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BCCI बना मनी मशीन! IPL 2025 में कहां से आया इतना पैसा? आंकड़े उड़ाएंगे होश

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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह न केवल क्रिकेट की पिच पर, बल्कि आर्थिक मैदान में भी बाकी देशों से मीलों आगे है। वित्त वर्ष 2023-24 में बीसीसीआई ने 9,741.7 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड राजस्व कमाया, जो इसे दुनिया का सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड बनाता है। इस शानदार उपलब्धि का सबसे बड़ा श्रेय इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) को जाता है, जिसने अकेले 5,761 करोड़ रुपये की कमाई की। आइए, इस लेख में हम बीसीसीआई की इस आर्थिक उड़ान के पीछे के कारणों और भविष्य की संभावनाओं पर नजर डालते हैं।

आईपीएल: बीसीसीआई की सोने की खान

2007 में शुरू हुआ आईपीएल आज दुनिया का सबसे लोकप्रिय और महंगा टी-20 क्रिकेट लीग बन चुका है। 10 टीमों वाला यह टूर्नामेंट न केवल भारत, बल्कि वैश्विक स्तर पर क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत चुका है। इसमें दुनिया भर के शीर्ष खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं, जिससे मीडिया राइट्स और स्पॉन्सरशिप डील्स की कीमतें आसमान छू रही हैं। आईपीएल ने इस साल बीसीसीआई की कुल कमाई का लगभग 59% हिस्सा योगदान दिया, जो इसे बोर्ड की आर्थिक रीढ़ बनाता है। चाहे वह स्टार खिलाड़ियों की मौजूदगी हो या रोमांचक मुकाबले, आईपीएल ने क्रिकेट को एक मनोरंजक और व्यावसायिक ब्रांड में बदल दिया है।

रिजर्व फंड और ब्याज से अतिरिक्त आय

बीसीसीआई की आर्थिक ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके पास वर्तमान में लगभग 30,000 करोड़ रुपये का रिजर्व फंड है। इस विशाल राशि से बोर्ड को हर साल करीब 1,000 करोड़ रुपये का ब्याज प्राप्त होता है। यह रकम बोर्ड को अपनी योजनाओं को और मजबूत करने में मदद करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि बीसीसीआई की यह वित्तीय स्थिरता इसे न केवल क्रिकेट के विकास में निवेश करने की क्षमता देती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर खेल को और लोकप्रिय बनाने में भी सहायता करती है।

गैर-आईपीएल आय: अनछुआ अवसर

हालांकि आईपीएल बीसीसीआई की कमाई का मुख्य स्रोत है, लेकिन बोर्ड ने गैर-आईपीएल स्रोतों से भी 361 करोड़ रुपये कमाए हैं। इसमें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के मीडिया राइट्स और अन्य आय शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बीसीसीआई रणजी ट्रॉफी, दुलीप ट्रॉफी और अन्य घरेलू टूर्नामेंटों को व्यावसायिक रूप से और आकर्षक बनाए, तो गैर-आईपीएल आय में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिल सकता है। यह न केवल बोर्ड की आय को बढ़ाएगा, बल्कि घरेलू क्रिकेटरों को भी अधिक अवसर प्रदान करेगा।

भविष्य की संभावनाएं

विज्ञापन विशेषज्ञ संदीप गोयल का कहना है कि बीसीसीआई ने अभी अपनी पूरी आर्थिक क्षमता का दोहन नहीं किया है। आने वाले वर्षों में स्पॉन्सरशिप, टिकट बिक्री और डिजिटल मीडिया डील्स के जरिए बोर्ड की कमाई 10-12% की वार्षिक दर से बढ़ सकती है। भारत में क्रिकेट के प्रति दीवानगी और बढ़ते डिजिटल दर्शकों को देखते हुए, बीसीसीआई के पास वैश्विक स्तर पर क्रिकेट को और ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा मौका है।

क्रिकेट प्रेमियों का योगदान

भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक जुनून है। लाखों प्रशंसकों की भीड़ स्टेडियमों में और टीवी स्क्रीन के सामने इस खेल को जीवंत बनाती है। यह जुनून ही बीसीसीआई की आर्थिक सफलता का आधार है। प्रशंसकों की यह दीवानगी न केवल खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाती है, बल्कि ब्रांड्स और प्रायोजकों को भी इस खेल से जोड़ती है। बीसीसीआई की यह उपलब्धि हर उस क्रिकेट प्रेमी की जीत है, जो इस खेल को अपना समर्थन देता है।

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