हाल ही में राधिका यादव की उनके पिता द्वारा गोली मारकर हत्या की खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस दिल दहलाने वाली घटना के बाद, राधिका की सबसे करीबी दोस्त हिमांशिका सिंह ने चुप्पी तोड़ते हुए अपनी दोस्त की जिंदगी के उन अनकहे पहलुओं को सामने लाया है, जो राधिका के दुखद अंत की पृष्ठभूमि को समझाते हैं। हिमांशिका ने अपनी बातों में राधिका के परिवार की रूढ़िवादी सोच, उनके नियंत्रण और सामाजिक दबावों को उजागर किया, जिसने राधिका की जिंदगी को घुटन भरा बना दिया था। यह कहानी न केवल एक त्रासदी की गवाही देती है, बल्कि समाज में गहरे बैठी रूढ़ियों और मानसिकता पर सवाल भी उठाती है।
राधिका की जिंदगी में घुटन का माहौलहिमांशिका, जो 2012 से राधिका को जानती थीं, ने बताया कि राधिका का परिवार बेहद रूढ़िवादी था। उनके घर में हर छोटी-बड़ी बात पर पाबंदियां थीं। राधिका को अपनी पसंद के कपड़े पहनने, दोस्तों से मिलने या अपनी मर्जी से जिंदगी जीने की आजादी नहीं थी। हिमांशिका ने एक मार्मिक वीडियो में बताया, “राधिका को अपने घर में हमेशा नियंत्रण में रखा जाता था। उसे बाहर जाने और वापस लौटने का समय तय था। टेनिस अकादमी, जो उनके घर से महज 15 मिनट की दूरी पर थी, वहां भी उसे कड़े समय के नियमों का पालन करना पड़ता था।” हिमांशिका ने यह भी खुलासा किया कि राधिका को वीडियो कॉल पर बात करते समय अपने माता-पिता को यह दिखाना पड़ता था कि वह किसके साथ बात कर रही है। यह सख्त नियंत्रण राधिका के लिए एक बोझ बन चुका था, जो उसे हर कदम पर घुटन महसूस कराता था।
एक पिता का क्रूर व्यवहारहिमांशिका ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में राधिका के पिता के व्यवहार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “राधिका के पिता ने उसकी जिंदगी को सालों से अपने नियंत्रण में जकड़ रखा था। उन्होंने उसे शॉर्ट्स पहनने, लड़कों से बात करने या अपनी पसंद का जीवन जीने से हमेशा रोका।” इस तरह का व्यवहार राधिका के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से असहनीय था। हिमांशिका के शब्दों में, “उनके पिता ने राधिका की जिंदगी को नर्क बना दिया था।” यह बातें राधिका के परिवार की उस मानसिकता को उजागर करती हैं, जो आज भी कई घरों में देखने को मिलती है, जहां बेटियों की आजादी को सामाजिक दबावों और रूढ़ियों के नाम पर दबा दिया जाता है।
राधिका का मासूम और रचनात्मक स्वभावराधिका को अपनी दोस्त हिमांशिका एक दयालु, प्यारी और मासूम लड़की के रूप में याद करती हैं। उन्हें वीडियो शूट करना और फोटोग्राफी का बहुत शौक था। लेकिन परिवार के दबाव और सामाजिक अपेक्षाओं ने धीरे-धीरे उनके इन शौकों को खत्म कर दिया। हिमांशिका ने बताया, “राधिका ज्यादा लोगों से नहीं मिलती थी। वह ज्यादातर अपने माता-पिता के साथ ही रहती थी। घर में इतनी पाबंदियां थीं कि उसे हर छोटी-बड़ी बात का हिसाब देना पड़ता था।” यह दबाव राधिका को अंदर ही अंदर तोड़ रहा था, और वह धीरे-धीरे अपनी रचनात्मकता और खुशी खो रही थी।
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