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काशी में दण्डी संन्यासियों की घटती संख्या पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द ने जताई चिंता

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— ‘गोधूलि’ व ‘वाक्यामृत’ पुस्तकों का हुआ लोकार्पण, केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ में संन्यासी समष्टि भण्डारा

वाराणसी,10 अप्रैल . धर्म नगरी काशी की आध्यात्मिक परम्परा में अहम स्थान रखने वाले दण्डी संन्यासियों की संख्या में गिरावट को लेकर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि कभी संन्यासी समष्टि भण्डारों में जहां साढ़े तीन सौ दण्डी महात्मा शामिल होते थे, आज वह संख्या घटकर पचास के आसपास रह गई है. यह बात शंकराचार्य ने गुरुवार को केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ में आयोजित अपने 23वें संन्यास समज्या समारोह के अवसर पर दण्डी संन्यासियों के समक्ष कही. शंकराचार्य ने कहा कि हमारे शास्त्रों ने प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों ही प्रकार के धर्मों को महत्वपूर्ण बताया है. यदि जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति चाहिए, तो निवृत्ति मार्ग ही उपयुक्त है. शंकराचार्य ने यह भी बताया कि ज्योतिर्मठ में गिरि पर्वत और सागर नाम के संन्यासी दुर्लभ हो रहे थे इसीलिए प्रयागराज कुम्भ महापर्व के दौरान उन्होंने गिरि, पर्वत और सागर परम्पराओं को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से इन नामों वाले संन्यासी शिष्यों को दीक्षा दी.

—समर्पण और सत्कार का आयोजन

समारोह की शुरुआत प्रातः सूर्य पूजन से हुई, जिसके उपरांत काशी स्थित दण्डी संन्यासियों का विशेष सम्मान किया गया. श्रीविद्यामठ के प्रभारी ब्रह्मचारी परमात्मानन्द ने शंकराचार्य की ओर से आगंतुक महात्माओं का स्वागत करते हुए नवीन काषाय वस्त्र, रुद्राक्ष कुण्ठा, मालपुए व दक्षिणा प्रदान की.

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ से स्वामी श्रीमज्ज्योतिर्मयानन्द सरस्वती, कानपुर से स्वामी भूताद्युदितानन्द पर्वत महाराज, तथा बाराबंकी से स्वामी असम्भवसम्भवानन्द सरस्वती विशेष रूप से उपस्थित रहे.

—पुस्तक विमोचन व सांस्कृतिक कार्यक्रम

कार्यक्रम में साध्वी पूर्णाम्बा द्वारा संकलित ‘वाक्यामृत’ तथा यतीन्द्रनाथ चतुर्वेदी द्वारा रचित ‘गोधूलि’ पुस्तकों का शंकराचार्य ने विमोचन किया. सांयकाल सत्संग में भजन गायक कृष्ण कुमार तिवारी ने भजनों के माध्यम से आध्यात्मिक वातावरण को और भी भावविभोर कर दिया. कार्यक्रम के दौरान अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने ‘गौमाता राष्ट्रमाता’ का चित्र अतिथियों को भेंट किया. कार्यक्रम में पं. कमलाकांत त्रिपाठी, परमेश्वर दत्त शुक्ल, संजय पाण्डेय, योगेश ब्रह्मचारी सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे.

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/ श्रीधर त्रिपाठी

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