है कि पाकिस्तान खुद आतंकियों का अड्डा है। वह न तो आतंकवाद को रोक रहा है और न ही जिम्मेदारी ले रहा है।
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