Next Story
Newszop

भारतीय संस्कृति गो संस्कृति है: राज्यपाल

Send Push

image

जयपुर, 5 सितंबर (Udaipur Kiran) । राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि भारतीय संस्कृति गो संस्कृति है। संस्कृति में गो शब्द लग जाता है तो इसका अर्थ है-श्रद्धा के साथ अर्थव्यवस्था का जुड़ना।ऐसी अर्थव्यवस्था से ही सतत् और संतुलित विकास होता है। उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए गाय को केन्द्र में रखकर उसके उत्पादों से जन-जन को जोड़े जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गो धन संरक्षण के लिए गौशालाओं की स्थापना संग नंदी शालाएं भी स्थापित की जाए।

राज्यपाल शुक्रवार को विद्याधर नगर में देवरहा बाबा गो सेवा परिवार द्वारा वैश्विक संगोष्ठी, प्रदर्शनी के आलोक में आयोजित गो-महाकुम्भ 2025 में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने भारतीय ज्ञान परम्परा में गाय की महता से जुड़े संदर्भ देते हुए कहा कि गो-सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। हमारे वैदिक ग्रंथ, शास्त्र सभी गो को पूज्य कहते हैं। परन्तु जिसे पूजा जाता है वह हमारी अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार है। यह गाय ही है जो हमें दूध के रूप में पोषण देती है। गाय का घी, पनीर, मावा आदि बहुत से उत्पादों से ही भारत की अर्थव्यवस्था सुदृढ है।

राज्यपाल ने देवरहा बाबा की स्मृति को नमन करते हुए कहा कि वह महान योगी, सिद्ध तो थे ही, गोसेवा को सर्वोपरि-धर्म मानते थे। वह कहते थे, ’जीवन को पवित्र बनाए बिना, ईमानदारी, सात्विकता-सरसता के बिना भगवान की कृपा प्राप्त नहीं होती। गो सेवा इसका सबसे बड़ा माध्यम है।’

राज्यपाल ने कहा कि महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म कहते हैं कि गाय हमारी माता है और बैल हमारे पिता हैं। वेदों में सूर्य की एक किरण का नाम कपिला है। उन्होंने गोपाष्टमी पर्व मनाने, श्री कृष्ण का धेनु से नाता बताते हुए कहा कि गो ने भगवान का अभिषेक किया, उसी दिन से भगवान का एक नाम ‘गोविंद’ पड़ा। गाय विश्वरूपा है। वह अखिल ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए गाय संरक्षण के लिए सबको मिलकर कार्य करना चाहिए।

बागडे ने गो-महाकुम्भ 2025 में गाय के उत्पादों की लगी प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए गो उत्पादों के प्रभावी विपणन के लिए भी कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने इस अवसर पर गाय का पूजन किया और गो संस्कृति के लिए समर्पित होने की आवश्यकता जताई।

—————

(Udaipur Kiran)

Loving Newspoint? Download the app now