गाजियाबाद के नाहल गांव में बुधवार रात एक साहसी पुलिस कार्रवाई के दौरान कांस्टेबल सौरभ देशवाल की शहादत ने उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे को झकझोर दिया। नोएडा पुलिस की एक टीम जब हिस्ट्रीशीटर कादिर को पकड़ने गांव पहुंची, तो सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से शुरू हुआ, लेकिन जैसे ही पुलिस टीम कादिर को पकड़कर लौट रही थी, पंचायत भवन के पीछे छिपे बदमाशों ने अचानक पथराव कर दिया। बदले हालात में जहां अधिकतर पुलिसकर्मी जान बचाकर इधर-उधर भाग गए, वहीं कांस्टेबल सौरभ देशवाल अकेले मोर्चा संभालते रहे।
अकेले भिड़े सौरभ, लेकिन नहीं बच सके गोली सेसौरभ देशवाल ने बहादुरी से दर्जन भर से ज्यादा बदमाशों का मुकाबला किया। उन्होंने अपने साहस से पुलिस की शान को जिंदा रखा, लेकिन बदमाशों की तरफ से हुई फायरिंग में एक गोली उनके सिर में जा लगी। गोली लगते ही सौरभ वहीं गिर पड़े। बदमाश मौका देख कर भाग निकले और बाकी टीम ने सौरभ को तुरंत गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल पहुंचाया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। खबर मिलते ही नोएडा और गाजियाबाद पुलिस में हड़कंप मच गया।
तड़के हुआ कादिर का एनकाउंटरसौरभ की शहादत के बाद पुलिस प्रशासन ने तेजी से कार्रवाई की। गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर ने डीसीपी ग्रामीण की निगरानी में विशेष टीम गठित की। सुबह होते ही इस टीम ने हिस्ट्रीशीटर कादिर का एनकाउंटर करते हुए उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया।
सौरभ देशवाल: नौ साल में कई खतरनाक अपराधियों को पकड़ामूल रूप से शामली के बधेव गांव के रहने वाले सौरभ देशवाल का सपना था कि वे पुलिस फोर्स में शामिल हों। 2016 में उनका चयन हुआ और तभी से वे अपने साहस और कार्यशैली के लिए जाने गए। डेढ़ साल पहले ही उनका ट्रांसफर नोएडा पुलिस के फेज-3 थाने में हुआ था। साथी पुलिसकर्मियों के अनुसार, सौरभ की गिनती सबसे निडर और तेज तर्रार सिपाहियों में होती थी, और इसलिए उन्हें हमेशा स्पेशल स्टाफ में तैनात किया जाता था।
शहादत से पहले पत्नी से की थी आखिरी बातगिरफ्तारी से ठीक पहले सौरभ ने अपनी पत्नी से फोन पर बातचीत की थी। उन्होंने खाने-पीने को लेकर कुछ बातें कीं और कहा कि "ड्यूटी पर जा रहा हूं"। उन्हें क्या पता था कि यही उनकी आखिरी बातचीत होगी। अब पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है।
क्यों फंस गई थी पुलिस?नोएडा पुलिस को सूचना मिली थी कि कादिर अपने घर पर मौजूद है, और उसके आठ-दस साथी भी गांव में हैं। बावजूद इसके टीम सादी वर्दी में पहुंची और गाजियाबाद पुलिस को पहले से सूचित नहीं किया गया। नाहल गांव के रास्ते बीहड़ों जैसे हैं — नहर के किनारे, टूटी-फूटी सड़कें और संकरे रास्ते। अपराधी इस इलाके की भूगोलिक स्थिति का भरपूर फायदा उठाते हैं और पुलिस अक्सर यहां फंस जाती है। बाहरी पुलिस टीमों को यहां कई बार मार भी खानी पड़ी है।
निष्कर्षकांस्टेबल सौरभ देशवाल की शहादत न केवल उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि किस तरह हमारे पुलिसकर्मी जान जोखिम में डालकर अपराधियों का सामना करते हैं। सौरभ की वीरता आने वाले समय में सभी पुलिसकर्मियों के लिए एक प्रेरणा बनकर रहेगी। अब सवाल यह है कि क्या व्यवस्था ऐसे वीर जवानों के लिए पर्याप्त सुरक्षा और समर्थन दे पाएगी?
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