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स्वच्छ भारत मिशन ने बदली आगरा की तस्वीर, 6 साल में 1.9 मिलियन मीट्रिक टन कचरा प्रबंधन

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नई दिल्ली, 7 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारत सरकार का महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन न सिर्फ देश को साफ-सुथरा, हरा-भरा बना रहा है बल्कि देशवासियों को गंदगी से होने वाली बीमारियों से बचाकर देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में भी योगदान कर रहा है। उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से इस मिशन की मदद से 1.9 मिलियन मीट्रिक टन कचरे को हटाकर फिर से हरा-भरा कर दिया गया। यह जानकारी आवास और शहरी विकास मंत्रालय की ओर से दी गई।

छह साल पहले तक आगरा के कुबेरपुर इलाके में हर रोज हजारों टन कचरा फेंका जाता था। ये जगह एक जहरीली डंपिंग साइट बन चुकी थी। इस इलाके में 1.9 मिलियन मीट्रिक टन से ज़्यादा ठोस कचरा जमा था। साल 2007 से लेकर 2019 तक यह इलाका शहर के लिए गंदगी और बीमारी का केंद्र बना रहा। लेकिन साल 2019 में केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) और उत्तर प्रदेश सरकार के सफाई अभियान ने इस इलाके को फिर से हरा-भरा कर दिया।

बायोरेमेडिएशन और बायोमाइनिंग तकनीकों की मदद से दिसंबर 2024 तक सरकार ने करीब 230 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि खर्च कर उस इलाके से करीब 1.9 मिलियन मीट्रिक टन कचरा हटा हटाया। इस इलाके से कचरा हटने के बाद जो 47 एकड़ जमीन खाली हुई, उसे फिर से साफ-सुथरा बनाया गया। इसमें से 10 एकड़ में मियावाकी पद्धति से शहरी जंगल तैयार किया गया, 5 एकड़ में आधुनिक सैनिटरी लैंडफिल बनाया गया और बाकी जमीन को ग्रीन ज़ोन में बदला गया। इसके अलावा रोजाना होने वाले नए कचरे को स्मार्ट तरीके से संभालने की व्यवस्था भी की गई।

साल 2019 में एक 300 टन प्रतिदिन (टीडीपी) क्षमता का वेस्ट-टू-कंपोस्ट प्लांट लगाया गया, जिसे बाद में बढ़ाकर 500 टीडीपी कर दिया गया। इसके अलावा पूरे शहर में चार मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी बनाए गए जिनकी कुल क्षमता 405 टीडीपी है, ताकि अलग-अलग तरह के कचरे को अलग किया जा सके और उसका दोबारा इस्तेमाल हो सके।

शहर में 100 फीसदी स्रोत स्तर पर कचरे का पृथक्करण यानी गीला-सूखा कचरा अलग-अलग करने की प्रक्रिया लागू की गई है। घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करने की व्यवस्था की गई ताकि कचरा अब खुले में न जाए। इसके अलावा इसी साल जनवरी के महीने में यहां 65 टीडीपी क्षमता का प्लास्टिक अपशिष्ट प्रोसेसिंग प्लांट शुरू किया गया, जहां प्लास्टिक को रिसाइकल करके कम लागत वाले पानी के पाइप बनाए जा रहे हैं, जो किसानों को सस्ते दामों पर मिल रहे हैं।

अब आगरा का यह इलाका आगरा का एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन शहर बनने के साथ शैक्षिक और शोध केंद्र बन गया है। यहां आईआईटी, विश्वविद्यालयों और स्कूलों के छात्र स्मार्ट शहर के बारे में अध्ययन करने आते हैं।

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(Udaipur Kiran) / prashant shekhar

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