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भारतीय ज्ञान, संस्कार एवं समृद्धि की संवाहक है संस्कृत : डॉ चांद किरण सलूजा

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नई दिल्ली, 06 अप्रैल . भारतीय शिक्षण मंडल का 56वां स्थापना दिवस दिल्ली प्रान्त द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती महाविद्यालय में मनाया गया I इस अवसर पर अखिल भारतीय संगठन मंत्री बी. आर. शंकरानन्द, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो महेश वर्मा, प्रो धनंजय जोशी, प्रो रवि प्रकाश टेकचंदानी, गणपति तेती, ऋषि मोहन भटनागर, सचिन मारण, राजन चोपड़ा, प्रो दर्शन पांडेय सहित सैकड़ों गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे.

कार्यक्रम में ‘शिक्षा में संस्कृत, संस्कृत से संस्कार, संस्कार से समृद्धि’ विषयक कार्यक्रम में राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने संस्कृत को तीन दृष्टि में समझाते हुए कहा कि सृष्टि के साथ ही संस्कृत की उत्पत्ति हुई है | उन्होंने अनुशासन एवं समर्पण को शिक्षा के लिए प्रमुख बताया और संस्कृत एवं संस्कार को एक दूसरे का पर्याय मानते हुए कहा कि संस्कृत ही हमें विद्या का संस्कार देती है I

कार्यक्रम में माैजूद शिक्षक डॉ चांद किरण सलूजा ने कहा कि प्राचीन भारत में शिक्षा का अर्थ मुख्य रूप से भाषा के अर्थ में लिया गया था, जिसका उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करके बेहतर मानव बनना है I उन्होंने शिक्षा नीति पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा का मुख्य लक्ष्य है मानवता का निर्माण करनाI उन्होंने मनुष्य के सम्पूर्ण विकास की दिशाओं का वर्णन भी किया.आगे उन्होंने कहा कि हमारा सम्पूर्ण व्यक्तित्व मन से जुडा है, साथ ही उन्होंने पंच कोष के माध्यम से संस्कारित जीवन की बात करते हुए वैयक्तितता से सामाजिकता की ओर जाना ही संस्कार बतायाI

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/ कुमार अश्वनी

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