शिमला, 13 मई . राजधानी शिमला के उपनगर संजौली स्थित जौंनांग बौद्ध मठ से तीन नाबालिग भिक्षुओं के लापता होने का मामला सामने आया है. यह घटना 11 मई की है, जब तीनों बाल भिक्षु बिना किसी को सूचित किए मठ से गायब हो गए. मठ प्रशासन द्वारा पूरे दिन शिमला शहर में बच्चों की तलाश की गई लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो 12 मई को ढली थाना में इसकी शिकायत दर्ज करवाई गई. पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 137(2) के तहत मामला दर्ज कर लापता बच्चों की तलाश शुरू कर दी है.
शिकायत जौंनांग मठ में प्रबंधक के रूप में कार्यरत सैंगे दोरजे ने दर्ज करवाई है. उन्होंने बताया कि वे पिछले एक वर्ष से इस मठ में कार्यरत हैं और यहां लगभग 150 बच्चे रहकर धार्मिक अध्ययन कर रहे हैं. इनमें पश्चिम बंगाल के 11 व 12 वर्षीय और अरुणाचल प्रदेश के 13 वर्षीय बच्चे शामिल हैं.
शिमला पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि लापता बच्चों की तलाश जारी है. इस मामले में ढली पुलिस ने आसपास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है.
गौरतलब है कि ठीक एक माह पहले भी इसी मठ से दो नाबालिग भिक्षु लापता हो गए थे. तब वे बिना बताए घूमने निकले थे और रास्ता भटक गए थे. हालांकि पुलिस ने 12 घंटे के भीतर उन्हें ढली चौक से सकुशल बरामद कर लिया था.
जौंनांग टेकन फुत्सोक चोलिंग मठ भारत में जौंनांग परंपरा का इकलौता मठ है. इसकी स्थापना वर्ष 1963 में अमदो लामा जिन्पा ने की थी और पहले इसे ‘सांगे चोलिंग’ के नाम से जाना जाता था. यह मठ संजौली की एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है और वर्तमान में यहां 100 से अधिक भिक्षु निवास करते हैं. तिब्बती बौद्ध परंपरा के इस मठ में बच्चों को धार्मिक शिक्षा और साधना का प्रशिक्षण दिया जाता है.
यहां की एक विशेष परंपरा के तहत भिक्षु पहाड़ी पर रंग-बिरंगे प्रार्थना झंडे लगाते हैं जो तिब्बती संस्कृति में शांति और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं. लापता हुए तीनों बाल भिक्षु भी इस परंपरा के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे.
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/ उज्जवल शर्मा
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