कोलकाता, 09 जुलाई (Udaipur Kiran) । राज्य संचालित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत संविदा शिक्षकों के संगठन ‘पारा-टीचर्स एक्य मंच’ ने अपनी वेतन संबंधी मांगों को लेकर एक अनोखा तरीका अपनाने का निर्णय लिया है। संगठन ने बुधवार को घोषणा की कि वे अपने वेतनवृद्धि की मांगें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आधिकारिक फ़ेसबुक पेज की वॉल पर लिखकर दर्ज कराएंगे।
संगठन के संयोजक भगीरथ घोष ने एक बयान में कहा कि प्राथमिक स्तर के एक पारा शिक्षक को 10 हजार और उच्च प्राथमिक स्तर पर 13 हजार मासिक मानदेय मिलता है, जिससे किसी परिवार का भरण-पोषण असंभव है, खासकर तब जब परिवार में कोई अन्य कमाने वाला नहीं हो। घोष ने कहा कि ‘मुख्यमंत्री को बोलें’ कार्यक्रम के तहत आज से 11 जुलाई तक हम मुख्यमंत्री के फ़ेसबुक पेज पर अपनी न्यायसंगत मांगों को लिखेंगे। हम वर्षों से शैक्षणिक संस्थानों में घंटों पढ़ाते हैं और शैक्षणिक जिम्मेदारियां निभाते हैं, फिर भी हमारी अनदेखी होती रही है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से मानवीय दृष्टिकोण अपनाकर वेतन बढ़ाने की मांग की है। घोष ने बताया कि पिछले कई वर्षों में संगठन ने प्रदर्शन, धरना, भूख हड़ताल और यहां तक कि कटोरा लेकर रैली भी निकाली, लेकिन बीते सात वर्षों में वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। जबकि सरकार द्वारा मार्च 2024 में जारी अधिसूचना के तहत अन्य संविदा कर्मियों और वाहन चालकों के वेतन में संशोधन हो चुका है।
घोष ने कहा कि अब हमारे पास कोई और विकल्प नहीं बचा है। हम मुख्यमंत्री कार्यालय का ध्यान आकर्षित करने के लिए सीधे सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री से संपर्क करने को बाध्य हैं।
गौरतलब है कि पारा शिक्षक ‘सर्व शिक्षा अभियान’ जैसी परियोजनाओं के तहत संविदा पर नियुक्त होते हैं और संबंधित परियोजनाएं समाप्त होने के बाद इन्हें विशिष्ट शर्तों के आधार पर रखा जा सकता है। इस पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास और शिक्षक प्रशिक्षण (डीएलएड या बीएड) अनिवार्य है।
स्कूल शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार उनकी मांगों के प्रति संवेदनशील है, लेकिन कार्य की प्रकृति को देखते हुए मानदेय में वृद्धि की संभावना सीमित है। उन्होंने बताया कि 10 वर्षों की सेवा पूरी करने के बाद किसी पारा शिक्षक को 60 वर्ष की आयु पर एक लाख की एकमुश्त राशि दी जाती है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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