कोकराझार (असम), 15 अप्रैल .कोकराझार जिले के फकीराग्राम थाना छेत्र के राभपारा गांव में बीती रात चला पूजा सफलता के साथ संपन्न हुआ
ज्ञात हो की पिछले कुछ दिनों से इलाके के हर घर से एक व्यक्ति सन्यासी (साधु) का रूप धारण कर सांसारिक मोह माया से दूर रहते हुए भिक्षा मांग कर अपना जीवन यापन किया. बैसाख महीने के दो दिन पहले की रात को 12 बजे स्थानीय श्मशान घाट पर तांत्रिक के द्वारा 15 जगह भोग लगा के शिव की आराधना की गई. उसके बाद बैसाख महीने के अंतिम दिन सुबह से विभिन्न आयोजनों के जरिये चरख पूजा की तैयारी पूरी की गई.
सोमवार की शाम से राभपारा के चरख खेल मैदान में फकीराग्राम के विभिन्न क्षेत्र एवं उसके आस पास के जिलों से उक्त पूजा में शामिल होने तथा अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लोगों इकठा होने लगे.
चरख पूजा में लोगों को विभिन्न तांत्रिक विद्या का नजारा देखने को मिलता है कही मां काली का रूप धारण किये धारदार तलवार लेकर घूमती नाचती हैं तो कहीं देवों के देव महादेव को अपने भूत-पिचासों के साथ नाचते देखा जाता है. बच्चे से बूढ़े तक धारदार तलवार के साथ घूमते नजर आये. कुछ तो अपने जीभ में लोहे की सिक डाल के घूमते नजर आये. अंत में सभी भक्तों का इन्तजार ख़त्म हुआ और एक व्यक्ति की पीठ पर बंशी डाल के उसे उल्टा लटका के घुमाया गया तथा पूरा इलाका देवों के देव माहदेव के जयकारे से गूंज उठा.
उक्त कार्यक्रम में शामिल होने के लिए फकीराग्राम थाना प्रभारी, रभापारा गांवबूढ़ा पूर्ण सरकार, फकीराग्राम पौरसभा के सदस्य संजय ब्रह्म सहित विभिन्न क्षेत्रों से आये बुद्धजीवी मौजूद थे.
आयोजक समिति के प्रमुख्य प्रदीप सरकार ने बताया कि पूजा वर्ष 1983 से इसी तिथि को इसी नियम के साथ आयोजित किया जाता है. सभी लोगों की आस्था इससे जुडी हुई है . बड़े दूर दूर से लोग आज के दिन यहां आकर अपनी मन्नते मांगते है तथा पूरा होने पर मोमबत्ती धूप जलाते है . यह एक शक्ति साथ शिव की पूजा है .
/ किशोर मिश्रा
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