जयपुर, 25 जून (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि 25 जून 1975 की आधी रात को देश में थोपा गया आपातकाल हमारे लोकतांत्रिक इतिहास पर काला धब्बा है। इस दौरान तत्कालीन सरकार ने मीसा और डीआईआर जैसे अलोकतांत्रिक कानूनों को लागू कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की आजादी और मौलिक अधिकारों का दमन किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों ने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए जेलों में कड़ी यातनाएं झेली और लोकतंत्र को बचाने के लिए जो संघर्ष किया, वो एक अप्रतिम उदाहरण है।
शर्मा बुधवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आपातकाल लगाए जाने के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय- संविधान हत्या दिवस-2025 कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान तत्कालीन सरकार ने लगभग एक लाख 40 हजार लोगों को अलोकतांत्रिक तरीके से कई महीनों तक कैद में रखा। उस समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भी जेल में बंद कर दिया। लेकिन लोकतंत्र के सजग प्रहरी इन सेनानियों ने जीवन की परवाह किए बिना अपने संकल्प पर डटे रहे और आपातकाल का जमकर विरोध किया।
शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों की मूल भावना के अनुरूप ही यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लोकतंत्र और संविधान को मजबूत करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री ने 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की और बाबा साहब अंबेडकर के जीवन से जुड़े स्थानों को पंचतीर्थ घोषित कर सम्मान दिया। वहीं हमारे द्वारा समर्थित केन्द्र सरकार ने ही बाबा साहब को भारत रत्न दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के साथ ही दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र भी है।
शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार लोकतंत्र सेनानियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। हमने राजस्थान लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि को फिर से बहाल किया है। अब प्रदेश के सभी लोकतंत्र सेनानियों को 20 हजार रुपये मासिक पेंशन और 4 हजार रुपये की मासिक चिकित्सा सहायता उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने कहा कि राजस्थान लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि अधिनियम के तहत ऐसा प्रावधान भी किया गया है कि लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन बिना किसी रुकावट के मिलती रहेगी।
लोकतंत्र की जड़ों को सेनानियों ने सींचा, नव पीढ़ी लें प्रेरणा
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज लोकतंत्र सेनानियों का सान्निध्य पाकर उन्हें अत्यंत हर्ष एवं गौरव की अनुभूति हो रही है। हमारे लोकतंत्र की जड़ों को सींचने और उसे मजबूत बनाने में उनका त्याग हम सब के लिए प्रेरणापुंज है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने भावी पीढ़ी से सेनानियों से उनके संघर्ष के संस्मरण सुनने और प्रेरणा लेने का आह्वान किया। इससे युवाओं को पता चलेगा कि जिन अधिकारों और स्वतंत्रताओं को वो उपभोग कर रहे हैं उसके लिए लोकतंत्र सेनानियों ने कितनी बड़ी कीमत चुकाई।
राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने सत्ता बचाने के लिए आपातकाल लागू कर लोकतंत्र की हत्या की तथा अलोकतांत्रिक तरीके से संविधान संशोधनों के जरिए आमजन के मौलिक अधिकारों का हनन किया। मीसा जैसा कानून लाया गया जिसमे अनिश्चितकालीन गिरफ्तारी का प्रावधान रखा गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश के लोकतंत्र सेनानियों के संस्मरणों से संकलित ‘लोकतंत्र रक्षा की कहानी-सेनानियों की जुबानी’ पुस्तक का विमोचन किया। साथ ही, उन्होंने लोकतंत्र सेनानियों का अभिनंदन किया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने परिसर में आपातकाल के 50 वर्ष पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
समारोह में संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, विधायक गोपाल शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं लोकतंत्र सेनानी उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / अखिल
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