Prayagraj,30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . मधुमक्खी पालन, वर्मी कम्पोस्ट और जलीय संवर्धन ‘ का छात्रों के कौशल विकास एवं नवाचार से समाज के लिए नौकरियों का सृजन एवं समाज का उत्थान एवं विकास के लिए अवशायक है. यह बात गुरूवार को नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय में जंतु विज्ञान विभाग के द्वारा छह दिवसीय कार्यशाला के शुभारंभ करते हुए कुलपति प्रो.रोहित रमेश ने किया.
उन्होंने कहा कि ‘मधुमक्खी पालन, वर्मी कम्पोस्ट और जलीय संवर्ध में एकीकृत प्रथाओं के माध्यम से स्थायी आजीविका एवं रोजगार सृजन करना बहुत आवश्यक हो गया है. इस छह दिन में विशेषज्ञ के रूप में आईसीएआर-सिफरी Prayagraj के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अबसर आलम ने छात्रों एवं फैकल्टी मेंबर्स को जलीय कृषि के बारे मे बताया. उन्हाेंने जलीय कृषि में एकीकृत प्रथाओं के माध्यम से स्थायी आजीविका के बारे मे विस्तृत प्रकाश डाला. नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. एस.सी.तिवारी ने एनईपी-2020 में छात्रों की शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास काे अवश्यक बताया. उद्घाटन सत्र में निदेशक शोध केंद्र डॉ. आशीष शिवम् ने सभी का स्वागत किया.
इस कार्यक्रम में सी.एम.पी.डिग्री कॉलेज, एस.एस. खन्ना डिग्री कॉलेज, कुलभाष्कर डिग्री कॉलेज, श्यामा प्रसाद डिग्री कॉलेज राजकीय महाविद्यालय सैदाबाद, एच.एन.बी. डिग्री कॉलेज व नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय के छात्रों ने भाग लिया. इस अवसर पर , डॉ. राजेश तिवारी, प्रो विनोद पाण्डेय, डॉ. एस.एस. मिश्रा, डॉ. हिमांशु टंडन तथा संयोजक डॉ.किरन गुप्ता ने कार्यक्रम की जानकारी दी. डॉ श्वेता तिवारी एवं शोधार्थी अरुण, वरुण, नेहा, प्रीति, वंदना, सुधांशु, अंजलि, शशि कांत दुबे, पवन पाण्डेय उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमिताभ चंद्र द्विवेदी ने किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकगण एवं शोध छात्राें सहित अन्य विश्वविद्यालय के शोधार्थी उपस्थित रहे.
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(Udaipur Kiran) / रामबहादुर पाल
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