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बीएचयू विश्वनाथ मंदिर में सावन माह की तैयारियां पूरी,श्रावण महोत्सव 11 जुलाई से

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—मंदिर का वर्ष 1931 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने निर्माण शुरू कराया था

वाराणसी, 08 जुलाई (Udaipur Kiran) । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) परिसर स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर में श्रावण माह को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मंदिर प्रशासन द्वारा 11 जुलाई से शुरू होने वाले श्रावण महोत्सव-2025 के लिए व्यापक स्तर पर व्यवस्थाएं की गई हैं। पूरे सावन मास के दौरान मंदिर में विशेष दर्शन-पूजन की व्यवस्था के साथ श्रद्धालुओं के लिए कई नई सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं।

महिला-पुरुषों के लिए अलग कतारें, छात्रों के लिए विशेष प्रबंध

मंदिर के मानित व्यवस्थापक प्रोफेसर विनय कुमार पाण्डेय और सह व्यवस्थापक डॉ. सुभाष पाण्डेय की देखरेख में सावन माह के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। सह व्यवस्थापक के अनुसार, दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए महिला एवं पुरुषों की अलग-अलग कतारें बनाई जाएंगी, जबकि विश्वविद्यालय के छात्रों एवं कर्मचारियों के लिए अलग लाइन की व्यवस्था रहेगी। इससे मंदिर परिसर में भीड़ प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा सकेगा।

अधिक भीड़ पर गर्भगृह में रुद्राभिषेक स्थगित

11 जुलाई से 9 अगस्त तक किसी भी रविवार या सोमवार अथवा अत्यधिक भीड़ वाले दिन गर्भगृह में यजमानों का रुद्राभिषेक पूजन नहीं कराया जाएगा। प्रशासन ने यह निर्णय श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए लिया है।

—दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर, शीतल जल व फर्स्ट एड की सुविधा

श्रावण महोत्सव के अंतर्गत दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए विशेष ध्यान रखा गया है। मंदिर परिसर में व्हीलचेयर, फर्स्ट एड बॉक्स, शीतल पेयजल आदि की व्यवस्था की गई है ताकि सभी को सहज और सुरक्षित दर्शन का अवसर मिल सके। मंदिर प्रतिदिन प्रातः 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक और दोपहर 1 बजे से रात 9 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहेगा।

—ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: महामना की अमूल्य देन

बीएचयू परिसर का श्री विश्वनाथ मंदिर महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रेरणा से वर्ष 1931 में बनना शुरू हुआ था। निर्माण के दौरान आर्थिक संकट आने पर युगल किशोर बिड़ला ने महत्त्वपूर्ण सहयोग दिया। हालांकि मालवीय जी के जीवनकाल में मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो पाया। वर्ष 1954 तक मंदिर शिखर को छोड़कर तैयार हो गया था और 17 फरवरी 1958 को भगवान शिव की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। 1966 में मंदिर शिखर का कार्य पूर्ण हुआ। लगभग 250 फीट ऊंचा यह शिखर विश्व में शिव मंदिरों में सबसे ऊंचा माना जाता है।

—मंदिर परिसर में विराजमान देवी-देवता

श्री विश्वनाथ मंदिर परिसर में कुल 9 मंदिर हैं। मुख्य तल पर बाबा विश्वनाथ (शिवलिंग), नटराज, माता पार्वती, गणेश, सरस्वती, पंचमुखी महादेव, हनुमान, और नंदी महाराज विराजमान हैं। प्रथम तल पर महामाया, भगवान शंकर, और लक्ष्मी नारायण की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं।

—श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अन्य व्यवस्थाएं

श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए परिसर में प्रसाद और धार्मिक पुस्तकों की बिक्री बोर्ड, यशस्वी आश्रम, और विश्रामशाला जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। मंदिर के प्रांगण में बीएचयू के संस्थापक पं. मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा भी श्रद्धा का केंद्र बनी हुई है।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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