– पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा
भोपाल, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने गुरुवार को विभागीय अधिकारियों के साथ विभाग की प्रमुख गतिविधियों की समीक्षा बैठक की। बैठक में नर्मदा किनारे किए जाने वाले पौधरोपण कार्यों एवं नदियों के उद्गम स्थलों के संरक्षण के संबंध में विस्तृत समीक्षा की गई। इस अवसर पर मंत्री पटेल ने कहा कि मध्य प्रदेश को नदियों का मायका का कहा जाता है। नदियों के उद्गम स्थल को सुरक्षित बनाएं जिससे हमारी नदियां सदानीरा बनें। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इस संबंध में गंभीरता से ध्यान दे।
मंत्री पटेल ने निर्देश दिए कि पौधरोपण कार्यों को गंभीरता एवं सतर्कता के साथ संचालित किया जाए। उन्होंने कहा कि पौधरोपण कार्य शुरू करने से पूर्व फेंसिंग कार्य को प्राथमिकता के साथ पूर्ण किया जाए, जिससे लगाए गए पौधों का संरक्षण सुनिश्चित हो सके।
पटेल ने कहा कि वर्ष 2026 तक राज्य के सभी श्मशान घाटों को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिये सीसी रोड का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाए। साथ ही, श्मशान घाटों का सीमांकन करवाते हुए फेंसिंग और वृक्षारोपण कार्य भी किए जाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक विशेष स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
स्वच्छ भारत मिशन – सामान्य सभा की बैठक
मंत्री पटेल ने स्वच्छ भारत मिशन की सामान्य सभा की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में मिशन की अद्यतन प्रगति की समीक्षा की गई। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्रामीण स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाए और सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान को विशेष रूप से प्रमुखता के साथ संचालित किया जाए।
मंत्री पटेल ने कहा कि ग्रामीण स्वच्छता को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। इसके लिए सभी स्तरों पर ठोस कार्ययोजना बनाते हुए लक्ष्य निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण किए जाएं। बैठक में वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे जिन्होंने विभागीय योजनाओं की प्रगति की जानकारी दी।
बैठक में बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जा रही है। सेग्रीगेशन (गीला-सूखा कचरा अलग करना) पर विशेष जोर दिया जा रहा है जिससे स्रोत स्तर पर ही समाधान संभव हो। इंदौर, आंध्रप्रदेश व तमिलनाडु मॉडल को अपनाकर क्लस्टर आधारित कचरा प्रबंधन की दिशा में पहल की जा रही है। इलेक्ट्रिक व डीजल वाहनों के उपयोग को संतुलित कर ग्रामीण क्षेत्रों में कचरा परिवहन व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है।पंचायतों द्वारा डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और यूज़र चार्जेज लागू करने की पहल की जा रही है।
स्थानीय स्तर पर एजेंसियों व स्व-सहायता समूहों को जोड़कर संचालन की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। गोवर्धन योजना व गौशालाओं के माध्यम से अपशिष्ट से ऊर्जा और खाद बनाने के सफल प्रयोग हो रहे हैं। मनरेगा और अन्य योजनाओं से कन्वर्जेंस कर संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जाएगा। धार्मिक आयोजनों (नवरात्रि, दशहरा, भंडारे आदि) को “जीरो वेस्ट इवेंट” के रूप में मनाने की तैयारी के निर्देश भी दिए।
पंचायतों में स्वच्छता अभियान, दीवार लेखन, प्रतियोगिताएँ व रैलियाँ जैसे जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। जनसंपर्क विभाग के साथ एकीकृत कैंपेन बनाकर स्वच्छता संदेश पूरे प्रदेश में प्रसारित किए जाएंगे।
पंचायतों को सस्टेनेबल मॉडल अपनाने के लिये प्रशिक्षण और मास्टर ट्रेनर्स तैयार किए जा रहे हैं। पीपीपी मॉडल (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) से छोटे-बड़े खिलाड़ियों को जोड़कर दीर्घकालिक समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिये प्लास्टिक वेस्ट, कंपोस्ट और रिसाइकलिंग उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा। वित्तीय आत्मनिर्भरता की दिशा में पहल करते हुए केवल सरकारी फंड पर निर्भर न रहकर कमर्शियल मॉडल को अपनाने के निर्देश दिए गये।
(Udaipur Kiran) तोमर
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