जयपुर, 12 अप्रैल . राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की पालना नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए शिक्षा सचिव को 21 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देने को कहा है. अदालत ने शिक्षा सचिव से पूछा है कि अदालती आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता का बकाया भुगतान क्यों नहीं किया गया. अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि अदालती आदेश की पालना हो जाती है तो शिक्षा सचिव को हाजिर होने की जरूरत नहीं है. जस्टिस नरेन्द्र सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश कृष्ण अवतार गुप्ता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता त्रिभुवन नारायण सिंह और अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार मीणा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता शिक्षा विभाग में कार्यरत था. विभाग की ओर से पूर्व में उसका तबादला किया गया था, जिसे अदालत ने स्टे कर दिया था. वहीं इस अवधि का विभाग ने उसका अक्टूबर, 2019 से मई, 2021 का वेतन परिलाभ भुगतान नहीं किया था. इस पर उसने राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण में अपील दायर कर चुनौती दी थी. अधिकरण में विभाग की ओर से कहा गया था कि अपीलार्थी को इस अवधि का अवकाश स्वीकृति प्रार्थना पत्र पेश करने को कहा था, लेकिन अपीलार्थी ने उस पर कार्रवाई नहीं की. वहीं अपीलार्थी की सेवा पुस्तिका में इस अवधि की सेवा का सत्यापन नहीं है. ऐसे में उसे वेतन नहीं दिया गया. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अधिकरण ने 6 जनवरी, 2023 को विभाग को आदेश जारी कर तीन माह में इस अवधि का बकाया वेतन का भुगतान करने को कहा था. इसके बावजूद भी विभाग की ओर से आदेश की पालना नहीं की गई. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से अधिकरण में अवमानना याचिका दायर की गई. जिसे अधिकरण ने आगामी कार्रवाई के लिए हाईकोर्ट भेजा था.
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